मिस्त्र में खुदाई में मिले 20 ताबूतों का क्या है रहस्य twenty intact mummies found in egypt archaeology | knowledge – News in Hindi
नील नदी के पश्चिमी किनारे पर एक प्राचीन कब्रिस्तान हुआ करता था- अल-अससिफ़ (Al-Assasif). इसी में ये 20 ताबूत मिले. माना जाता है कि पहले यहां पर Thebes शहर हुआ करता था, जिसपर आज लक्जर बसा हुआ है. ये कब्रिस्तान उसी शहर के लिए रहा होगा. हालांकि इसमें आम लोग नहीं, बल्कि राजा और राजसी परिवार के लोग दफनाए जाते रहे होंगे. खुदाई में लगे पुरातात्विक विभाग के मुख्य शोधकर्ताओं Oscar Holland और Taylor Barnes के अनुसार यहां मिस्त्र की खासियत वाले ताबूत से अलग लकड़ी के ताबूत हैं. जिनपर नक्काशी की हुई है. वैसे असल में ये ताबूतों को भी सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए ताबूत हैं, जिन्हें सार्कोफेगस (sarcophagus) कहते हैं. ताबूत पूरी तरह से सुरक्षित हैं, यहां तक कि उनपर किया हुआ रंग और नक्काशी भी साबुत दिख रही है.
ताबूत पूरी तरह से सुरक्षित हैं, यहां तक कि उनपर किया हुआ रंग और नक्काशी भी साबुत दिख रही है
सार्कोफेगस किस तरह से ताबूत से अलग हैमिस्त्र, रोम और ग्रीस में राजाओं और राजसी खानदान या बड़े पदों पर काम करने वालों की मौत पर उन्हें सामान्य लकड़ी के ताबूत में नहीं दफनाया जाता था, बल्कि लकड़ी के ताबूत को भी एक डिब्बे में बंद किया जाता था. पत्थर से बना यही डिब्बा सार्कोफेगस कहलाता है. पत्थर का ये ताबूत जमीन से कुछ ऊपर रखा जाता था. मिस्त्र में इसकी शुरुआत 2686 BCE (Before Common Era) की मानी जाती है. माना जाता था कि मौत के बाद दूसरे संसार में व्यक्ति साबुत पहुंचे, इसके लिए सार्कोफेगस जरूरी है. लकड़ी पर नक्काशी के साथ ताबूत के भीतर कीमती रत्न और गहने भी रखे जाते थे, साथ ही मृतक का नाम खुदवाया जाता था ताकि मरने के बाद उसे कोई मुश्किल न हो. साथ ही साथ सार्कोफेगस लकड़ी के चौकोर ताबूत से अलग मृतक के शरीर के बनावट और कद के आधार पर बने होते थे. पुर्नजन्म पर यकीन करने वाली मिस्त्र की सभयता में मरने वाले के शरीर पर खास लेप किया जाता और फिर उसे दफनाया जाता, जिससे शरीर खराब न हो.
किस वक्त के हैं
इसकी पुष्टि अब तक नहीं हो सकी है, 20 ताबूत किस वक्त के हैं लेकिन चूंकि अल-अससिफ़ कब्रिस्तान, जहां से खुदाई में ये मिले हैं, वहां प्राचीन, मध्य और लेट मिस्त्रकालीन सभ्यता भी चलती रही थी, इसलिए अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये इजिप्ट की 18वें साम्राज्य के होंगे जो कि ईसापूर्व 1540 में शुरू हुआ था. इसके अलावा ये भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इस जगह प्राचीन मिस्त्र, जो कि 664-332 ईसा पूर्व माना जाता है, के भी अवशेष होंगे.
पुनर्जन्म पर यकीन करने वाली मिस्त्र की सभ्यता में मरने वाले के साथ दफनाए गए आभूषण
खुदाई में मिले 30 वर्कशॉप भी
इससे पहले लक्जर के ही Valley of Monkeys में प्राचीन सभ्यता के कई और प्रमाण भी मिल चुके हैं. पुरातात्विक शोधकर्ता प्रमाणों के आधार पर इसे मिस्त्र की सभ्यता का industrial area मान रहे हैं. लंबे-चौड़े इस एरिया में लगभग 30 वर्कशॉप रही होंगी, जहां बर्तन बनाने, फर्निचर बनाने और सजावट के सामान बनाने का काम चलता रहा होगा. सीएनएन से बातचीत में पुरातत्वविद जाही हवास के मुताबिक हर वर्कशॉप का अलग-अलग काम रहा होगा, जैसे कोई मिट्टी के बर्तन बनाता होगा तो कोई सोने के गहने. किसी वर्कशॉप में फर्निचर बनाने का काम भी चलता रहा होगा.
ताबूत खोलने पर मौत का डर
वैसे अभी तक ये ताबूत खोले नहीं गए हैं. खुद पुरातत्वविदों को डर है कि इससे छेड़छाड़ करने पर कुछ अनिष्ट हो सकता है. यहां के लोगों की मान्यता है कि खत्म हो चुके प्राचीन मिस्त्र के लोगों के शरीर के साथ कुछ भी छेड़छाड़ करने पर खोलने वाले का दुर्भाग्य आ जाएगा और उसकी मौत भी हो सकती है, इसे curse of the pharaohs भी कहते हैं. वहां के लोगों का यकीन है कि मिस्त्र पर 1336 Before Common Era के दौरान राज करने वाले तूतमखां (Tutankhamun) का ताबूत छेड़ने पर उस दौरान खुदाई में मौजूद लोगों की असमय मौत इसकी शाप का नतीजा था. 29 नवंबर 1922 को तूतमखां का ताबूत खोला गया था, उसके ठीक एक साल के भीतर खुदाई में लगे सारे 11 पुरातत्ववेत्ताओं की एक के बाद मौत हो गई.
मान्यता है कि खत्म हो चुके प्राचीन मिस्त्र के लोगों के शरीर के साथ कुछ भी छेड़छाड़ करने पर खोलने वाले का दुर्भाग्य आ जाएगा
क्या था प्राचीन मिस्त्र
इसे सबसे पुरानी सभ्यताओं में माना जाता है. अंदाजा है कि अब से 5 हजार साल पहले नील नदी के किनारे गांव बसाने से इसकी शुरुआत हुई थी. ढेर सारी खोजों, जैसे सोलर कैलेंडर, खेती के तरीकों के बीच सबसे अहम खोज जो इन्होंने की थी, वो है हीयेरोग्लिफ़ (hieroglyph) यानी चित्रलिपि की शुरुआत. इसके जरिए लेखन के माध्यम से लोग एक-दूसरे तक पहुंचने लगे. मिस्त्र के लोग पुनर्जन्म पर यकीन करते थे इसलिए उन्होंने ताबूतों, सार्कोफेगस और पिरामिड बनाने की शुरुआत की. ताबूत के भीतर मृतक के शरीर को खास लेप करके उसे कपड़ों, गहनों, अस्त्र-शस्त्र और बर्तनों से साथ रखा जाता था ताकि अगले जन्म में उसके पास जरूरत की सारी चीजें हों. आर्थिक स्थिति के अनुसार ताबूत का आकार-प्रकार और उसमें रखी चीजें अलग-अलग हो सकती थीं. ये सभ्यता लगभग 3 हजार साल तक चली. इतने वक्त बाद कई वजहों से ये सभ्यता खत्म हो गई, जैसे लड़ाइयां और लगभग 100 सालों तक पड़ा अकाल और उससे आई भुखमरी.
नए ताबूतों की भी खोज
हाल ही में जब पूरी दुनिया कोरोना से जूझ रही है, इस दौरान भी मिस्त्र के कायरो (Cairo) शहर में 4 नए ताबूत मिले हैं. 24 अप्रैल को मिस्त्र की Ministry of Tourism and Antiquities ने इसकी घोषणा करते हुए बताया कि ये ताबूत मिस्त्र के 17वें साम्राज्य के हो सकते हैं यानी 1550 BCE के आसपास के. इनमें से एक ताबूत को खोला भी जा चुका है, जिसमें रखा हुआ शरीर किसी 15 से 16 साल की लड़की का रहा होगा. ताबूत के भीतर आभूषण भी हैं, जो नीले कांच, नीलम और एमेथिस्ट जैसे बहुमूल्य पत्थरों से बने हैं. साथ ही लाल रंग की चमड़े की सैंडल्स भी हैं.
बता दें कि साल 2018 के अप्रैल से इजिप्ट में खुदाई का काम चल रहा है ताकि प्राचीन सभ्यताओं के बारे में पता लगाया जा सके. साथ ही इसकी एक वजह आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे देश में पर्यटन को बढ़ावा देना भी है.
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