कोरोना वायरस की दवा बनाने में भारत बढ़ा एक कदम और आगे, मिली यह सफलता | India went a step further in making Corona virus medicine Remdesivir | nation – News in Hindi
रेमेड्सविर का पेटेंट गिलियड साइंसेज के पास है
रेमेड्सविर क्लिनिकल डेटा के आधार पर अमेरिका में आपातकालीन उपयोग के लिए कोविड -19 का इलाज करने वाली पहली दवा है.
गिलियड साइंसेज का दवा पर पेटेंट है लेकिन पेटेंट कानून इस दवा को केवल शोध के उद्देश्यों के लिए विकसित करने की अनुमति देता है न कि व्यावसायिक निर्माण के लिए. अमेरिका के क्लिनिकल ट्रायल्स के रिजल्ट्स के अनुसार प्लेसबो पर 15 दिनों की तुलना में, रेमेड्सविर ने रोगियों को 11 दिनों में औसतन ठीक होने में मदद की. भारत कोविड -19 के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की सॉलिडैरिटी ट्रायल का हिस्सा है और ट्रायल के लिए दवा की 1000 खुराक प्राप्त की है.
एक और आशाजनक दवा Favipiravir पर चल रहा काम
विज्ञान और प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सोमवार को एक बयान में कहा कि ‘CSIR-IICT द्वारा की स्टार्टिंग मैटेरियल का सिन्थिसाइज़ेशन हासिल कर लिया गया है और भारतीय उद्योग के लिए टेक्नालजी डेमन्स्ट्रैशन हो रहे हैं. Covid19 के इलाज के लिए एक और संभावित दवा Favipiravir के लिए CSIR क्लिनिकल ट्रायल्स के लिए निजी क्षेत्र के साथ भारत में संभावित लॉन्च पर काम कर रहा है.’हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार रेमेडिसविर में तीन केएसएम, पायरोल, फुरान और एक फॉस्फेट इंटरमीडिएट है. IICT के निदेशक डॉ. श्रीवारी चंद्रशेखर ने हैदराबाद से फोन पर कहा कि की स्टार्टिंग मैटेरियल को सिन्थिसाइज़ करना दवा बनाने में एक महत्वपूर्ण चरण है.
जनवरी के अंत में केएसडीएम पर रेमेडीसविर के लिए काम शुरू
श्रीवारी ने कहा ‘किसी भी दवा के लिए की स्टार्टिंग मैटेरियल को सिन्थिसाइज़ करना एक एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रीडीअन्ट (एपीआई) विकसित करने के लिए पहला कदम है. रेमेडिसविर के लिए ये प्रमुख शुरुआती सामग्री भारत में उपलब्ध हैं और रासायनिक कंपनियां इनकी मैन्यूफैक्चरिंग कर सकती हैं. अन्य रीजन्ट्स को अन्य देशों से प्राप्त किया जा सकता है. हमने जनवरी के अंत में केएसडीएम पर रेमेडीसविर के लिए काम करना शुरू कर दिया था, जब चीन में परीक्षण शुरू हो गए थे.”
29 अप्रैल को एक खुले पत्र में गिलियड साइंसेज के सीईओ, डैनियल ओ ‘डे ने कहा था- ‘सप्लाई को ध्यान में रखते हुए हम वैश्विक क्षमता और उत्पादन का विस्तार करने के लिए दवा और रासायनिक निर्माताओं का एक वैश्विक संघ बनाने के लिए काम कर रहे हैं. दुनिया भर के लोगों के लिए पर्याप्त आपूर्ति बनाने के लिए देशों के साथ मिलकर काम करना आवश्यक होगा और हम इन सहयोगी प्रयासों के लिए तत्पर हैं.’
विशेषज्ञों ने कहा कि भारत सरकार गिलियड साइंसेज को रॉयल्टी के लिए भारतीय निजी कंपनियों को स्वैच्छिक लाइसेंस देने का अनुरोध कर सकती है. नहीं तो भारत अनिवार्य लाइसेंस विकल्प का उपयोग कर सकता है, जिसके तहत यह या एक जेनेरिक निर्माता पेटेंट दवाओं का निर्माण कर सकता है ताकि अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा कर सके.’
इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स एक्सपर्ट केएम गोपकुमार ने कहा ‘क्योंकि यह एक पेटेंट दवा है, दो विकल्प हैं. एक यह है कि निर्माता लाइसेंस धारक से निर्माण के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की अनुमति प्राप्त करते हैं. दूसरा विकल्प यह है कि भारत सरकार दो से तीन निर्माताओं को अनिवार्य लाइसेंस या सरकारी उपयोग लाइसेंस पर दवा का निर्माण करने की अनुमति देती है. निर्माताओं को नियामक मंजूरी की आवश्यकता होगी जो केवल तब उपलब्ध होगी जब दवा के असर पर अधिक क्लिनिक डेटा उपलब्ध हो.’
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First published: May 5, 2020, 8:08 AM IST