Coronavirus: दिखे नए लक्षण, स्किन पर इन 5 तरह के रैशेज को न करें नजरअंदाज five type of skin rashes coronavirus new alarming symptom | knowledge – News in Hindi

Spanish Academy of Dermatology ने इस नए लक्षण की जांच के लिए 375 कोरोना संक्रमित मरीजों पर स्टडी की. इसमें वायरस के स्किन पर असर को देखा गया. इसमें पांच तरह के स्किन रैशों की पुष्टि हुई.
पहली तरह के रैश या चकत्ते में स्किन पर हाथ-पैरों पर लाल दाने उभर आते हैं, जिनमें खुजली भी होती है, साथ ही तेज बुखार आ जाता है. दानों का रंग लाल से लेकर बैंगनी तक हो सकता है और ये छोटे लेकिन छितरे हुए होते हैं. यानी इनका आकार कैसा भी हो सकता है. British Journal of Dermatology में ये स्टडी आई, जिसके मुताबिक कोरोना के 19% मरीजों में इस तरह के चकत्ते होते हैं. खासकर कम उम्र के मरीजों में ये लक्षण ज्यादा दिखते हैं. इन रैशेज को Chilblain-like symptoms के तहत रखा गया.

वायरस के संक्रमण के लगातार नए-नए लक्षण दिख रहे हैं
लगभग 9% कोरोना संक्रमितों में Vesicular eruptions देखा गया. इसमें छोटे-छोटे दाने शरीर के किसी भी हिस्से, लेकिन खासतौर पर पीछे की ओर और यौनांगों के आसपास दिखते हैं. बीमारी गंभीर होने पर इनमें खून भी भर आता है और दाने फटते रहते हैं. साथ ही ये बड़े होते और फैलते जाते हैं. अधेड़ मरीजों में ये लक्षण दिखता है जो लगभग 10 दिनों में चला जाता है.
स्किन में रैशेज की तीसरी अवस्था Urticarial lesion से मिलती-जुलती है. इसमें शरीर के कई हिस्सों में जख्म की तरह दाने दिखने लगते हैं. आमतौर पर ये सफेद या गुलाबी रंग के होते हैं. कई मामलों में ये हथेलियों पर भी दिखते हैं. कोरोना के लगभग 19% मरीजों में ये लक्षण दिखते हैं जो 6 से 7 दिनों में गायब भी हो जाते हैं.
चौथे टाइप को Maculopapules रैश के तहत रखा जा रहा है, ये सबसे ज्यादा 47% मरीजों में दिखाई दिया. इसमें त्वचा पर सूजन के साथ छोटे, लेकिन चपटे आकार में उभरे हुए दाने आ जाते हैं. स्किन पर बालों के आसपास भी ये दिखते हैं. काफी खुजली देने वाले ये दाने कोरोना के दूसरे लक्षणों के उभरने के साथ ही साथ खत्म हो जाते हैं. अमूमन 8 दिनों में ये गायब हो जाते हैं.

इसमें शरीर के कई हिस्सों में जख्म की तरह दाने दिखने लगते हैं
पांचवी और रैशेज की आखिरी श्रेणी Livedo से मिलती-जुलती है. इसे necrosis भी कहते हैं. ये सबसे कम लोगों में दिखती है. ये रैशेज तब आती हैं, जब स्किन के भीतर के रक्त वाहिकाएं ऑक्सीजन का बहाव कम होने के कारण काम करने में परेशानी महसूस करने लगती हैं. इसे स्किन टिश्यू की असमय मौत भी माना जाता है. ये लक्षण कोरोना के उम्रदराज मरीजों में दिखता है, जिसमें पहले से ही कार्डियक या फेफड़ों की समस्या रही हो. इन सबसे बीच अब वैज्ञानिक ये समझने में लगे हुए हैं कि कोरोना के कुछ मरीजों में इस तरह के रैशेज होना और ठीक उसी अवस्था में पहुंचे दूसरे मरीजों में ऐसा बिल्कुल न होना- इसकी क्या वजह हो सकती है. साथ ही कोरोना वायरस के स्किन पर असर पर भी स्टडी की जा रही है.
वैसे इससे पहले कोरोना के कई मरीजों में पैरों के सामने वाले हिस्से पर रैशेज दिख रहे थे, जिन्हें डॉक्टरों ने कोविड टो (Covid toe) नाम दिया था. ये लक्षण बीमारी की शुरुआती अवस्था में दिखते हैं, जब खांसी-बुखार जैसे दूसरे लक्षणों का पता भी नहीं होता है. अब इसमें 4 नए तरह के रैशेज और जुड़ चुके हैं. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि स्किन पर किसी रैश का होना कई दूसरी बीमारियों का लक्षण भी हो सकता है इसलिए मरीज को खुद को कोरोना संक्रमित नहीं मान लेना चाहिए.
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