दुनियाभर में 300 से ज्यादा रामायण के हैं 3,000 से ज्यादा संस्करण – There are more than 3,000 versions of more than 300 Ramayana worldwide | knowledge – News in Hindi
बेल्जियम से भारत आए मिशनरी फादर कामिल बुल्के (Camille Bulcke) ने रामकथाओं पर काफी शोध किया. यहां आने के बाद वह हिंदी, तुलसी और वाल्मीकि के भक्त बन गए. फादर कामिल को 1974 में साहित्य व शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. उन्होंने अपनी किताब ‘रामकथा: उत्पत्ति और विकास’ में दुनियाभर में उपलब्ध रामकथाओं का विश्लेषण किया. वह लिखते हैं, ‘ये माना जाता है कि राम के जीवन पर सबसे पहला ग्रंथ महर्षि वाल्मीकि की लिखी रामायण है. लेकिन, ऐसा नहीं है कि राम का पहली बार उल्लेख वाल्मीकि ने अपने ग्रंथ में किया था. ऋग्वेद में एक स्थान पर राम नाम के एक प्रतापी और धर्मात्मा राजा का उल्लेख है.
फादर कामिल लिखते हैं कि रामकथा का सबसे पहला बीज दशरथ जातक कथा में मिलता है, जो ईसा से 400 साल पहले लिखी गई थी. इसके बाद ईसा से 300 साल पहले का काल वाल्मीकि रामायण का है. वाल्मीकि रामायण को सबसे ज्यादा प्रमाणिक इसलिए भी माना जाता है क्योंकि वह भगवान राम के समकालीन ही थे और सीता ने उनके आश्रम में ही लव-कुश को जन्म दिया था. बाद में लव-कुश ने ही राम को दरबार में वाल्मीकि की लिखी रामायण सुनाई थी.
राम और सीता का जिक्र ऋगवेद में भी है. वहीं, वाल्मीकि और तुलसीदास की रामकथाओं में लक्ष्मण रेखा का कोई जिक्र नहीं है.
ऋग्वेद में सीता का भी जिक्र है. ऋग्वेद ने सीता को कृषि की देवी माना है. बेहतर कृषि उत्पादन और भूमि के दोहन के लिए सीता की स्तुतियां भी मिलती हैं. ऋग्वेद के 10वें मंडल में ये सूक्त मिलता है जो कृषि के देवताओं की प्रार्थना के लिए लिखा गया है. वायु, इंद्र आदि के साथ सीता की भी स्तुति की गई है. काठक ग्राह्यसूत्र में भी उत्तम कृषि के लिए यज्ञ विधि दी गई है. इसमें सीता का जिक्र है. इसमें यज्ञ विधान के लिए सुगंधित घास से सीता देवी की मूर्ति बनाने का जिक्र किया गया है.
लक्ष्मण रेखा का जिक्र वाल्मीकि रामायण में नहीं है. तुलसीकृत रामचरित मानस में भी इसका जिक्र नहीं है. लक्ष्मण रेखा के बारे में बाद के प्रसंगों में मंदोदरी एक जगह लक्ष्मण रेखा का इशारा करती हैं. दक्षिण की कम्ब रामायण में भी रावण पूरी झोपड़ी ही उठा ले जाता है. बंगाल के काले जादू वाले दौर में कृतिवास रामायण में तंत्रमंत्र के प्रभाव में लक्ष्मण रेखा की बात हुई. वहीं, वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस में राम शबरी के यहां जाकर बेर जरूर खाते हैं लेकिन वे जूठे नहीं हैं. जूठे बेर की चर्चा सबसे पहले 18वीं सदी के भक्त कवि प्रियदास के काव्य में है. गीता प्रेस से निकलने वाली कल्याण के 1952 में छपे अंक से ये धारणा लोकप्रिय हुई और रामकथाओं का हिस्सा बन गई.
हनुमान का लंका में जाकर सीता से मिलना, अशोक वाटिका उजाड़ना और लंका को जलाने वाला प्रसंग तो लगभग सभी को पता है, लेकिन कुछ रामकथाओं में इसमें भी अंतर है. आनंद रामायण 14वीं शताब्दी में लिखी गई थी. इसमें लिखा गया है कि जब सीताजी से अशोकवाटिका में मिलने के बाद हनुमान को भूख लगी तो उन्होंने अपने हाथ के कंगन उतारकर कहा कि लंका की दुकानों में इन्हें बेचकर फल खरीदकर अपनी भूख मिटा लो. सीताजी ने अपने पास रखे दो आम भी हनुमान को दे दिए. हनुमान के पूछने पर सीताजी ने बताया कि ये फल इसी अशोक वाटिका के हैं. तब हनुमान ने कहा कि वे इसी वाटिका से फल लेकर खाएंगे.
वाल्मीकि रामायण में हनुमान के समुद्र लांघकर लंका पहुंचने का जिक्र नहीं है. उन्होंने हनुमान के समुद्र को तैरकर पार करने का उल्लेख किया है.
जावा की सैरीराम रामायण में लिखा गया है कि रावण ने विभीषण को समुद्र में फिंकवा दिया था. वह एक मगरमच्छ की पीठ पर चढ़ गया. बाद में हनुमान ने उसे बचाया और राम से मिलवाया. राम से मुलाकात के समय विभीषण के साथ रावण का एक भाई इंद्रजीत और बेटा चैत्रकुमार भी था. राम ने विभीषण को युद्ध के पहले ही लंका का अगला राजा घोषित कर दिया था. रंगनाथ रामायण में जिक्र है कि विभीषण के राज्याभिषेक के लिए हनुमान ने एक बालूरेत की लंका बनाई थी, जिसे हनुमत्लंका के नाम से जाना गया. वहीं, हनुमान के सागर को लांघने का जिक्र वाल्मीकि रामायण में नहीं है. वाल्मीकि रामायण में हनुमान के सागर को तैरकर पार करने का जिक्र है. समुद्र के ऊपर से उडकर जाने का जिक्र तुलसीकृत मानस में है.
जैन परंपरा में देवात्मा कभी हिंसा नहीं कर सकता. इसलिए पउमंचरिय (जैन रामायण) में राम रावण का वध नहीं करते बल्कि लक्ष्मण से करवाते हैं. लक्ष्मण भी लक्ष्मण नहीं, वासुदेव हैं जो रावण का उद्धार करते हैं. इसके बाद राम निर्वाण को प्राप्त होते हैं और लक्ष्मण नर्क में जाते हैं. इस रामायण में सीता रावण की बेटी हैं, जिन्हें उसने छोड़ दिया था और वो ये बात नहीं जानता है. ऐसे ही अलग-अलग रामकथाओं में कुछ अंतर हैं. बता दें कि संस्कृत में करीब 17 तरह की छोटी-बड़ी रामकथाएं हैं, जिनमें वाल्मीकि, वशिष्ठ, अगस्त्य और कालिदास की रचनाएं हैं. वहीं, उड़िया भाषा में करीब 14 तरह की रामकथाएं हैं. हालांकि, सभी के कथानक वाल्मीकि रामायण से ही प्रेरित हैं. नेपाल में तीन रामायण प्रचलित हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले इंडोनेशिया में ककबिन रामायण गाई जाती है.
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