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Lockdown 3.0 : वुहान में लोगों ने ऐसे दिया एकदूसरे का साथ, कभी कोई नहीं सोया भूखा – Lockdown 3.0: In Wuhan, people gave each other support, no one ever slept hungry | knowledge – News in Hindi

कोरोना वायरस (Coronavirus) ने दिसंबर की शुरुआत में चीन में दस्‍तक दिया और आधी जनवरी गुजरते-गुजरते लोगों में दहशत का माहौल बनना शुरू हो गया था. इसी बीच वुहान (Wuhan) में रोज दर्जनों और फिर सैकड़ों मामले सामने आने लगे. इसके बाद एक्‍शन में आई सरकार ने 22 जनवरी को वुहान को शेष चीन से काटकर लॉकडाउन (Lockdown) लागू कर दिया. सरकार ने तर्क दिया कि कोरोना वायरस को दूसरे राज्‍यों में फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन जरूरी है.

लॉकडाउन लगाने के 76 दिन बाद वुहान में थोड़ी ढील दी गई. इससे पहले वुहान को छोड़कर हुबई प्रांत से प्रतिबंध हटा दिए गए थे. इस दौरान चीन के लोगों ने सख्‍ती से इसका पालन किया. लॉकडाउन के मुश्किल वक्‍त में सरकार के साथ ही लोगों ने भी एकदूसरे के जमकर साथ दिया. आइए जानते हैं कि सरकार और लोगों ने ऐसा क्‍या किया कि किसी को किसी चीज की कमी महसूस ही नहीं हुई…

सोशल मीडिया ग्रुप्‍स बनाकर घर-घर पहुंचाया जरूरी सामान
वुहान के लोगों को जब ये समझ आया किया लॉकडाउन लंबा खिंचने वाला है, तो वे एकदूसरे की मदद करने लगे. इसके लिए वुहान में सोशल मीडिया ग्रुप्‍स (Social Media Goups) बनाए गए. इन ग्रुप्‍स के जरिये कॉलोनी में रहने वाले लोग एकदूसरे से जुड़े. उन्‍हें एकदूसरे की जरूरतों का पता चलने लगा और जो जैसे मदद कर पाया, करता गया. इन ग्रुप्‍स में 50 से 500 लोग होते थे. जब ग्रुप से जुड़े किसी व्‍यक्ति को दवा, खाना, दूध की जरूरत होती तो दो लोग मिलकर सामान लेकर आ जाते.

सोशएल मीडिया ग्रुप पर जब भी कोई किसी चीज की जरूरत बताता था तो दो लोग उसे खरीदकर उस तक पहुंचा आते थे.

ये काम ग्रुप के लोगों को रोटेशन पर दिया जाता था ताकि संक्रमण फैलने की कोई गुंजाइश न रहे. इन सोशल मीडिया ग्रुप्‍स में सूचनाएं भी शेयर की जाती थीं. अगर कहीं से सूचना मिलती कि किसी खास तरीके से वायरस का इलाज हो सकता है तो पहले ग्रुप एडमिन उसे कंफर्म करता और लोगों को सचेत करता कि अभी तक कोई इलाज नहीं मिला है. इसलिए घरेलू तरीके अपनाने के बजाय अस्पताल जाएं.

स्‍थानीय लोगों ने मदद पहुंचाने में प्रशासन का भी दिया साथ
सोशल मीडिया ग्रुप के सदस्य ऑनलाइन या सुपरमार्केट से जरूरत के पूरे सामान की खरीददारी एक ट्रांजेक्शन (Single Transaction) में करते थे. सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) के नियमों का पालन करते हुए लोग घरों में ही रहते रहे. ऐसे में लोग सोशल मीडिया ग्रुप्‍स के जरिये एक-दूसरे से जुड़े रहते थे. लॉकडाउन के दौरान इन छोटे-छोटे सोशल मीडिया ग्रुप्‍स की मदद से लोगों ने कभी किसी को भूखा नहीं सोने दिया. यहां तक कि हर जरूरत की चीज अपने ग्रुप से जुड़े लोगों तक पहुंचाई. वहीं, प्रशासन के स्‍तर पर भी लोगों की हरसंभव मदद की गई. शुरुआत में खुद प्रशासन से जुड़े लोग जनता तक जरूरत का सामान पहुंचाते रहे. बाद में ये काम रोबोट्स (Robots) की मदद से किया गया. प्रशासन ने लोगों के दरवाजों तक दवाइयां (Medicines) और खाने-पीने की चीजें पहुंचाईं. छोटे छोटे समूह प्रशासन की भी मदद को आगे आने लगे.

हीरो बनकर उभरे घर-घर सामान पहुंचाने वाले डिलीवरी बॉय
वुहान में लॉकडाउन के दौरान डिलीवरी बॉय भी हीरो बनकर उभरे. ये लोग मुश्किल दौर में लोगों तक खाना पहुंचाते रहे. लॉकडाउन के दौरान किसी भी परिवार का कोई व्यक्ति जरूरी सामान लेने के लिए भी तीन दिन में सिर्फ एक बार घर से बाहर निकल सकता था. खुद लोगों को भी संक्रमण की चपेट में आने का डर लगता था. फिर भी लोगों को भूख मिटाने के लिए खाने की जरूरत तो थी ही. ऐसे में डिलीवरी बॉय हर ऑर्डर समय से पहुंचाने की हरसंभव कोशिश करते रहे.

कोरोना की सबसे ज्‍यादा मार झेल रहे वुहान में लॉकडाउन के दौरान डिलीवरी बयॉज खानेपीने की चीजों से लेकर मेडिकल उपकरण और दवाइयां तक पहुंचाने में जुटे रहे.

डिलीवरी बॉयज ने भी बिल्डिंग के नीचे से लेकर घर के दरवाजे तक बिना डरे लोगों तक खाना पहुंचाया. वुहान में हजारों की संख्या में ऐसे डिलीवरी बॉय थे जो डर के बावजूद लोगों तक उनकी जरूरत का हर सामान पहुंचा रहे थे. ये डिलीवरी बॉयज खाने के साथ ही डॉक्टरों तक जरूरी मेडिकल उपकरण भी पहुंचा रहे थे. वहीं, आम लोगों तक दवाइयां पहुंचाने वाले दूसरे कूरियर बॉय भी दिन-रात मेहनत कर रहे थे.

स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों की भी स्‍थानीय लोगों ने की काफी सहायता
वुहान में कई अस्पतालों में भोजन की कमी होने लगी तो स्‍थानीय लोग स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों की मदद के लिए आगे आ गए. वहीं, कोरोनावायरस से बचने के लिए चीन में फेस मास्‍क की मांग बढ़ने से कई इलाकों में इनकी भी कमी होने लगी. हुबई प्रांत के चांगले गांव के एक व्यक्ति ने 15 हजार फेस मास्क दान कर डाले. दान करने वाले हाओ जान ने बताया कि वह जिस फैक्ट्री में काम करता था, उसने सैलरी देने से मना कर दिया और उसकी एवज में 15 हजार मास्‍क देने की पेशकश की. मैं उन मास्‍क को घर ले आया.

मुझे पता चला कि हुबेई में कोरोनावायरस की वजह से मास्‍क की किल्लत हो रही है तो मैंने इन्हें दान देना शुरू कर दिया. ऐसे ही वुहान में हाथ से हाथ जुड़ते गए और लॉकडाउन का वक्‍त बीत गया. लोगों ने सरकार की मदद का इंतजार किए बिना खुद सामने आकर मुसीबत का सामना किया और एक भी रात अपने आसपास किसी को भूखा नहीं सोने दिया. बता दें कि भारत में भी लॉकडाउन 3.0 की अवधि 17 मई तक कर दी गई. ऐसे में अपने आसपास नजर रखें कि कोई भूखा न सोने पाए.

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