आवश्यक, मंहगाई भत्ता रोका जाना कर्मचारी हित मे न्यायसंगत नही-अनिल मेश्राम
भिलाई। छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ अजाक्स के कार्य प्रांताध्यक्ष अनिल मेश्राम ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए देश के केन्द्रीय कर्मचारियो का मंहगाई भत्ता रोका जाना किसी भी दृष्टिकोण से न्यायसंगत नही है।
केंद्र के निर्णय बाद सभी शासकीय कर्मचारियो को भी मंहगाई भत्ते की किश्त का भुगतान होता है। देश के लगभग 3 करोड़ केंद्रीय व शासकीय कर्मचारियो से लगभग 75000 करोड़ रुपए मंहगाई भत्ते के सरकार बचा रही है जबकि अनेक श्रोतो से सरकार को कोरोना वायरस से राहत हेतु लगभग दो लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि दान स्वरूप राहत कोष मे मिल चुकी है। देश के सभी केन्द्रीय व शासकीय कर्मचारियो द्वारा अपने एक दिन का वेतन राहत कोष मे प्रदान किया जा चुका है जो कि हजारो करोड़ मे है।Ó
Óऐसी परिस्थितियो मे जबकि पूरा देश घर मे है और केन्द्रीय व शासकीय कर्मचारी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के कार्यए लॉकडाऊन पालन कराने का कार्य और सोशल फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के दायित्व के साथ साथ हजारो आश्रय स्थलो मे रूके लोगो को व घरो मे निवासरत जरूरतमंदो को सूखा राशन और पका भोजन वितरण का कार्य भी अपनी जान जोखिम मे डालकर कर रहे हैए ऐसी अवस्था मे केंद्र सरकार द्वारा मंहगाई भत्ता रोकने का निर्णय कर्मचारी हित मे कदापि उचित नही है और यह कर्मचारियो का मनोबल गिराने वाला कार्य है। श्री मेश्राम ने कलेक्टर दुर्ग के माध्यम से प्रधानमंत्री व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर इस विषय पर पुनर्विचार कर देश के सभी केंद्रीय व शासकीय कर्मचारियो को मंहगाई भत्ते का भुगतान करने का आग्रह किया है।