इस्लामोफोबिया पर बोले शशि थरूर- विदेश में डैमेज कंट्रोल करने के बजाय देश में जमीनी हकीकत को बदलने की जरूरत | Shashi Tharoor said anti muslim incidents bound to attract negative attention abroad need to change domestic reality | nation – News in Hindi
शशि थरूर ने कहा, मुस्लिम विरोधी घटनाओं पर विदेश में नकारात्मक प्रतिक्रिया होगी (फाइल फोटो)
शशि थरूर (Shashi Tharoor) के मुताबिक, सरकार जो कहती है वो मायने नहीं रखता, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि वह खुद क्या करती है और दूसरों को क्या करने देती है… इसी से उसके बारे में धारणा बनती है.
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार अपने कुछ उच्च पदासीन व्यक्तियों समेत ‘सबसे उग्र समर्थकों’ की ओर से किए जाने वाले गलत व्यवहार और बयानों पर अंकुश लगाने में ‘शर्मनाक ढंग से’ विफल रही है. लोकसभा सदस्य थरूर के मुताबिक, सरकार जो कहती है वो मायने नहीं रखता, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि वह खुद क्या करती है और दूसरों को क्या करने देती है… इसी से उसके बारे में धारणा बनती है.
साध्वी निरंजन ज्योति पर साधा निशाना
थरूर ने केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के 2014 में दिए गए कथित बयान का हवाला देते हुए कहा, ‘‘हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ‘रामजादे….’ वाला बयान एक मंत्री ने दिया था. हाल ही में उत्तर प्रदेश में भाजपा के एक विधायक की कथित टिप्पणी आई जिसमें उन्होंने लोगों से मुस्लिम सब्जी वाले से सब्जी नहीं खरीदने के लिए कहा.’’बीजेपी नेता का वायरल हुआ था वीडियो
गौरतलब है कि पिछले दिनों मुस्लिम सब्जीवाले के बारे में कथित टिप्पणी से जुड़ा भाजपा विधायक सुरेश तिवारी का एक वीडियो वायरल हुआ था. इसको लेकर भाजपा ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है. थरूर ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले छह वर्षों के दौरान अपनी पार्टी की ‘कट्टरता’ की निंदा करने में बहुत पीछे रहे हैं और ‘अपने ही खेमे से इस्लामोफोबिया के उभार’ पर सहमत दिखे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘त्वरित वैश्विक संचार की दुनिया में यह रवैया टिक नहीं सकता कि भारत देश से बाहर मुसलमानों से प्रेम करे, लेकिन देश के भीतर उनका अपमान करे. भारत में मुसलमानों के खिलाफ कई घटनाओं और बयानों पर विदेश में नकारात्मक असर दिखना ही था.’’
भारत में ‘इस्लामोफोबिया’ होने का आरोप
थरूर की यह टिप्पणी भारत में कोरोना वायरस महामारी और यहां निजामुद्दीन में आयोजित तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम को लेकर कुछ कथित बयानों के बाद अरब जगत के देशों से आई प्रतिक्रिया की पृष्ठभूमि में है. इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी ने भी इस मामले को लेकर भारत में ‘इस्लामोफोबिया’ होने का आरोप लगाया था.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने ऐसे आरोपों को खारिज करते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर क्षेत्र में अपने-अपने समकक्षों के साथ सतत संपर्क बनाए हुए हैं. खाड़ी देशों में भारत की आलोचना और ओआईसी की प्रतिक्रिया को लेकर थरूर ने कहा कि इस तरह की प्रतिक्रिया आना आश्चर्यजनक नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री द्वारा किए गए, ‘नुकसान की भरपाई’ के प्रयास का स्वागत करता हूं. लेकिन ज्यादा जरूरी यह है कि आश्वासन देने वाले बयान जारी करने के बजाय, घरेलू वास्तविकता को बदला जाए.’’
खाड़ी देशों में फंसे भारतीय नागरिकों ने अपनी वापसी के लिए आग्रह किया और थरूर ने भी इस सिलसिले में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया था. इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि, हर देश की अपने नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी होती है. उनके मुताबिक, सरकार यह दलील दे रही है कि बड़ी संख्या में लोगों के विदेश से आने से देश की स्वास्थ्य सेवा और पृथक-वास की सुविधाओं पर असहनीय दबाव बढ़ेगा.
राज्यों को मिले बकाया राशि
उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह 40 दिन पहले सच था तो अब सच नहीं हैं. हमें अपने नागरिकों को वापस लाना चाहिए. यह सिर्फ उनके अधिकार का मामला नहीं है, बल्कि नैतिक, भावनात्मक और संवैधानिक रूप से भी यह उचित है.’’ थरूर ने केंद्र सरकर से यह आग्रह भी किया कि इस मुश्किल समय में राज्यों को उनके हिस्से की बकाया राशि मिलनी चाहिए.
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First published: May 1, 2020, 6:56 PM IST