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IIT छात्रों ने इनट्यूबेशन बॉक्स बनाने के लिए शुरू किया क्राउडफंडिंग अभियान, 6 घंटे में जुटाए 50 हजार | IIT Guwahati students start crowdfunding campaign to make intubation boxes | nation – News in Hindi

IIT गुवाहाटी के छात्रों ने इनट्यूबेशन बॉक्स बनाने के लिए शुरू किया क्राउडफंडिंग अभियान, 6 घंटे में जुटाए 50 हजार

IIT गुवाहाटी के छात्रों ने इनट्यूबेशन बॉक्स बनाने के लिए शुरू किया क्राउडफंडिंग अभियान

इनट्यूबेशन बॉक्स सरकारी अस्पतालों को मुहैया कराने के लिए एक क्राउडफंडिंग अभियान शुरू किया गया है. अभियान ने लॉन्चिंग के 6 घंटे के भीतर ही रिकॉर्ड 50,000 जमा किए गए हैं.

गुवाहाटी. आईआईटी गुवाहाटी (IIT Guwahati) के छात्रों ने कोविड-19 के उन मरीजों के लिए कम कीमत वाले इनट्यूबेशन बॉक्स विकसित किए हैं जिन्हें सांस संबंधी तकलीफ है और उन्हें श्वास नली में ट्यूब डालकर इस समस्या से राहत दिलाई जा सकती है. IIT गुवाहाटी ने बताया कि इन बॉक्सों के निर्माण और उन्हें मुफ्त में सरकारी अस्पतालों को मुहैया कराने के लिए एक क्राउडफंडिंग अभियान शुरू किया गया है. अभियान ने लॉन्चिंग के 6 घंटे के भीतर ही रिकॉर्ड 50,000 जमा किए गए हैं.

यह डिवाइस एक एरोसोल बाधा बॉक्स के रूम में कार्य करता है. इसे मरीज के बिस्तर के ऊपर रखा जाता है, जो रोगी से चिकित्सक तक वायरस के बूंदों के प्रवाह को सीमित करता है. इनट्यूबेशन मुंह के जरिए प्लास्टिक की नली को श्वास नली (ट्रैकिया) में पहुंचाए जाने की प्रक्रिया को कहा जाता है. यह इसलिए किया जाता है ताकि एनेस्थीसिया, दर्द निवारक दवा दिए जाने या गंभीर बीमारी के दौरान व्यक्ति को वेंटिलेटर पर रखा जा सके और उसे सांस लेने में दिक्कत न हो.

बॉक्स की कीमत होगी बहुत कम

आईआईटी गुवाहाटी की ओर से विकसित यह उपकरण एरोसॉल निरोधक बॉक्स है जिसे मरीज के बेड पर सिर की तरफ से रखा जा सकता है जिससे मरीज से विषाणु से भरी बूंदों के डॉक्टर तक पहुंचने की आशंका घटती है, खासकर नली डाले जाने के दौरान. अनुसंधानकर्ताओं की टीम के मुताबिक, डिजाइन का प्रारंभिक प्रारूप रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में पूरा किया गया है और इस बॉक्स की अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) समेत बड़े कोविड-19 देखभाल केंद्रों में समीक्षा की जा रही है. यह वर्तमान में मौजूद बॉक्स की कीमत से काफी कम पर उपलब्ध होगा.

अस्थायी एक्रलिक फेस शील्ड, N-95 मास्क

बायोसाइंस विभाग के बीटेक छात्र, उमंग माथुर ने कहा, “पावर्ड एयर प्यूरिफाइंग रेस्पिरेटर (संक्रमित हवा से बचाने वाले उपकरण) और पूरी तरह बंद फेस मास्क जैसे निजी सुरक्षात्मक उपकरणों (पीपीई) के अभाव में, यह आवश्यक है कि अस्थायी एक्रलिक फेस शील्ड, एन95 मास्क और सर्जिकल रेस्पिरेटर के इस्तेमाल को स्वीकारा जाए और मरीज के मुंह और नाक से निकलने वाले एयरोसॉल को रोका जाए. इनट्यूबेशन बॉक्स मरीज के आसपास ही संक्रमण को सीमित रख यह बचाव सुनिश्चित करता है.’ उन्होंने कहा कि अन्य सुरक्षात्मक उपकरणों के उलट यह बॉक्स मरीज का इलाज कर रहे कई डॉक्टरों और नर्सों के लिए प्रभावी तरीके से काम करता है.

(भाषा इनपुट के साथ)

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First published: April 30, 2020, 4:05 PM IST



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