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how covid 19 has blocked road to moksha as lockers brim with ashes | अब भईया लॉकडाउन के बाद ही मोक्ष मिलेगा: लखनऊ के बैकुंठ धाम में लॉकर्स में रखी हैं अस्थियां | lucknow – News in Hindi

'अब भईया लॉकडाउन के बाद ही मोक्ष मिलेगा': लखनऊ के बैकुंठ धाम में लॉकर्स में रखी हैं अस्थियां

बैकुंठ धाम के लॉकर में रखीं अस्थियां

Lockdown के चलते लोगों ने अपने दिवंगत प्रियजनों की अस्थियां एक शमशान घाट के लॉकर में रखवा दी हैं ताकि स्थिति सामान्य होने के बाद वह उसे नदियों में प्रवाहित कर सकें.

लखनऊ. देश भर में कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान लोगों के करीबियों के अंतिम संस्कार की रीतियों में काफी बदलाव आया है. लॉकडाउन के चलते लोग कहीं भी आने जाने पर पाबंदी के चलते लोगों ने अपने दिवंगत प्रियजनों की अस्थियां एक शमशान घाट के लॉकर में रखवा दी हैं ताकि स्थिति सामान्य होने के बाद वह उसे नदियों में प्रवाहित कर सकें.

उत्तर प्रदेश स्थित लखनऊ के बैकुंठ धाम (Baikunth Dham) में लॉकर्स के केयरटेकर अरविंद ने News18 को बताया कि इससे पहले यह कभी इतने भरे नहीं थे. बताया कि ‘हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, राख को सीधे गंगा नदी में विसर्जन के लिए ले जाना चाहिए, लेकिन लॉकडाउन के कारण लोग कहीं आने जाने में अक्षम हैं, कुछ गया में जाते हैं, कुछ प्रयाग जाते हैं जबकि कुछ अयोध्या जाते हैं. यहां के लॉकर जो कभी भरे नहीं रहते थे वहां 150 से 200 अस्थि कलश रखे हुए हैं.

हिंदू परंपराओं के अनुसार यह माना जाता है कि अंतिम संस्कार के बाद पवित्र नदी में उसे प्रवाहित करने के बाद आत्मा को मोक्ष मिलता है.  अरविंद ने कहा ‘दाह संस्कार के लिए शवों की संख्या में कमी दर्ज की गई है. यह हर दिन बदलती रहती है. हमारे पास इन लॉकरों के अलावा ‘अस्थि-कलश’ को सुरक्षित करने के लिए जगह नहीं है, जो लोग अनुमति ले पाते हैं वे विसर्जन के लिए राख ले जाते हैं, लेकिन ऐसे लोग बहुत कम हैं.’

बैकुंठ धाम के लॉकर, जिन्हें भैंसा कुंड के नाम से भी जाना जाता है, एक निजी फर्म द्वारा प्रबंधित किया जाता है और लोगों ने उनसे कथित तौर पर अपने प्रियजनों से अस्थि-कलश ’रखने का अनुरोध किया है जब तक कि लॉकडाउन खत्म न हो जाए.अब तो भैया लॉकडाउन के बाद ही मोक्ष मिलेगा’
लकड़ी के स्टोर के बाहर एक पुजारी ने कहा ‘हमें अब तक कोई शव नहीं मिला है, जिसकी मौत का कारण कोरोनावायरस रहा हो. कल एक संदिग्ध शव था लेकिन उसका अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में किया गया था. श्मशान में काम करने वाले लोग अभी भी एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बारे में आशंकित हैं, जिनकी मृत्यु COVID-19 के कारण हुई थी. आप यहां किसी से भी इस तरह के शव का अंतिम संस्कार करने के बारे में बात करते हैं और वह व्यक्ति तुरंत आपसे दूर भाग जाएगा.’

पुजारी के साथ बैठे एक आदमी ने कहा, ‘आम तौर पर आम के पेड़ से लकड़ी का उपयोग अंतिम संस्कार में किया जाता है, लेकिन फिलहाल आम के पेड़ की लकड़ी की कोई निश्चित आपूर्ति नहीं है. इसलिए जो भी लकड़ी मिल रही है लोग उसका उपयोग कर रहे हैं.’

लखनऊ नगर निगम के बैकुंठ धाम में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाला काउंटर लॉकडाउन होने के बाद काम नहीं कर रहा है. एक व्यक्ति ने कहा, ‘यह कार्यालय लॉकडाउन शुरू होने के बाद से बंद है, एलएमसी का कोई भी शख्स तब से यहां नहीं आया है. तो लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे मिलेगा? पुजारी रजिस्टर में सभी विवरणों को नोट कर रहा है, इसलिए जब भी कार्यालय खुलेगा तो मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा. अब तो भैया लॉकडाउन के बाद ही मोक्ष मिलेगा.’

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First published: April 30, 2020, 2:51 PM IST



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