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Lockdown: 7 साल की बच्ची समेत 50 बच्चे भूख से बचने के लिए 250 किमी पैदल चले, नक्सल प्रभावित बस्तर लौटे

सांकेतिक फोटो.

कोरोना वायरस (Coronavirus) और लॉकडाउन (Lockdown) की एक तस्वीर सड़कों पर पैदल चलते मजदूर और छोटे-छोटे बच्चों की है, जो भूख मिटाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर लौट रहे हैं.

दंतेवाड़ा: कोरोना वायरस (Coronavirus) और लॉकडाउन (Lockdown) मिलकर देश की दो तरह की तस्वीरें सामने ला रहे हैं. एक तस्वीर वह, जिसमें लोग लॉकडाउन का पालन करते हुए खुद को घरों में कैद कर लिया है. वे समय-समय पर सोशल मीडिया में अपनी तस्वीरें भी शेयर कर रहे हैं. देश की दूसरी तस्वीर सड़कों पर पैदल चलते मजदूर और छोटे-छोटे बच्चों की है, जो भूख मिटाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर लौट रहे हैं. इसका एक उदाहरण छत्तीसगढ़ में देखने को मिला है, जिसमें करीब 50 बच्चे 200 से 250 किलोमीटर पैदल चलकर बस्तर लौटे हैं. इनमें एक बच्ची तो महज सात साल की है.

कुछ दिन पहले ही छत्तीसगढ़ की 12 साल की बच्ची जमलो मडगाम की मौत ने दिलो-दिमाग को हिलाकर रख दिया था. यह बच्ची बीजापुर के आदेड गांव से रोजगार की तलाश में तेलंगाना के पेरूर गांव गई हुई थी. उसने वहां करीब दो महीने मिर्ची तोड़ने का काम किया. फिर लॉकडाउन (Lockdown) के कारण काम बंद हो गया. रोजगार छिनने से रहने-खाने का संकट आ गया. नतीजा यह हुआ कि जमलो अपने गांव के 11 लोगों के साथ पैदल ही तेलंगाना से बीजापुर रवाना हो गई. वे लगातार 3 दिन में करीब 100 किमी पैदल चलकर छत्तीसगढ़ के बीजापुर के मोदकपाल इलाके में पहुंचे. यहां 12 साल की जमलो डिहाइड्रेशन का शिकार होकर गई. उसकी मासूम की घर से महज 14 किमी पहले मौत हो गई.

जमलो मडगाम के बैग से 13,500 रुपए निकले. यह उसकी दो महीने की कमाई रही होगी, जिसे लेकर वह घर तक भी नहीं पहुंच पाई. लेकिन जमलो अकेली नहीं है, जिसे रोजगार की तलाश में नन्हीं उम्र में घर छोड़ना पड़ा है. अकेले दंतेवाड़ा में ही ऐसे कम से कम 50 साल के बच्चे हैं, जो रोजगार की तलाश में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश गए थे. लॉकडाउन के बाद इन सबका भी रोजगार छिन गया. जो थोड़े पैसे कमाए थे, उसके भरोसे परदेश में कब तक रहते. ये सब भी जंगली और पहाड़ी रास्तों पर पैदल निकल पड़े, ताकि घर पहुंच सकें और भूखों ना मरें.

आंध्रप्रदेश से बस्तर लौटने वालों में 7 साल की जोगा भी शामिल है. यह मासूम बच्ची अपनी मां के साथ 250 किमी पैदल चली ताकि घर लौट सके.  जोगा का पिरवार दो दिन पहले ही ककड़ी गांव पहुंचा है. बंगपाल गांव की 10, 13 और 15 साल की बहनें भी आंध्र प्रदेश से बस्तर लौट आई हैं क्योंकि लॉकडाउन के बाद वहां रुकने का कोई मतलब नहीं था. स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि करीब 2800 लोग अब भी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में फंसे हुए हैं.यह भी पढ़ें: 

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First published: April 28, 2020, 5:45 PM IST



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