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Lockdown: 1070 पर अजब-गजब शिकायतें, किसी को चाहिए बासमती चावल तो अपात्र को भी बनवाना है राशन कार्ड !| Lockdown: 1070 help lines Solving several complaints on every day | lucknow – News in Hindi

Lockdown: 1070 पर अजब-गजब शिकायतें, किसी को चाहिए बासमती चावल तो अपात्र को भी बनवाना है राशन कार्ड !

ACM किंशुक श्रीवास्तव बताती हैं कि रियल टाइम हेल्प की पुष्टि जिओ टैगिंग के जरिये भी की जाती है

Lockdown के बीच राजधानी लखनऊ में 1070 बनी लाइफ लाइन, हर दिन यहां सैकड़ों शिकायतों का समाधान रियल टाइम में किया जाता है, लेकिन कई बार यहां काम करने वालों को अजीबो-गरीब शिकायतें व झूठी शिकायतों से भी दो-चार होना पड़ता है…

लखनऊ. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Pandemic Coronavirus) के संक्रमण से बचाव के लिए देशव्यापी Lockdown है. ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा चालकों, रोज कमाने खाने वालों को हो रही है. प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) इन समस्याओं के समाधान के लिए लगातार काम कर रही है. सरकारी मशीनरी लगातार लोगों की समस्याओं के समाधान में जुटी हुई है. किसी को कोई समस्या न हो इसके लिए हेल्प लाइन नंबर 1070 जारी किया है. इस नंबर पर आने वाली शिकायतों के समाधान की कमान ओसी आपदा के कार्य देख रहीं एडिशनल सिटी मजिस्ट्रेट सप्तम किंशुक श्रीवास्तव के पास हैं. समस्याओं का निवारण पूरी मुस्तैदी से इनकी देख-रेख में किया जा रहा है. लेकिन कई बार बेहद अजीबो-गरीब शिकायतें भी आती हैं.

बासमती चावल चाहिए!
कुछ ऐसी ही शिकायतें News 18 से बातचीत के दौरान भी कंट्रोल रूम में आती हैं. एक शिकायतकर्ता फोन पर अड़ आता है कि उसे राशन में मोटा चावल दिया गया है उसे बासमती चावल दिलवाया जाए. ऑपरेटर उसे नहीं समझा पाता इसलिए उनसे बात करने को कहता है तो वो उसे समझाती हैं. एक पेंशन भोगी रिटायर्ड कर्मचारी उन्हें फोन कर अपना राशन कार्ड बनवाने को कहते हैं जबकि वो पात्र नहीं हैं लेकिन इस बात को समझने को तैयार नहीं, जिस पर वो समझाती हैं कि आपको पेंशन मिल रही है आपका राशन कार्ड नहीं बनवाया जा सकता.

उसी दौरान बेहद गुस्से में एक महिला का फोन आता है कि उसे राहत सामग्री में मात्र चावल मिला है तो वो उससे पूछती हैं कि उसका राशन कार्ड बना हुआ है, तो वो बताती है हां, वो फिर पूछती हैं कि पिछले महीने और इस महीने का राशन कोटेदार ने दिया, उसका जवाब फिर हां होता है. वो पूछती हैं कि फिर परेशानी क्या है तो वो कहती है ‘कोटे वाला तो राशन मिल ही रहा है ये राहत सामग्री वाले में बस चावल ही मिला है’. फिर वो उसे बड़े धैर्य से समझाती हैं कि अगर कोटे का राशन मिल रहा है तो फिर आपको आपदा के समय जरुरतमंदों को मिलने वाला राशन भी नहीं दिलाया जा सकता है. उसी दौरान ऑपरेटर बताता है कि एक किरायेदार को उसकी मकान मालिक घर खाली करने के लिए परेशान कर रही है तो वो मकान मालिक का नंबर लेकर उसे सख्त लहजे में चेतावनी देती हैं कि अगर आपने Lockdown अवधि में इस प्रकार का कार्य किया तो आपके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.हेल्प लाइन नंबर जारी होने के बाद हजारों काल्स का समाधान

ACM बताती हैं कि दिनभर में सैकड़ों शिकायतें आती रहती हैं जिनमें से ज्यादातर राशन व भोजन की दिक्कतें बताई जाती हैं. जिनकी समस्याओं का रियल टाइम में तत्काल निवारण किया जाता है. भोजन-राशन के अलावा मकान-मालिक द्वारा परेशान किए जाने वाली, मेडिकल सहायता या राशन कार्ड संबंधी व अन्य कई प्रकार की शिकायतें भी आती हैं. कई बार बहुत अजीबो-गरीब शिकायतें भी आती हैं और कुछ शिकायतें तो जांच कराये जाने पर झूठी भी पाई जाती हैं. अपने स्टाफ और कॉल ऑपरेटर्स की तारीफ़ करते हुए वो कहती हैं ये वो अनसीन वारियर हैं जो लगातार लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं. वो बताती हैं कि यहां शिकायत सिर्फ दर्ज नहीं की जाती हैं उनका समाधान किया जाता है. जैसे किसी ने भोजन या राशन न मिलने की शिकायत की तो उससे पूछा जाता है कि उसे कुक्ड फूड चाहिए या सूखा राशन. हालांकि जबसे गर्मी बढ़ी है ज्यादातर लोग सूखे राशन की डिमांड करते हैं. ऐसे में उनकी जरुरत के हिसाब से उनकी व्यवस्था के लिए संबंधित संस्था को कम से कम समय में जरूरतमंद तक पहुंचने का निर्देश दिया जाता है और शिकायतकर्ता को इत्तला कर दिया जाता है. वो कहती हैं इतने पर ही शिकायत क्लोज नहीं कर दी जाती है. सहायता पहुंचने के दिए गए समय के पश्चात फिर से फोन करके शिकायतकर्ता का फीडबैक लिया जाता है, उसकी संतुष्टि के बाद ही शिकायत क्लोज की जाती है.

1070 हेल्प लाइन

1070 हेल्प लाइन के अनसीन वारियर, रात-दिन अपने काम में लगे रहते हैं

झूठी शिकायतें
एडिशनल सिटी मजिस्ट्रेट किंशुक श्रीवास्तव बताती हैं कई बार शिकायतें झूठी भी मिलती हैं. ऐसे में गुस्सा भी आता है और सभी को परेशानी भी होती है. जैसे एक शिकायतकर्ता बार-बार राशन न मिलने की शिकायत कर रहा था. जब जांच करवाई गई तो पता चला पात्र न होते हुए भी उसको दो बार भोजन मिल चुका है उसके पास तीन मंजिला पक्का मकान है, बेटा बेंगलुरु में जॉब करता है जब संबंधित लेखपाल ने उनसे बार-बार शिकायत करने की वजह पूछी तो जनाब बोले कि अभी मुख्यमंत्री द्वारा डीबीटी खाते में दिया जाने वाला एक हजार रुपया खाते में नहीं आया है जब तक नहीं मिल जाएगा फीडबैक खराब दूंगा.  वो कहती हैं जरुरतमंदों का हक मारने वाले ऐसे लोगों से कैसे निबटा जाए ये एक बड़ी समस्या है. लेकिन अभी संकट के इस समय में एक भी जरूरतमंद वंचित न रह जाए सारा फोकस इस बात पर है.

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First published: April 28, 2020, 2:23 PM IST



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