कोरोना वायरस: गृह मंत्रालय ने कहा- प्रवासी मजदूरों का वापस लौटना ग्रामीण क्षेत्रों के लिए हो सकता है खतरा | nation – News in Hindi


गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि प्रवासी मजदूरों को अपने काम की जगह से अपने घर-गांव लौटने की कोई जरूरत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 12 अप्रैल को जमा की गई स्टेटस रिपोर्ट में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला (Ajay Bhalla) ने कहा कि “बड़े समूह में लोगों के एक साथ यात्रा करने से कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी, जो पहले से ही वैश्विक महामारी (Pandemic) का रूप ले चुकी है, अपने आप में अभी भी सबसे गंभीर रूप में प्रकट होगी जो इसे असहनीय बना सकती है.”
सुप्रीम कोर्ट में 12 अप्रैल को जमा की गई स्टेटस रिपोर्ट में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि बड़े समूह में लोगों के एक साथ यात्रा करने से एक महामारी, जो पहले से ही वैश्विक महामारी का रूप ले चुकी है, अपने आप में अभी भी सबसे गंभीर रूप में प्रकट होगी जो इसे असहनीय बना सकती है.”
सार्वजनिक वाहनों पर लगा हुआ है प्रतिबंध
बता दें 24 मार्च से जारी लॉकडाउन के चलते देश में हर तरह के सार्वजनिक वाहन पर प्रतिबंध लगा हुआ है, सभी राज्यों के बॉर्डर सील हैं. जिसके चलते लाखों की तादाद में प्रवासी मजदूर शहरी इलाकों से अपने घर पहुंचे के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर पैदल निकले थे. 28 मार्च को गृह मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिए कि वह इन लोगों के लिए राहत शिविरों और भोजन का प्रबंध करें.गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि प्रवासी मजदूरों को अपने काम की जगह से अपने घर-गांव लौटने की कोई जरूरत नहीं है. उनकी रोजाना की जरूरतें जहां वह काम कर रहे हैं वहां पूरी की जाएंगी जबकि उनके परिवार वालों की उनके गांव में. रिपोर्ट में कहा गया कि बड़ी तादाद में मजदूर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करते हुए पैदल या अन्य साधनों से यात्रा कर रहे हैं जो कि उनके साथ-साथ दूसरों की जान के लिए भी खतरा बन सकता है.
सभी मजदूरों की आवाजाही बंद
बता दें बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश ने सबसे पहले पूरे देश में फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस अपने राज्यों में उनके घरों को ले जाने की घोषणा की थी. रविवार को हरियाणा से कुछ कामगारों को उत्तर प्रदेश के एटा लाया गया था.जिसके लिए बसों की व्यवस्था राज्य सरकार ने की थी. इसके बाद इन लोगों को क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया गया. यूपी को देखते हुए अन्य राज्यों जैसे पंजाब, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र अन्य राज्यों से अपने लोगों को वापस लाना चाहते थे लेकिन वहीं 19 अप्रैल को गृह मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देशों में कहा गया था कि एक से दूसरे राज्यों में मजदूरों की आवाजाही पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी.
वहीं गृह मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि देश में गेहूं की 80 प्रतिशत से अधिक फसल की कटाई हो चुकी है और अब अधिकतर मंडियों में काम हो रहा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने संवाददाताओं से कहा कि देश में अब तक दो करोड़ से अधिक लोगों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत जल संरक्षण और सिंचाई कार्यों में रोजगार मिला है. उन्होंने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि 80 प्रतिशत गेहूं की फसल की कटाई हो चुकी है, वहीं इस समय में देश में करीब 2,000 या 80 प्रतिशत बड़ी मंडियों में काम हो रहा है.
प्रवासी मजदूरों को मिल रहा है रोजगार
श्रीवास्तव ने कहा कि एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में करीब 60 प्रतिशत खाद्य-प्रसंस्करण इकाइयां संचालित हैं. इनके अलावा विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) में अब 2825 इकाइयां तथा करीब 350 निर्यातोन्मुखी इकाइयां चालू हैं. अधिकारी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण कार्य, ईंट भट्टे और सड़क परियोजनाएं शुरू हो गयी हैं और स्थानीय तथा प्रवासी मजदूरों को फिर से रोजगार मिल रहा है. श्रीवास्तव ने कहा कि तिलहन और दलहन की खरीद चल रही है. उन्होंने कहा कि ‘किसान रथ’ मोबाइल ऐप ने लॉकडाउन के दौरान किसानों और व्यापारियों के बीच खरीद तथा बिक्री को आसान किया है. 80 हजार से अधिक किसान और 70 हजार व्यापारियों ने ऐप पर पंजीकरण कराया है.
अधिकारी ने कहा, ‘‘महत्वपूर्ण बात यह है कि इन गतिविधियों को संचालित करते समय हम सतर्कता बरतें और सामाजिक-दूरी बनाने, मास्क पहनने के नियमों का पालन करें तथा साफ-सफाई रखें.’श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड-19 की कड़ी को केवल लॉकडाउन के नियमों का कड़ाई से पालन करके तोड़ा जा सकता है और इसके लिए महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकारें उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें.
(भाषा के इनपुट सहित)
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First published: April 28, 2020, 5:40 AM IST