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50 हजार करोड़ रुपये के जरिए म्यूचुअल फंड्स को कैसे बचाएगा RBI? जानिए यहां – how rbi 50000 crore lifeline will help Mutual Funds after franklin Templeton fiasco know in details – | business – News in Hindi

नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) के लिए 50,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी प्रदान करने का ऐलान किया. RBI ने यह कदम फाइनेंशियल मार्केट में लोगों का भरोसा कायम करने के लिए उठाया है. खासतौर से एक ऐसे मौके पर जब बीते कुछ महीनों में इसपर खासा असर देखने को मिले. इस कड़ी में अब फ्रेंक्लिन टेम्पलेटन (Franklin Templeton Fiasco) भी जुड़ चुका है.

मौजूद ​समय में अनिश्चित्तता के बीच वित्तीय​ स्थितरता को बनाए रखने के लिए RBI द्वारा उठाए गए कई कदम में से यह भी एक कदम है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shkatikanta Das) ने कहा है कि बाजार में स्थितरता बनाए रखने के लिए जो भी जरूरी कदम होंगे, RBI वो कदम उठाएगा. उन्होंने इसे ‘युद्ध जैसी परिस्थिति’ करार दिया है.

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ग्रोथ को रिवाइव करने के​ लिए जरूरी कदम उठाएगा RBIअप्रैल के शुरुआत में ही उन्होंने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक लगातार जागरूक बना रहेगा और कोई भी जरूरी कदम उठाने से हिचकेगा नहीं है. कोविड-19 के असर को कम करने के लिए हम जरूरी एवं परंपरागत या अपरंपरागत कदम उठाएंगे, ताकि ग्रोथ को रिवाइव किया जा सके और वित्तीय बाजार में स्थिरता कायम हो सके.’

केंद्रीय बैंक ने 50,000 करोड़ रुपये के इस राहत के ऐलान के दौरान कहा कि म्यूचुअल फंड्स में लिक्विडिटी दबाव है, जोकि फ्रेंक्लिन टेम्पलेटन डेट म्यूचुअल फंउ्स बंद होने के साथ और बढ़ गया है. आइए जानते हैं म्यूचुअल फंड्स पर इस लिक्विडिटी बोझ का क्या असर पड़ेगा और RBI इसके लिए क्या कर रहा है.

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1. म्यूचुअल फंड्स के लिए यह समस्या क्यों खड़ी हुई?
कोविड-19 महामारी और इसके बाद लॉकडाउन की वजह से बिजनेस पर आर्थिक संकट गहरा गया है. इस वजह से कुछ बिजनेस के लिए लोन मुहैया कराने वाले म्यूचुअल फंड्स पर दोहरी मार पड़ी है. पहला तो यह कि मौजूदा परिस्थित में म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स (Mutual Fund Investors) अपनी पूंजी निकाल रहे हैं. लेकिन फंड्स द्वारा बॉन्ड्स को लिक्विडेट करने में समस्या आ रही है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि जिन बिजनेस को वो चलाते हैं, उनमें खरीदार नहीं है. वहीं, बॉन्ड पेपर्स बेहद की कम रकम पर बिक रहे हैं.

हाल ही में फ्रेंक्लिन टेम्पलेटन ने अपने 6 फंड्स को बंद करने का फैसला लिया. इससे म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए मौजूदा संकट और भी बढ़ गया है. इन्वेस्टर्स के सेंटीमेंट पर इसका असर पड़ा और वो पैनिक की स्थिति में हैं. फ्रेंक्लिन टेम्पलेटन ने कहा कि वो अपने बॉन्ड्स बेहद की कम दाम पर बेचने के विकल्प तलाश रहा है ताकि मौजूदा इन्वेस्टर्स के लिए वह पूंजी जुटा सके. ऐसे में उन इन्वेस्टर्स पर असर पड़ेगा जो इसमें बने रहना चा​हते हैं.

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2. हाल में म्यूचुअल फंड्स से कितनी रकम निकली जा चुकी है?
मार्च महीने में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री से कुल 2.3 लाख करोड़ रुपये निकाला गया है. AMFI द्वारा हाल ही में जारी आंकड़े से यह जानकारी मिलती है. फरवरी में करीब 1,985 करोड़ रुपये की निकासी की गई थी. छोटी अवधि में पैसों की जरूरत पूरा करने के लिए कॉरपोरेट्स जिन लिक्विड फंड में पैसे रखते हैं, उसपर सबसे अधिक असर पड़ा है. मार्च महीने में इन्होंने 1.1 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं, जबकि फरवरी में 43,825 करोड़ रुपये की निकासी की गई थी.

3. म्यूचुअल फंड में आखिर कितनी लिक्विडिटी की जरूरत है?
B&K सिक्योरिटीज ने 16 अप्रैल को एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि म्यूचुअल फंड द्वारा होल्ड किए जाने वाले कुल 13.11 लाख करोड़ रुपये के डेट फंड् में से करीब 4.57 लाख करोड़ रुपये के फंड्स अगले 6 महीने में मैच्योर हाने वाले हैं.

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4. RBI ने मदद के लिए क्या किया है?
RBI ने सोमवार को म्यूचुअल फंड्स में लिक्विडिटी के लिए 50,000 करोड़ रुपये की राहत देने का ऐलान किया है. RBI बैंकों को 4.4 फीसदी की बेहद कम दर पर बैंकों को कर्ज देगा. इसके बाद बैंक इन म्यूचुअल फंड्स को कर्ज देंगे या म्यूचुअल फंड्स से इन्वेस्टमेंट ग्रेड के पेपर्स खरीदेंगे.

इन्वेस्टर्स को पेमेंट करने के लिए म्यूचुअल फंड्स को पैसों की जरूरत है आमतौर पर वो पेपर्स बेचकर इसे जुटाते हैं. सेबी के नियमों के मुताबिक, म्यूचुअल फंड् अपने कुल AUM का 20 फीसदी 6 महीने के कर्ज के रूप में ले सकते हैं. आमतौर पर म्यूचुअल फंड्स के लिए बैंक लाइन ऑफ क्रेडिट को बढ़ा देते हैं.

इस ऐलान के बाद RBI चाहता है कोशिश कर रहा कि सभी इन्वेस्टमेंट ग्रेड पेपर्स के लिए मार्केट बना रहे. इसमें AAA रेटिंग न होने वाले पेपर्स भी शामिल हैं. साथ ही, RBI चाहता है कि कोई फंड फ्रीज भी न हो जैसा कि फ्रैंकलीन टेम्प्लेटन के मामले में देखने को मिला.

हाल ही में RBI ने कॉरपोरेट्स और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिए भी ऐसे ही टार्गेटेड लिक्विडिटी लाइंस का ऐलान किया था. RBI इसे टोर्गेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशेन (TLTRO) के जरिए पूरा करेगा. अब तक बैंकों ने टीएलटीआरओ 2.0 को लेकर कुछ खास रिस्पॉन्स नहीं दिया है.

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मौजूदा अनिश्चित्ता को देखते हुए इंडस्ट्रीज और NBFC को कर्ज देने के बजाए बैंक अब RBI के पास बड़े स्तर पर पैसे रख रहे हैं. पिछले सप्ताह बैंकों ने RBI के पास करीब 7 लाख करोड़ रुपये रखे हैं. RBI से इन बैंकों को 3.75 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है.

5. क्या RBI ने म्यूचुअल फंड्स के लिए पहले भी ऐसा कोई कदम उठाया है?
RBI ने साल 2008 में वित्तीय संकट के दौरान म्यूचुअल फंड्स के लिए कुछ ऐसा ही कदम उठाया था. उस दौरान भी म्यूचुअल फंड्स में जबरदस्त दबाव देखने को मिला था. RBI ने 14 अक्टूबर 2008 को RBI ने 9 फीसदी की दर से 14 दिनों के लिए 20,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराया था ताकि म्यूचुअल फंड्स के लिए बैंक पर्याप्त लिक्विडिटी मुहैया करा सकें.

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