जब अज्ञातवास से पहले ही मार दिए गए थे चार पांडव …। when four pandav brothers becomes dead in forest when going for a sefe place in agyatvas | nation – News in Hindi
दरअसल ये मामला तब का है जब पांडव वनवास के 13 साल पूरे कर चुके थे. इसके बाद उन्हें अज्ञातवास में एक साल बिताना था. इसके लिए वो ऐसी जगह तलाश रहे थे, जहां उन्हें आश्रय मिल जाए और कोई पहचान भी नहीं पाए.
इसी क्रम में जब पांडवों ने वन से किसी सुरक्षित स्थान की यात्रा शुरू की तो रास्ते में उन्हें बहुत प्यास लगी. सभी पांडव द्रोपदी के साथ वन में एक जगह ठहर जाते हैं. सबसे पहले नकुल को पानी की तलाश में भेजा जाता है.
नकुल को पास में ही एक साफसुथरे पानी का जलाशय नजर आता है. वो जैसे ही वहां से पानी पीने के लिए अपनी अंजुलि भरता है. तभी आवाज आती है कि तुम इस तरह इस सरोवर का पानी नहीं पी सकते हो, इसके लिए तुम्हें अनुमति लेनी होगी. नकुल ने उस आवाज को अनसुना कर देता है. जैसे ही वो अंजुलि में भरा पानी पीता है, उसकी मृत्यु हो जाती है.यही हाल अर्जुन, भीम और सहदेव का भी होता है
यही हाल फिर वहां आए सहदेव का होता है. जब अर्जुन और भीम बारी बारी से वहां आते हैं और अपने भाइयों को मृत देखते हैं तो गुस्से में भर जाते हैं और वो भी सरोवर से आने वाली चेतावनी पर ध्यान नहीं देते. इससे वो भी मारे जाते हैं.
युधिष्ठिर चारों भाइयों को मृत देखते हैं
आखिर में युधिष्ठिर उस जलाशय पर पहुंचते हैं. युधिष्ठिर भी देखते हैं कि उनके चारों भाई मृत पड़े हुए हैं. उन्हें समझ में नहीं आता कि ये क्या हो गया. लेकिन चारों मृत भाई देखकर उन्हें समझ में आ जाता है कि ये रहस्य सरोवर से ही जुड़ा है.
ज्येष्ठ पांडु पुत्र युधिष्ठिर जब देखते हैं कि उनके चारों भाई पानी लेने गए लेकिन कोई नहीं लौटा तो वो खुद सरोवर की ओर जाते हैं और चारों भाइयों को मृत पाते हैं. उसमें भीम, अर्जुन भी शामिल रहते हैं
सरोवर का यक्ष युधिष्ठिर से वही बात कहता है
जब युधिष्ठिर ने भी सरोवर से जल पीने की कोशिश की तो उससे फिर पहले की तरह आवाज आई कि पहले मेरे सवालों को जवाब दो, अन्यथा तुम भी अपने भाइयों की तरह मारे जाओगे. युधिष्ठिर ने पूछा कि आप कौन हैं. तब सरोवर से आवाज आई- मैं सरोवर का अधिकारी यक्ष हूं. सरोवर का जल केवल उसी को मिलेगा, जो मेरे सवालों का जवाब देगा.
यक्ष ने पूछे ये सवाल
यक्ष के ऐसा कहने के बाद ज्येष्ठ पांडव पुत्र उनसे सवाल पूछने को कहते हैं. तब यक्ष ने युधिष्ठिर से कई सवाल पूछे. उन्होंने सभी के सही जवाब दिए
सवाल- आकाश से ऊंचा, पृथ्वी से भारी और वेग से भी तेज कौन है
युधिष्ठिर का जवाब – पृथ्वी से भारी मां हैं, आकश से ऊंचे पिता है, हवा से ज्यादा वेग चिंता है.
सवाल– मनुष्य का साथ कौन देता है?
जवाब – धैर्य ही मनुष्य का साथी होता है.
जब वो सरोवर के जवाब देने को तैयार हो जाते हैं तो सरोवर से एक यक्ष प्रकट होता है, जो उनसे एक के बाद एक कई सवाल पूछता है. हर सवाल का जवाब युधिष्ठिर सही देते हैं
सवाल – कौन सा शास्त्र है, जिसका अध्ययन करके मनुष्य बुद्धिमान बनता है ?
– कोई भी ऐसा शास्त्र नहीं है. महान लोगों की संगति से ही मनुष्य बुद्धिमान बनता है.
सवाल – घास से भी तुच्छ चीज क्या है ?
– चिंता.
सवाल – विदेश जाने वाले का साथी कौन होता है ?
– विद्या.
सवाल – मरणासन्न वृद्ध का मित्र कौन होता है?
– दान, क्योंकि वही मृत्यु के बाद अकेले चलनेवाले जीव के साथ-साथ चलता है.
सवाल- बर्तनों में सबसे बड़ा कौन-सा है?
– भूमि ही सबसे बड़ा बर्तन है जिसमें सबकुछ समा सकता है.
सवाल – किसके छूट जाने पर मनुष्य सर्वप्रिय बनता है ?
– अहंभाव के छूट जाने पर मनुष्य सर्वप्रिय बनता है.
सवाल – किस चीज को गंवाकर मनुष्य धनी बनता है?
– लालच को खोकर.
सभी भाई जिंदा हो जाते हैं
युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी सवालों के सही जवाब दिए. इससे खुश होकर यक्ष ने उनसे कहा कि मैं तुम्हारे जवाब से बहुत खुश हूं. तुम्हारे एक भाई को मैं जिंदा कर सकता हूं. तब युधिष्ठिर ने कहा कि नकुल सबसे छोटा है, इसलिए उसे जीवित करिए. इस पर यक्ष खुश होकर कहता है युधिष्ठिर तुम वास्तव में श्रेष्ठ हो मैं तुम्हारे सारे भाइयों को जिंदा करता हूं. इस तरह सारे भाई जिंदा हो गए.
तब युधिष्ठिर ने यक्ष से पूछते हैं कि जान देने वाले केवल देवता होते हैं इसलिए आप यक्ष तो नहीं हो सकते. अपना सही परिचय दें. तब यक्ष उनके सामने प्रकट होता है. वो दरअसल खुद धर्मराज होते हैं और युधिष्ठिर की परीक्षा लेने के लिए वहां आते हैं. युधिष्ठिर को वो उसी प्रकार पाते हैं, जैसी उन्होंने उनकी कीर्ति सुन रखी है.
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