कोरोना वायरस के दौरान नॉनवेज खाने को बढ़ावा देने के सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका | Centres nod to egg and chicken amid Coronavirus outbreak challenged in Supreme court | nation – News in Hindi
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता विश्व जैन संगठन, ने 30 मार्च के केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी जिसमें चिकन और अंडे के सेवन को बढ़ावा दिया गया था और जिसमें दावा किया गया था कि ये फैसला कोरोनावायरस के अंतिम स्रोत का पता लगाने के लिए दुनिया भर के जीवविज्ञानियों द्वारा किए गए प्रयासों की उपेक्षा करता है.
समय से पहले जारी किया गया सर्कुलर
याचिका में कहा गया कि इस घातक वायरस के प्रसार के बीच लोगों को मांस खाने की सलाह देने वाला 30.03.2020 का यह सर्कुलर प्रीमेच्योर है और इसे तब जारी किया गया है जब दुनिया भर के जीवविज्ञानी अभी भी इसके स्रोत और जानवरों के साथ इसके इंटरफेस की खोज कर रहे हैं.केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने 30 मार्च को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक संदेश भेजा था जिसमें कहा गया था कि कोविड-19 के प्रसार में अंडे और चिकन की कोई भूमिका नहीं है और सोशल मीडिया, टेलीविजन और रेडियो पर अभियानों के माध्यम से उनकी खपत को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
‘लोगों को ज्यादा से ज्यादा मांस खाने के लिए उकसाया गया’
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि बिना किसी आधार के जारी किए गए सर्कुलर ने मीट लॉबी के दबाव में आकर बिना किसी आवश्यकता या अधिकार क्षेत्र के लोगों को ज्यादा से ज्यादा मांस खाने के लिए उकसाया.
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि “स्वाद में बदलाव के लिए घरेलू और जंगली दोनों प्रकार के जानवरों का सेवन करने वाले कुछ लोगों की हिंसक बर्बर खाने की आदतों” के कारण शाकाहारियों को नुकसान हो रहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन, याचिकाकर्ता ने राष्ट्रों से कोविड -19 के उद्भव में जानवरों की प्रजातियों की भूमिका की पहचान करने का आह्वान किया था. इसने साथ-साथ देशों से व्यापार और संभावित रूप से संक्रमित पशु प्रजातियों के उपभोग से जुड़े जोखिमों की पहचान करने का भी आग्रह किया था.
याचिका में कहा गया है, “हालांकि, इस शोध के परिणाम का इंतजार करने से पहले, चिकन और मांस को पूरी तरह सुरक्षित मानते हुए सर्कुलर जारी किया गया है.”
जानवरों की हत्या पर लगनी चाहिए रोक
याचिकाकर्ता ने अनुच्छेद 51-ए (जी) सहित संवैधानिक प्रावधानों का भी हवाला देते हुए कहा कि, जो कि “जंगलों, झीलों, नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना और जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखना” सभी नागरिकों का संवैधानिक कर्तव्य बनाता है.
कोविड -19 के उद्भव में जानवरों की भूमिका पर अनुभवजन्य शोध की मांग के अलावा याचिका में यह भी कहा गया है कि हलाल के माध्यम से जानवरों के वध सहित सभी जानवरों और पक्षियों की हत्या पूरी तरह से रोक दी जानी चाहिए.
याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की है कि “पशु / पक्षियों / मछलियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय नीति की रूपरेखा तैयार करने के लिए भारत के संघ को एक उपयुक्त दिशा जारी करना चाहिए, मानव अस्तित्व के लिए प्रकृति द्वारा बनाई गई किसी भी अन्य गैर-मानव प्रजाति को पूरी तरह से मारने, यातना देने या चोट पहुंचाने के लिए सड़क का नक्शा बनाना चाहिए.
ये भी पढ़ें-
अब कर्मचारियों को मिलेगी ये सुविधा, सरकार ने कहा- अनिवार्य रूप से लागू करें
COVID-19: दिल्ली में 128 नए मामले, कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़कर 92 हुई