COVID-19: लॉकडाउन से दिल्ली की हवा हुई स्वच्छ, आधा घटा PM 2.5, PM 10 का स्तर – COVID-19 Delhi air clean due to lockdown half of PM 2.5 and PM 10 level | delhi-ncr – News in Hindi


COVID-19: लॉकडाउन (Lockdown) में सड़कों पर बहुत कम वाहनों के चलने, सिर्फ आवश्यक वाणिज्यिक इकाइयों के संचालित होने और प्रदूषकों के बिखराव के लिए अनुकूल मौसमी दशाएं रहने से सीपीसीबी ने दिल्ली में ‘पीएम 2.5’ में 46 प्रतिशत और ‘पीएम 10’ में 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की है.
COVID-19: लॉकडाउन (Lockdown) में सड़कों पर बहुत कम वाहनों के चलने, सिर्फ आवश्यक वाणिज्यिक इकाइयों के संचालित होने और प्रदूषकों के बिखराव के लिए अनुकूल मौसमी दशाएं रहने से सीपीसीबी ने दिल्ली में ‘पीएम 2.5’ में 46 प्रतिशत और ‘पीएम 10’ में 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की है.
वायु गुणवत्ता की प्रवृत्ति का दो चरणों में अध्ययन किया गया–लॉकडाउन से पहले 16 मार्च से 21 मार्च तक की अवधि और लॉकडाउन के दौरान, 25 मार्च से 15 अप्रैल के बीच. सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘पीएम 2.5, पीएम 10 और नाइट्रोजन ऑक्साइड में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है. पीएम 2.5 में 46 प्रतिशत और पीएम 10 के सकेंद्रण या जमा होने में 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.’ ‘पीएम 2.5’ हवा में तैरते बारीक कण हैं, जिनका व्यास 2.5 माइकोमीटर से कम होता है. यह फेफड़े में और यहां तक कि रक्त प्रवाह में भी प्रवेश कर सकता है.
दिल्ली का 81% नाइट्रोजन ऑक्साइड परिवहन से
सीपीसीबी ने कहा है कि पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर में कमी मुख्य रूप से यह संकेत करता है कि ईंधन के दहन और प्रदूषण के औद्योगिक स्रोतों में कमी आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि टेरी उत्सर्जन सूची, 2018 के मुताबिक दिल्ली का 81 प्रतिशत नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओ2) परिवहन क्षेत्र से पैदा होता है. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान वाहनों के परिचालन पर रोक से लॉकडाउन के पहले की अवधि की तुलना में एनओ2 के स्तर में 56 प्रतिशत और कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) के सकेंद्रण में 37 प्रतिशत से अधिक कमी दर्ज की गई है.बेंजीन के स्तर में 47 प्रतिशत की कमी
सीपीसीबी रिपोर्ट के मुताबिक परिवहन क्षेत्र और औद्योगिक इकाइयों पर प्रतिबंध से बेंजीन के स्तर में 47 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. ये दोनों बेंजीन उत्सर्जन के दो बड़े स्रोत हैं. इसमें कहा गया है, ‘हालांकि सल्फर डॉइऑक्साइड (एसओ2) के स्तर में सिर्फ 19 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जो इस कारण हो सकती कि दिल्ली का 70 प्रतिशत एसओ2 राष्ट्रीय राजधानी के आसपास मौजूद बिजली घरों से पैदा होता है (टेरी उत्सर्जन सूची, 2018 के मुताबिक). जबकि, लॉकडाउन के दौरान बिजली घर चालू हैं.’
किया गया 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट के आंकड़ों का विश्लेषण
सीपीसीबी ने दिल्ली के 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट से प्राप्त आंकड़ों का भी विश्लेषण किया है. रिपोर्ट के मुताबिक आनंद विहार में लॉकडाउन के दौरान पीएम 2.5, पीएम 10 और एनओ2 के स्तर में क्रमश: 62, 69 और 72 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई. वहीं, जीटी रोड के पास स्थित विवेक विहार में एनओ2 स्तर में 60 प्रतिशत की कमी देखी गई. सीपीसीबी ने कहा है कि द्वारका सेक्टर 8 में पीएम 2.5, पीएम 10 और एनओ2 के स्तर में क्रमश 48, 61 और 68 प्रतिशत कमी दर्ज की गई, जबकि ओखला में नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर में 72 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई.
धूल भरी आंधी बनी मददगार
लॉकडाउन के प्रथम दो हफ्तों (25 मार्च से छह अप्रैल तक) की तुलना में सात अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच पीएम 2.5 के स्तर में 27 प्रतिशत और पीएम 10 के सकेंद्रण में 65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. सीपीसीबी ने कहा है कि पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर अब भी लॉकडाउन पूर्व की अवधि की तुलना में क्रमश: 39 प्रतिशत और 35 प्रतिशत कम है. इसका मुख्य श्रेय मौसमी दशाओं में आए बदलाव को जाता है. प्रदूषण नियंत्रण शीर्ष संस्था ने यह भी कहा है कि गर्मियों का मौसम शुरू होने के साथ वातावरण शुष्क हो गया और धूल भरी आंधी भी चलने लगी है, जो दिल्ली और एनसीआर में पीएम 2.5 तथा पीएम 10 के बिखराव में मददगार रही है.
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First published: April 23, 2020, 6:37 PM IST