‘COVID-19 Warrior’ के लिए लम्बे वक्त तक वजनी ‘सुरक्षा कवच’ धारण करना आसान नहीं – It is not easy for COVID-19 warriors to wear long-sleeved safety shield | indore – News in Hindi
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निजी सुरक्षा उपकरण पहना हुआ कोविड-19 वॉरियर्स. (प्रतीकात्मक फोटो)
काम के बोझ के साथ गर्मी के दिनों-दिन बढ़ते प्रकोप के कारण इंदौर (Indore) में ‘कोविड-19 योद्धाओं’ (COVID-19 Warriors) के लिए निजी सुरक्षा उपकरणों (PPE) की किट लम्बे समय तक पहनकर ड्यूटी करना कतई आसान नहीं है.
अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि शहर के श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) में फिलहाल कोविड-19 के 415 मरीज भर्ती हैं. इस बड़ी तादाद के लिहाज से यह देश में इस महामारी के मरीजों का इलाज कर रहे सबसे व्यस्त अस्पतालों में शुमार है. इस अस्पताल में डॉक्टरों के साथ ही नर्सों, पैरामेडिकल कर्मियों और वॉर्ड बॉय तक के लिए पीपीई किट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है ताकि इन्हें संक्रमण से बचाया जा सके.
8 घंटे तक पीपीई किट पहने रहते हैं डॉक्टर
सैम्स के छाती रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रवि डोसी ने बताया कि, ‘कोविड-19 के मरीजों की बड़ी तादाद के चलते मुझे दिन में आठ घंटे तक पीपीई किट पहनकर रहना पड़ता है. इसके लिये बड़े सब्र और सहनशक्ति की जरूरत होती है.’ डोसी ने बताया कि पीपीई किट में पूरा शरीर ढंकने वाले विशेष कपड़ों के साथ हेड गियर, फेस शील्ड, चश्मा, एन-95 मास्क, एक अन्य मास्क, हाथों के लिए दो जोड़ी लम्बे दस्ताने, घुटने तक के मोजे, शू कवर और अन्य सुरक्षा उपकरण शामिल होते हैं. इनका कुल वजन करीब डेढ़ किलोग्राम होता है.किट पहनने के बाद उमस से हो रही दिक्कत
उन्होंने बताया, ‘पहले मुझे पूरी पीपीई किट पहनने और उतारने में 15-15 मिनट लगते थे. लेकिन अब मुझे इसकी आदत पड़ चुकी है और मैं ये काम पांच-पांच मिनट में ही कर लेता हूं.’ डोसी ने बताया कि दिन का तापमान बढ़ने के कारण पीपीई किट पहनने के बाद स्वास्थ्य कर्मियों को उमस के कारण शरीर में चिपचिपापन महसूस होता है. इसके साथ ही, हाथों में दो जोड़ी दस्ताने पहने होने के कारण चीजों को पकड़ने और अन्य सामान्य काम करने में भी दिक्कत पेश आती है.
पानी कम पीते हैं ताकि वॉशरूम कम जाना पड़े
उन्होंने बताया कि चूंकि एक बार पीपीई किट पहन लेने के कारण इसे बार-बार उतारना मुश्किल है, इसलिए इसे पहनने वालों को अपने प्राकृतिक वेगों पर भी नियंत्रण करना होता है. डोसी ने बताया, ‘काम ज्यादा होने पर हम पानी कम मात्रा में पीते हैं, ताकि हमें बार-बार वॉशरूम न जाना पड़े.’ इंदौर में कोविड-19 के निषिद्ध क्षेत्रों (कंटेनमेंट जोन) में तैनात कई पुलिस कर्मी भी पीपीई किट पहने नजर आते हैं. हालांकि, इस महामारी के प्रकोप के कारण 25 मार्च से कर्फ्यू के दायरे में आए शहर में इस किट को लेकर खाकी वर्दी वालों की अपनी व्यावहारिक परेशानियां हैं.
पुलिस की एक महिला अधिकारी ने नाम जाहिर न किए जाने की शर्त पर बताया, ‘हम जानते हैं कि पीपीई किट हमारे बचाव के लिए है लेकिन चिलचिलाती धूप में सड़कों पर पैदल गश्त करते वक्त इसे लम्बे समय तक पहनकर रहना बिल्कुल भी आसान नहीं है. शहर के हालात को देखते हुए हमें लगातार काम करना पड़ रहा है और अलग-अलग तरह के लोगों से निपटना पड़ रहा है.”
ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है इंदौर
इंदौर, देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक इंदौर जिले में बृहस्पतिवार सुबह तक कोविड-19 के कुल 945 मरीज मिल चुके हैं. इनमें से 53 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है जबकि 77 मरीजों को स्वस्थ होने पर अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है.
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First published: April 23, 2020, 5:42 PM IST