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Coronavirus: वुहान डायरी की लेखिका को मिली जान से मारने की धमकी, शहर के बीच लगा पोस्टर Wuhan author wrote about coronavirus now death threats | knowledge – News in Hindi

वुहान (Wuhan) की रहने वाली फेंग फेंग (Fang Fang) ने लॉकडाउन (lockdown) के दौरान एक के बाद एक 60 पोस्ट लिखीं, जिसे अपने सोशल मीडिया (social media) अकाउंट पर भी डाला. सोशल पर तो पोस्ट लोकप्रिय हुईं ही, साथ ही इसे विदेशी भाषाओं में किताब की शक्ल में छापने की पहल भी हो गई. इससे नाराज कई चीनियों ने लेखिका को धमकाना शुरू कर दिया. यहां तक कि उनका पता भी सार्वजनिक हो गया.

बताया जा रहा है कि उनकी पोस्ट को जर्मन और अंग्रेजी में छापा जा सकता है. हालांकि धमकियां मिलने के बाद उनके जर्मन प्रकाशक ने अपनी किताब के कवर को कथित तौर पर वापस ले लिया है. इसका शीर्षक था- ‘वुहान डायरी: उस शहर की निषिद्ध डायरी, जहां से कोरोना संकट शुरू हुआ था’. समृद्ध और बौद्धिक परिवार में जन्मी फेंग फेंग का असल नाम वांग फेंग (Wang Fang) है लेकिन लेखन के लिए उन्होंने फेंग फेंग चुना. बीते कई सालों से वे लगातार चीन के मामलों पर लिख रही हैं. साल 2010 में लेखिका को चीन का सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार भी मिल चुका है.

फेंग फेंग ने वुहान के अस्पतालों के बारे में भी पोस्ट लिखी थी

क्या लिखा था पोस्ट मेंलेखिका फेंग फेंग ने लॉकडाउन के बाद 25 जनवरी से डायरी लिखनी शुरू की थी. कोरोना के दौरान वुहान पर उनकी आखिरी पोस्ट 24 मार्च को आई, जब चीन की सरकार ने लॉकडाउन खत्म करने का एलान किया था. अपनी पोस्ट में वे उन बातों को लिखती रहीं, जिनपर परदा था. जैसे उन्होंने इस दौरान क्या सुना, क्या देखा और क्या महसूस किया. साथ ही लेखिका ने पोस्ट में बौद्धिक और आम लोगों की कोरोना और लॉकडाउन पर राय भी डाली.

उनकी एक पोस्ट काफी पसंद की गई और उसपर काफी लोगों की प्रतिक्रिया भी आई, जिनमें उन्होंने एक स्थानीय श्मशान का माहौल लिखा था. लेखिका को उनके एक डॉक्टर मित्र ने एक तस्वीर भेजी थी, जिसमें लोगों के मोबाइल फोन अनाथों की तरह पड़े हुए थे. ये फोन उन लोगों के थे, जो कोरोना की वजह मरे थे. फेंग फेंग ने वुहान के अस्पतालों के बारे में भी पोस्ट लिखी थी. पोस्ट्स में सरकारी और प्रशासनिक बंदोबस्त का भी जिक्र था. जैसे अस्पतालों से मरीजों को लौटाया जाना या मास्क खत्म होना. साथ ही एक अनाम डॉक्टर के हवाले से कोरोना के एक से दूसरे व्यक्ति तक फैलने की बात भी लिखी हुई थी.

लेखिका को उनके एक डॉक्टर मित्र ने एक तस्वीर भेजी थी, जिसमें लोगों के मोबाइल फोन अनाथों की तरह पड़े थे

अकाउंट किया गया बंद
हालांकि बाद में धमकियों की वजह से उन्हें काफी कुछ डिलीट करना पड़ा. ऐसा उन्होंने एक स्थानीय मीडिया Caijing को दिए एक साक्षात्कार में कहा था. इसके साथ ही उनका सोशल मीडिया अकाउंट Weibo अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया. बता दें कि चीन में कम्युनिस्ट सरकार के कुछ नियमों में से एक ये भी है कि वहां फेसबुक या ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म काम नहीं करेंगे. इनकी बजाए चीन के ही सोशल प्लेटफॉर्म होते हैं. ऐसा इसलिए भी है ताकि चीन की सरकार लोगों के नजरिए पर पहरा रख सके. यहां तक कि लेखिका का इंटरव्यू भी Caijing से हटा दिया गया था लेकिन तब तक उसे कई दूसरे मीडिया संस्थान उठा चुके थे.

बीचोंबीच लगा धमकीभरा पोस्टर
Radio France Internationale में छपी एक खबर के मुताबिक लेखिका को धमकाने वाले एक अनाम चीनी नागरिक ने वुहान शहर के ठीक बीचोंबीच एक पोस्टर लगवा दिया, जिसमें लेखिका की तस्वीर के साथ लिखा था – चीन को बदनाम करने की वजह से लेखिका को शर्म से या तो संन्यास ले लेना चाहिए या खुदकुशी कर लेनी चाहिए. और अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं खुद ही फेंग फेंग को मार दूंगा. वैसे लेखिका की आलोचना में आम लोग ही नहीं, बौद्धिक कहलाने वाले लोग भी शामिल हैं. जैसे हाल ही में चीन के एक अखबार Global Times के संपादक Hu Xijin ने सोशल मीडिया पर ही लिखा कि लेखिका को हाथोंहाथ लेने का भुगतान आखिरकार चीन के लोग ही करने वाले हैं. इस पोस्ट को 190,000 से भी ज्यादा लाइक मिले. बहुतों का कहना है कि लेखिका की किताब में वुहान का केवल काला पहलू ही दिखाया जाएगा.

राजनैतिक रूप से संवेदनशील सामग्री चीन में हमेशा से प्रतिबंधित रही है

क्या है किताबों की टाइमलाइन
अंग्रेजी में इनकी किताब 30 जून तक आ सकती है, जिसका शीर्षक है- ‘Dispatches from a quarantined city: Wuhan Diary’. वहीं जर्मन संस्करण ज्यादा विवादित है, जिसमें कवर में काला मास्क बना हुआ है और शीर्षक है Wuhan Diary: The forbidden diary from the city where the corona crisis began. जर्मन कवर पर चलते विवाद के कारण किताब के जर्मन प्रकाशक Hoffmann und Campe ने अपना कवर भी कथित तौर पर वापस ले लिया है. अब कहा जा रहा है कि वो कवर डिजाइन केवल अस्थायी तौर पर था.

चीन में अभिव्यक्ति पर कड़ा पहरा
ये पहला मौका नहीं, जब चीन में किसी लेखन को बैन किया जा सकता है या धमकियां मिल रही हैं. इससे पहले भी साल 2015 में हांगकांग में चीन के 5 प्रकाशक एकाएक लापता हो गए थे. गायब होने के ठीक पहले उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी पर काफी कुछ लिखा-बोला था. राजनैतिक रूप से संवेदनशील सामग्री चीन में हमेशा से प्रतिबंधित रही है. इसकी एक मिसाल Great Chinese Famine पर लिखी गई वो किताब भी है, जिसमें लेखक और पत्रकार Yang Jisheng ने चीन के प्रशासकों की सनक पर लिखा है. Tombstone नाम की इस किताब में लेखक ने बताया था कि कैसे चीन के तत्कालीन शासक माओ जेडोंग (Mao Zedong) के एक आदेश के कारण चीन के करोड़ों लोग भूख से मर गए.

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