लॉकडाउन ने तोड़ी दूध कारोबार की कमर, 50 फीसदी तक घटी मांग, किसानों पर दोहरी मार, Coronavirus Side effect in Indian dairy industry milk demand cut upto 50 percent-farmers income hit-dlop | business – News in Hindi

कृषि क्षेत्र के जानकार और राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद के मुताबिक दूध की मांग में इतनी बड़ी गिरावट कभी नहीं देखी गई थी. इस गिरावट के कारण किसानों को पहले के मुकाबले 25 से 30 फीसदी कम पैसा मिल रहा है. दुग्ध सहकारी समितियां पैसा नहीं दे रही हैं. जबकि दूध का उत्पादन (Milk production) जस का तस है.

लॉकडाउन की वजह से पशुपालकों पर पड़ रही दोहरी मार (सांकेतिक तस्वीर)
यहां सालाना 180 मिलियन टन टन दूध का उत्पादन (Dairy farming) होता है. इस मामले में भारत पहले स्थान पर हैं.किसानों पर दोहरी मार
किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण एक तरफ दूध के रेट घट गए हैं. दुग्ध उत्पादक किसानों को काफी कम दाम मिल रहा है. दूसरी ओर खल, बिनौला, छिलका, मिश्रित पशु-आहार आदि बनाने वाली मिलें बंद होने या कम क्षमता पर काम करने के कारण इनके दाम 30 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. इससे किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है.
दूध की मांग घटी लेकिन क्या है विकल्प?
दूध की मांग कितनी घट गई है इसकी तस्दीक प्रादेशिक कॉपरेटिव डेयरी फेडरेशन उत्तर प्रदेश को गोरखपुर मंडल से दूध भिजवाने वाले प्रतिनिधि अनुज यादव ने की. उन्होंने बताया कि रोजाना 12 हजार लीटर की जगह अब सिर्फ 5000 लीटर दूध लिया जा रहा है, क्योंकि खपत ही नहीं है. दूध लेकर आखिर करेंगे क्या?
तो फिर समाधान क्या है? सरप्लस दूध को खपाने का बेहतर विकल्प ये है कि इसका मिल्क पाउडर बनाकर रखा जाए. लेकिन डेयरी क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि दूध को पाउडर में कन्वर्ट करने की भी एक निश्चित क्षमता है. क्योंकि लॉकडाउन जैसा वक्त आएगा यह पहले किसी ने नहीं सोचा था.

किसानों को अब दूध का पहले जैसा रेट नहीं मिल रहा
सरप्लस दूध का बनवा रहे हैं मिल्क पाउडर
झारखंड मिल्क फेडरेशन के प्रबंध निदेशक सुधीर कुमार सिंह ने न्यूज18 हिंदी से बातचीत में कहा कि दूध की मांग 40-50 फीसदी कम हो गई है. हमारे प्लांट की क्षमता रोजाना 1.30 लाख लीटर दूध के खपत की है. लेकिन अब हम सिर्फ 1 लाख लीटर ही किसानों से ले पा रहे हैं. उसमें से भी काफी दूध का पाउडर बनवा रहे हैं ताकि किसानों को दिक्कत न हो.
पाउडर बनवाने के लिए दूध लखनऊ भेज रहे रहे हैं क्योंकि हमारे यहां मिल्क पाउडर बनाने का प्लांट नहीं है. इससे ट्रांसपोर्टेशन का खर्च भी बढ़ रहा है. दूध को पाउडर में कन्वर्ट करने के लिए भी काफी पैसा ब्लॉक हो रहा है. हालात ये है कि अगर हम पूरी तरह से दूध लेना शुरू कर दें तो प्रति दिन 2.5 लाख लीटर आ जाएगा क्योंकि चाय और मिठाई की दुकानें भी बंद हैं.
बिहार में एक दिन में 12 लाख लीटर दूध को पाउडर में कन्वर्ट करने की क्षमता है. जबकि गुजरात में एक ही प्लांट में 16 लाख लीटर को पाउडर में बदलने की क्षमता है. वहां पर ऐसे 25 प्लांट हैं. लेकिन सब जगह ऐसा नहीं है.
हालांकि, प्रमुख दूध आपूर्तिकर्ता कंपनी मदर डेयरी (Mother Dairy) के एमडी संग्राम चौधरी यह नहीं मान रहे कि दूध की खपत 50 फीसदी कम हो गई. हमसे बातचीत में उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से दूध की मांग करीब 15 फीसदी कम हुई है. क्योंकि दूध, दही और पनीर की खपत के जितने भी सोर्स हैं वो खत्म हो गए हैं. लोगों का शहरों से गांवों की ओर पलायन हो गया है.

मिल्क प्लांट अब दूध का पाउडर बनवा रहे हैं
हरियाणा में सरप्लस दूध भी खरीदने का दावा
हरियाणा सरकार ने माना है कि ढाबों, चाय की दुकानों, होटलों, रेस्तराओं और कैटररों के प्रतिष्ठान बंद होने के कारण दूध की बिक्री घटी है. लेकिन सरकार ने यह तय किया है कि सरप्लस दूध की खरीद डेयरी सहकारी समितियों के माध्यम से की जाएगी. हरियाणा डेयरी विकास सहकारी प्रसंघ के मैनेजिंग डायरेक्टर, ए.श्रीनिवास ने कहा कि वीटा दूध और दूध उत्पादों की आपूर्ति में कोई व्यवधान नहीं होगा.
हरियाणा डेयरी प्रति दिन 8.00 लाख लीटर दूध खरीद रही है जो पिछले वर्ष से 40 प्रतिशत अधिक है. आवश्यक वस्तु श्रेणी के तहत दूध को कवर किया जा रहा है. डेयरी फेडरेशन ने पंचकूला, फरीदाबाद और गुरुग्राम क्षेत्र में वीटा दूध और दूध उत्पादों की ऑनलाइन डिलीवरी के लिए ‘स्विगी’ के साथ समझौता किया है.
ये भी पढ़ें: Opinion: पहले मौसम अब कोरोना के दुष्चक्र में पिसे किसान, कैसे डबल होगी ‘अन्नदाता’ की आमदनी
PMFBY: किसान या कंपनी कौन काट रहा फसल बीमा स्कीम की असली ‘फसल’