देश दुनिया

क्या हमारे जूतों के साथ भी घर में आ सकता है कोरोना how long can coronavirus survive on shoes | knowledge – News in Hindi

कोरोना संक्रमण के मामले अब तक 25 लाख 60 हजार से ऊपर जा चुके हैं, वहीं 1 लाख 77 हजार मौतें हो चुकीं. ऐसे में वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन पर काम के साथ ही ये भी देखा जा रहा है कि वायरस कहां-कहां कितनी देर तक रह पाता है ताकि संक्रमण रोका जा सके. इस बीच बार-बार ये सवाल भी आ रहा है कि हाथ ही क्यों, हमारे जूते भी तो गंदे होते हैं. तो क्या उनसे भी कोरोना का डर है!

5 दिनों तक रह सकता है वायरस
कई वैज्ञानिक इससे इनकार करते हैं. पब्लिक हेल्थ साइंटिस्ट Carol Winner के मुताबिक फिलहाल इसके प्रमाण कम ही हैं कि कोरोना वायरस जूतों से होते हुए घर में पहुंच जाए. हफिंगटन पोस्ट में वे बताती हैं कि हम अपने पैरों और खासकर जूतों को छुएं, इस बात की संभावना कम होती है. हालांकि दूसरे कई एक्सपर्ट अलग राय रखते हैं. अमेरिकी हेल्थ एक्सपर्ट Georgine Nanos का कहना है कि जूतों से कोरोना फैलने का काफी डर रहता है. खासकर अगर हम जूते पहनकर सार्वजनिक स्थानों जैसे सुपर मार्केट, मॉल या बस-ट्रेन में जाएं. कोरोना वायरस सतह पर रह पाता है और जूते भी एक तरह की सतह ही हैं. संक्रामक बीमारियों की विशेषज्ञ Mary E. Schmidt इस बारे में एक डराने वाला तथ्य देती हैं. उनके अनुसार जूतों पर वायरस कुछ घंटे नहीं, बल्कि लगभग 5 दिनों तक रह सकता है.

स्टडी बताती है कि जूतों के जरिए भी कोरोना वायरस का संक्रमण फैल सकता है

अस्पताल स्टाफ के जूतों में मिला
हाल ही में आई Centers for Disease Control and Prevention (CDC) की एक स्टडी भी बताती है कि जूतों के जरिए भी कोरोना वायरस का संक्रमण फैल सकता है. वुहान के Huoshenshan Hospital में की गई इस स्टडी में देखा गया कि वहां ICU तक में कोरोना वायरस थे. ये वायरस बड़ी संख्या में जूतों के तलों पर भी मिले. पाया गया कि अस्पताल में काम करने वाले और संक्रमण से बचने में मदद करने वाले 50% से भी ज्यादा स्टाफ के जूतों के सोल कोरोना पॉजिटिव थे.

जूतों तक कैसे पहुंचता है वायरस
संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने पर पानी की छोटी-छोटी बूंदे, जिनमें वायरस होता है, जूतों तक पहुंच जाती हैं, इसके बाद जूतों के साथ वे पहनने वाले के घर और उसके शरीर में पहुंचकर उसे बीमार कर देती हैं. ये तो हुआ सीधा संक्रमण. जूतों तक वायरस अप्रत्यक्ष रूप से भी पहुंचता है. जैसे जिस जगह कोरोना वायरस हों, उस तरह के संपर्क में स्वस्थ व्यक्ति के जूतों का आना. जूता चाहे लेदर का हो या कैनवास का या फिर किसी सिंथेटिक मटेरियल का, उस पर वायरस कई दिनों तक जिंदा रह सकते हैं.

 

वुहान के Huoshenshan Hospital में की गई इस स्टडी में देखा गया कि वहां ICU तक में कोरोना वायरस थे

कहां ज्यादा रहता है
जूते का सोल बैक्टिरिया, फंगस और वायरस के लिए सबसे मुफीद जगह है. इमरजेंसी फिजिशियन Cwanza Pinckney का मानना है कि जूतों के ऊपरी हिस्से से कहीं ज्यादा वायरस और बैक्टीरिया जूते के तलवे पर पनपते हैं. सोल यानी तला आमतौर पर रबर, चमड़े या PVC से बना होता है, ये वे पदार्थ हैं, जिनपर वायरस या किसी भी किस्म के पैथोजन सबसे जल्दी हमला करते हैं. इसकी भी एक वजह है. चूंकि मजबूती के लिए ये काफी गहनता से गुंथे होते हैं इसलिए इनमें कोई छेद नहीं होता है.

सोल के भीतर पानी या नमी भीतर नहीं जा पाती और न ही ठीक से सफाई हो पाती है. यही सारी बातें पैथोजन को पनपने के लिए आदर्श माहौल देती हैं. यहां तक कि जूते के फीते पर भी वायरस पनप पाते हैं.

University of Arizona में साल 2004 में हुई एक स्टडी में पाया गया कि जूते के सोल पर तकरीबन 421,000 वायरस, बैक्टीरिया और दूसरी तरह के जर्म्स होते हैं. हालांकि इनमें से कई ऐसे भी होते हैं जो हमारे शरीर तक पहुंचकर इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं.

जूते के सोल पर तकरीबन 421,000 वायरस, बैक्टीरिया और दूसरी तरह के जर्म्स होते हैं

कैसे रोका जा सकता है
कोरोना वायरस के गुणों पर स्टडी कर रहे एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाहर पहनने के जूते और मोजे बिल्कुल अलग रख दिए जाने चाहिए. बाहर से लौटते ही वे जूते घर के बाहर उतारे जाएं या फिर ऐसी जगह रखें जाएं, जहां रोजमर्रा में हम न आते-जाते हों. इसके साथ ही ऐसे जूते लिए जाएं जो अक्सर धोएं जा सके. वायरस चूंकि बैक्टीरिया से अलग होते हैं इसलिए जूतों को संक्रमणरहित किया जाना बहुत जरूरी है. कोरोना वायरस की ऊपरी सतह न्यूक्लिक एसिड से बनी है इसलिए इन्हें खत्म करने के लिए क्लीनिंग प्रोडक्ट, साबुन और हल्के गर्म पानी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. साबुन से इसकी लिपिड वाली परत खत्म होती है, जबकि गर्म पानी से प्रोटीन नष्ट होता है. इस तरह से जूतों की सफाई की जा सकती है.

बदल सकता है जूते पहनने का तरीका
वैसे कोरोना लंबे वक्त रहा तो हमारे फुटवेयर पहनने का तरीका भी बदल सकता है. पूरी तरह से ढंके हुए जूते पहने जाएंगे और लौटते ही उन्हें घर से बाहर छोड़ा जाएगा या फिर ब्लीच के साथ धोया जाएगा. बाथरूम स्लिपर या खुली चप्पलें घरों के भीतर ही सीमित रह जाएंगी. महिलाओं के फुटवेयर में सबसे बड़ा बदलाव आ सकता है, और हाई हील्स या सैंडल्स फैशन से बाहर हो जाएंगे. कई फैशन हिस्टॉरियन्स का भी मानना है कि जल्दी ही ऐसे फुटवेयर आ सकते हैं जो उस मटेरियल से बनें, जिनपर पैथोजन्स का असर कम होता है. फीते वाले जूते चलन से बाहर हो सकते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार फीते भी बीमारी के वाहक का काम करते हैं क्योंकि जूते खोलते हुए उनपर हाथ लगता है.

ये भी देखें:

जानिए, कुछ लोग क्यों नहीं धोते हाथ

Coronavirus: चांसलर एंगेला मर्केल वैज्ञानिक हैं, क्या इस वजह से जंग जीत रहा है जर्मनी

कोरोना संक्रमित के बाद टॉयलेट के इस्तेमाल से भी फैल सकता है वायरस?

Coronavirus: जानें रैपिड एंटीबॉडी टेस्‍ट का पूरा प्रोसेस और कितनी देर में आता है रिजल्‍ट



Source link

Related Articles

Back to top button