covid-19-blog-on-hindpiri-of-ranchi-why-some-policemen-are-defaming-their-department | हिंदपीढ़ी : क्यों बदनाम कर रहे हैं कुछ पुलिसकर्मी अपनी पूरी जमात को | ranchi – News in Hindi
रांची के हिंदपीढ़ी को कोरोना हॉटस्पॉट घोषित किया गया है. (फोटो साभारः Ranchi Police Twitter)
हिंदपीढ़ी (Hindpiri) में प्रशासन सख्ती से लॉकडाउन (Lockdown) का पालन करा रहा है. जरूरत के सामान पुलिसवाले घर-घर पहुंचा रहे हैं. लेकिन पुलिस और प्रशासन की सारी मेहनत पर कुछ पुलिसकर्मियों की लापरवाही सवालिया निशान खड़े कर देती है.
हिंदपीढ़ी से लोहरदगा कैसे पहुंचे 13 लोग
खबरों के मुताबिक, लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए 13 लोग रांची के हिंदपीढ़ी से निकलकर लोहरदगा पहुंच गए. लोहरदगा जिला प्रशासन को गुप्त सूचना मिली कि हिंदपीढ़ी के 13 लोग लोहरदगा पहुंचे हैं. इस गुप्त सूचना के बाद लोहरदगा जिला प्रशासन ने लोगों की तलाश शुरू कर दी. प्रशासन ने छापेमारी कर सभी 13 लोगों को तलाश लिया और उन्हें क्वारंटाइन पर भेज दिया है. लोहरदगा पहुंचे 13 लोगों में से 9 के खिलाफ दंडाधिकारी विकास पांडे के लिखित बयान पर रांची के सदर थाना में मामला दर्ज किया गया है.
सवाल उठता है कि ये सभी लोग इतनी सख्ती के बावजूद आखिर हिंदपीढ़ी से कैसे निकले? लोहरदगा पहुंचने के क्रम में इन्होंने कई चेकपोस्ट पार किए होंगे, उन चेकपोस्टों पर आखिर किसी पुलिसवाले ने इनलोगों के वाहन को रोका क्यों नहीं? आखिर पुलिस की यह कैसी लापरवाही रही कि इन्होंने हर चेकपोस्ट की सुरक्षा को धता बता दिया.यह अलग बात है कि अब इस घटना के हो जाने के बाद रांची के डीआइजी अमोल वी. होमकर के आदेश पर रांची से लोहरदगा के बीच पड़ने वाले तकरीबन दस चेकपोस्टों के पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की गई. इनमें मांडर थाने के सामने चेकपोस्ट प्रभारी सहायक अवर निरीक्षक सुनील कुमार मांडी और कुड़ू थाने के हेंजला चेकपोस्ट प्रभारी लवकुश सिंह को निलंबित कर दिया गया है. इनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है.
गर्भवती को देख भी नहीं पसीजा दिल
एक तरफ पुलिसकर्मियों की लापरवाही की यह खबर सामने आई तो दूसरी तरफ एक खबर ऐसी है जो पुलिस का अमानवीय रूप सामने रखती है. हिंदपीढ़ी की एक गली में पहरेदारी कर रहे पुलिसकर्मियों ने लॉकडाउन का हवाला देकर लेबर पेन झेल रही गर्भवती महिला को अस्पताल नहीं जाने दिया. मामला हिंदपीढ़ी के निजाम नगर का है. निजाम नगर रांची के छोटा तालाब के पास है. वहीं रहते हैं मो. इम्तियाज आलम. इम्तियाज के मुताबिक उनकी पत्नी को रविवार देर रात प्रसवपीड़ा शुरू हुई. वह पत्नी को कार से लेकर छोटा तालाब गेट से निकलना चाहे. लेकिन पुलिसवालों ने गेट सील होने की बात कहकर उन्हें रोक दिया और मारवाड़ी कॉलेज गेट से जाने को कहा. जब वह मारवाड़ी कॉलेज गेट के पास पहुंचे, तो वहां भी पुलिसवालों ने उन्हें रोक दिया.
बकौल इम्तियाज, वह आधे घंटे तक पुलिसवालों से मिन्नत करते रहे, लेकिन उन पुलिसवालों का मन प्रसवपीड़ा से तड़पती महिला को देखकर भी नहीं पसीजा. उन्होंने लॉकडाउन का हवाला देकर इम्तियाज को अस्पताल नहीं जाने दिया. हार कर इम्तियाज घर लौटे. आस-पड़ोस की कुछ महिलाओं को बुलाया. और उनकी पत्नी का प्रसव मुहल्ले की महिलाओं ने घर में ही कराया. पर जन्म लेने के कुछ देर बाद ही बच्चे की मौत हो गई. मुमकिन है यह मौत नहीं होती, गर प्रसव किसी अस्पताल में होता जहां प्रसव कराए जाने की पूरी सुविधा होती है. मामला सामने आने के बाद इस पर छानबीन शुरू हो गई है. रांची एसएसपी अनीश गुप्ता ने कहा कि इम्तियाज को कंट्रोल रूम या एंबुलेंस को कॉल करना चाहिए था. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. सीसीटीवी फुटेज खंगाला जा रहा है. इससे पता चल जाएगा कि मामला क्या है.
पुलिसवालों पर काम का दबाव
पुलिसकर्मियों के इस अमानवीय फैसले के पीछे मुझे कई कारण दिखते हैं. एक वजह तो पुलिसकर्मियों पर वह दबाव है कि लॉकडाउन का पालन पूरी सख्ती से कराना है. इसकी वजह से बेहद थकाऊ ड्यूटी उन्हें करनी पड़ रही है. इस वजह से वह खीज रहे होंगे. दूसरी वजह यह हो सकती है कि हिंदपीढ़ी के कुछ असामाजिक तत्वों ने पिछले दिनों कोरोना वॉरियर्स पर हमले किए थे. वाहनों को क्षतिग्रस्त किया था. ऐसी और भी खबरें देश के दूसरे राज्यों से फेसबुक और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए पुलिसकर्मियों तक पहुंचती रहती हैं. जाहिर है ऐसी खबरों को पढ़-सुनकर लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के प्रति पुलिसकर्मियों का रुख सख्त होता गया हो.
लेकिन इन दोनों वजहों से अलग एक तीसरी वजह भी हो सकती है, जो ज्यादा गंभीर लग रही है, वह है हिंदपीढ़ी का नाम. मुमकिन है कि गलियों में भटकते इम्तियाज़ को इन दिनों दाढ़ी-टोपी से होने वाली नफरत का सामना करना पड़ा हो, इस नफरत ने ऐसे नाजुक मौके पर अपना रंग दिखाया. प्रेम और मानवता को कुचल कर सिर चढ़कर बोली हो यह नफरत. सारे गेट बंद हो गए हों और एक नवजात को इस नफरत की मौत मरना पड़ा.
(डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं.)
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First published: April 22, 2020, 4:25 PM IST