समग्र ब्राह्मण परिषद् ने किया भगवान परशुराम प्रागट्योत्सव पर सनातन परंपरा के सम्मान का आव्हान
समग्र ब्राह्मण परिषद् छत्तीसगढ़ द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य सहित पूरे देश के विप्रजनों से इस वर्ष भगवान परशुराम अवतरण दिवस को सनातन परंपरा के सम्मान के रूप में मनाने का निवेदन किया गया है. आगामी 26 अप्रैल रविवार को प्रत्येक वर्षानुसार भगवान परशुराम प्रागट्य दिवस के साथ साथ अक्षय तृतीया का शुभ संयोग बन रहा है. तृतीया तिथि शनिवार 25 अप्रैल को 11 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ होकर 26 अप्रैल दोपहर 1 बजकर 22 मिनट तक रहेगी, क्योंकि शास्त्रों में उदया तिथि का ही विशेष महत्व है अतः रविवार 26 अप्रैल को ही अक्षय तृतीया सहित भगवान परशुराम अवतरण दिवस मनाया जायेगा.*
समग्र ब्राह्मण मातृशक्ति परिषद् की कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती आरती शुक्ला एवं महासचिव श्रीमती प्रमिला तिवारी द्वारा जानकारी दी है कि विगत दस माह से ब्राह्मण समाज सहित सनातन धर्म हित में कार्यरत सामाजिक संगठन समग्र ब्राह्मण परिषद् छत्तीसगढ़ का यह प्रथम अवसर है कि संस्था गठन के पश्चात भगवान परशुराम जी का प्रागट्य दिवस देश एवं राज्य में व्याप्त कोरोना संक्रमण के चलते लाकडाउन के कारण सार्वजनिक या प्रत्यक्ष रूप से नहीं मनाया जा रहा है. ब्राह्मण वर्ण आदिकाल से ही ‘सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया” के सिद्धांत पर समाज एवं राष्ट्र के प्रति समर्पित है और इसी आधार पर आज संपूर्ण भारतवर्ष में सामूहिक नेतृत्व के आधार पर संचालित होने वाला पहला सामाजिक संगठन समग्र ब्राह्मण परिषद् छत्तीसगढ़, समाज एवं राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व की पूर्ति कर रहा है. इस वर्ष भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव पर छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित पूरे देश के विप्रजन अपने घर पर सनातन परंपरा का सम्मान करते हुए पूजा के माध्यम से भगवान परशुराम जी से भारतवर्ष सहित विश्व को इस कोरोना रुपी महामारी से मुक्त कर आरोग्यता की प्रार्थना करेंगे.*
*संस्था के प्रदेश सचिव पं.लोकेश द्विवेदी “मानस” ने संगठन द्वारा भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर किये गये आव्हान से संबंध में जानकारी देते हुये बताया है कि राजराजेश्वर भगवान परशुराम ही ब्राह्मण समाज के इष्टदेव हैं अतः उनके अवतरण दिवस पर छत्तीसगढ़ सहित पूरे भारतवर्ष के विप्रजनों से लाकडाउन में शासन के दिशा निर्देशानुसार घर पर ही रहकर सपरिवार भगवान परशुराम जी का विधिवत् षोडषोपचार या पंचोपचार पूजन कर आरती करें. पूजन में भारतीय सनातन परंपरा का सम्मान करते हुये पुरुष वर्ग धोती कुर्ता सहित माथे पर त्रिपुंड या तिलक धारण कर एवं मातायें एवं बहनें यथोचित वेशभूषा में उपस्थित रहें. गौ सेवा सहित मानव कल्याण ही हमारा सनातन धर्म है अत: पूजा आरती के बाद भोजन प्रसादी ग्रहण करने के पूर्व सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुये आसपास उपलब्ध गौमाता सहित जरुरतमंदो हेतु भोजन की व्यवस्था अवश्य करें. सायंकाल घर के मुख्य द्वार या आंगन में रंगोली बनाकर 11 या 21 दिये जलाकर भगवान परशुराम जी के अवतरण महोत्सव का उल्लास प्रगट करें.*
गौरवशाली सनातन परंपरा का सम्मान ही संगठन का मुख्य उद्देश्य है इसलिये ही भगवान परशुराम अवतरण पर इस परंपरा को अपनाने का आव्हान किया गया है. संगठन द्वारा व्हाट्स एप नंबर जारी कर विप्रजनों से सपरिवार या व्यक्तिगत इस परिधान में फोटो भेजने का भी निवेदन किया गया है इन फोटो को संगठन के सोशियल साइट्स एकाउंट फेसबुक इत्यादि पर प्रकाशित किया जायेगा, इसके साथ-साथ चयन के आधार पर पांच स्वजनों को आगामी प्रांतीय या संभागीय बैठक में भगवान परशुराम जी की फोटो फ्रेम देकर सम्मानित किया जायेगा.
संगठन के प्रदेशाध्यक्ष डा.भावेश शुक्ला “पराशर” ने महाराष्ट्र के पालघर में हुई साधु संतों की दर्दनाक हत्या को सामूहिक अमानवीय एवं कायराना हरकत बताते हुये शोक प्रकट किया तथा भारत सरकार से इन घटना के जिम्मेदार सभी आरोपियों पर न्यायसंगत कठोर कार्यवाई करने की मांग की है.