Corona warriors का दर्दः डर मौत से नहीं लगता, बस मरने के बाद…. delhi doctor said death is not giving fear the thing is they will disown us after death nodss | delhi-ncr – News in Hindi
डॉक्टरों के अनुसार कई परतों में प्रोटेक्टिव किट्स को पहनने के बाद सांस लेना भी मुश्किल होता है. (सांकेतिक फोटो)
दिल्ली में कोरोना (Corona) के खिलाफ जंग लड़ रहे डॉक्टरों की परेशानियां वे किसी को बयां भी नहीं कर सकते, बस दिन रात वे लोगों का इलाज करने में लगे हैं. न घर जा सकते हैं न ही परिवार से मिल सकते हैं.
जैसे युद्ध के मैदान में हों
कुमार ने कहा कि शहरों की तरह अब अस्पताल भी कई जोन में बंट गया है. रेड जोन जहां पर कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है वहां पर जाना किसी युद्ध के मैदान में जाने जैसा है. यहां का माहौल कुछ अलग होता है जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है. जब आप इस जोन में घुसने से पहले पीपीई किट को पहनते हैं उसी समय आपके मन में ये विचार घर करने लगता है.
12 घंटों तक कुछ खा-पी भी नहीं सकतेडॉक्टरों के अनुसार कई परतों में प्रोटेक्टिव किट्स को पहनने के बाद सांस लेना भी मुश्किल होता है. साथ ही अब गर्मी बढ़ती जा रही है और रेड जोन में एसी नहीं चलाया जा रहा है क्योंकि इससे संक्रमण फैलने का खतरा है. ऐसे में वे पसीने से नहा लेते हैं. 8 से लेकर 12 घंटे तक चलने वाली उनकी शिफ्ट के दौरान न वे खाना खा सकते हैं और न ही पानी पी सकते हैं. यहां तक की वे वॉशरूम भी नहीं जा सकते हैं. रेजिडेंट डॉक्टरों की कमी होने के चलते यही शिफ्ट रात को 14 घंटे और दिन में कई बार 10 घंटे तक भी खिंच जाती है.
कम हैं पीपीई किट
वहीं एक अन्य अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि पीपीई किट की संख्या काफी कम है, ऐसे में हमें उनका इस्तेमाल काफी सावाधानी और सोच समझ कर करना होता है. उन्होंने बताया कि न केवल वे मरीजों का खराब व्यवहार झेल रहे हैं बल्कि अब उनको इस बात से भी पाबंद कर दिया गया है कि वे अपनी परेशानी किसी को बताएं. राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की प्रवक्ता डॉ छवि गुप्ता ने कहा कि पीपीई किट को पहनना भी आसान नहीं है. ये पहन कर हम सोचते हैं कि इंफेक्शन बाहर रह गया है और उसी के अनुसार काम करते हैं. एक पीपीई किट की औसत कीमत एक हजार रुपये है ऐसे में हम ज्यादा जल्दी इसे नहीं बदल सकते हैं. इसको पहन कर ऐसा लगता है जैसे पूरे शरीर पर बुलेटप्रूफ कपड़े पहन लिए हों.
घर हैं लेकिन जा नहीं सकते, परिवार हैं मिल नहीं सकते
गुप्ता ने बताया कि हम सभी लोग होटलों में रुके हैं, हमारे घर हैं लेकिन हम जा नहीं सकते, परिवार से मिल नहीं सकते क्योंकि ऐसे में उन्हें संक्रमण का खतरा होगा. हालांकि दिल्ली सरकार ने डॉक्टरों को किसी भी तरह की परेशानी न हो इसका खयाल रखते हुए उन्हें फाइव स्टार होटलों में ठहराया है. वहीं नर्स व अन्य स्टाफ को थ्री स्टार होटल उपलब्ध करवाए गए हैं. छवि ने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान हम सब कुछ भूल कर अपनी ड्यूटी पर ध्यान देते हैं. यह एक आपदा है. जब युद्ध होता है तो हम घर कैसे जा सकते हैं.
लोगों को अपना व्यवहार बदलने की जरूरत
वहीं हिंदू राव हॉस्पिटल के डॉ पीयूष सिंह ने कहा कि लोगों को समझने की जरूरत है कि हम यदि ऐसा नहीं करेंगे तो लोगों का इलाज कौन करेगा. उन्हें अपना व्यवहार बदलने की जरूरत है. ऐसे में कुछ लोगों ने किराए पर रह रहे डॉक्टरों को घर खाली करने के लिए कह दिया है. ये गलत है. हमें एक सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट की जरूरत है. हमें सही साधन चाहिए ताकि हम बिना किसी डर के इस लड़ाई को लड़ सकें.
सरकार ने दिखाई है सख्ती
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सदस्य और दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ हरीश गुप्ता ने कहा कि अब हालात कुछ ठीक हुए हैं. सरकार ने सख्ती दिखाई है और राज्यों के प्रमुख सचिवों को कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. इसके बाद से कुछ मकानमालिकों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं जिन्होंने जबरदस्ती डॉक्टरों से घर खाली करवाया है. लोग डॉक्टरों के साथ इस तरह से व्यवहार नहीं कर सकते. गुप्ता ने कहा कि लोगों को समझने की जरूरत है कि कोरोना का टीका अभी केवल मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है.
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First published: April 22, 2020, 10:37 AM IST