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COVID-19 को रोकने के लिए लॉकडाउन से ज्यादा कारगर है टेस्टिंग-क्वारंटाइन: महामारी विज्ञान मॉडल । Testing-quarantine is more effective than lockdown to prevent COVID-19 epidemiological model | nation – News in Hindi

COVID-19 को रोकने के लिए लॉकडाउन से ज्यादा कारगर हैं टेस्टिंग-क्वारंटाइन: महामारी विज्ञान मॉडल

इस मॉडल के निर्माण में देशभर के करीब 400 वैज्ञानिक शामिल थे (सांकेतिक फोटो)

इस मॉडल में 9 अलग-अलग विस्तृत भाग शामिल किए गए हैं. जिनमें से 8 की तुलना कोरोना वायरस (Coronavirus) मरीजों के 9वें भाग के साथ की जा रही है, जिन्हें किसी भी तरह की दवा नहीं (non-pharmaceutical interventions) दी गई है.

नई दिल्ली. बिना लक्षणों वाले लोगों की पहचान के लिए और जिनमें बहुत अधिक सांसों से जुड़ी समस्या पाई जा रही है, उनको लगातार सामाजिक दूरी (Social Distancing) में रखने के जरिए ही इस महामारी (Pandemic) को भारत में एकमात्र प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है, न कि सिर्फ केवल लॉकडाउन (Lokdown) के जरिए. यह सुझाव भारत में कोविड-19 (Covid-19) के प्रसार पर केंद्रित पहले महामारी विज्ञान मॉडल में दिए गए हैं.

अशोका यूनिवर्सिटी (Ashoka University) में बायोलॉजी और फिजिक्स के प्रोफेसर, गौतम मेनन ने कहा, “लॉकडाउन बहुत प्रभावशाली नहीं हैं, खासकर पूरे भारत में लॉकडाउन (Lockdown), क्योंकि महामारी (Pandemic) फिर से फैलनी शुरू हो जाएगी, जब लॉकडाउन खत्म होगा. हम इस बात पर जोर देते हैं कि एक व्यापक परीक्षण और क्वारंटाइन की प्रक्रिया ही इसका लंबे दौर में एकमात्र हल है, जब तक कि इसकी दवा न खोज ली जाए.

मॉडल के निर्माण के लिए काम कर रहे थे देश भर के 400 से ज्यादा वैज्ञानिक
INDISCI-SIM नाम के भारत के इस पहले राज्य स्तरीय वृहत्तर मॉडल को सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालाय (SPPU), चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल साइंसेज, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बंगलुरु और अशोका यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ‘इंडियन साइंसटिस्ट्स रिस्पॉन्स टू कोविड-19’ नाम के एक स्वयंसेवी समूह के बैनर तले विकसित किया है. जिसमें करीब 400 से ज्यादा वैज्ञानिक शामिल थे.इस मॉडल में 9 अलग-अलग भागों में बांटे गए थे कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़े मामले
मंगलवार को भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (principal scientific advisor to the government of India) के विजयराघवन ने INDISCI-SIM पर अपनी प्रतिक्रिया में ट्वीट किया, “जो भी शामिल रहे, सभी को शुक्रिया. यह उपयोगी विश्लेषण है और मिली अन्य जानकारियों के साथ ध्यान से परखा जा रहा है.”

इस मॉडल में 9 अलग-अलग विस्तृत भाग शामिल किए गए हैं- अतिसंवेदनशील, लक्षणों से पूर्व के, बिना लक्षणों वाले, हल्के लक्षणों वाले, बहुत अधिक लक्षणों वाले, अस्पताल में भर्ती, सही हो चुके और मृत लोगों के भागों में बांटा गया है और इनकी उन मरीजों के साथ तुलना की जा रही है, जिन्हें किसी भी तरह की दवा नहीं (non-pharmaceutical interventions) दी गई है.

यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस- MHA ने बताया लॉकडाउन को दौरान किन गतिविधियों पर रहेगी छूट

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First published: April 21, 2020, 9:54 PM IST



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