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आंध्र प्रदेश से रेल ट्रैक पर पैदल झारखंड को निकले 11 मजदूर, 600KM सफर के बाद ओडिशा में पकड़े गए | group of workers caught in rayagada after 600 km trek along rail track going to jharkhand | nation – News in Hindi

आंध्र प्रदेश से रेल ट्रैक पर पैदल झारखंड को निकले 11 मजदूर, 600KM सफर के बाद ओडिशा में पकड़े गए

ये सभी मजदूर पैदल ही झारखंड के लिए निकल पड़े. Pic- द टेलीग्राफ

ये सभी लोग आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा (Vijayawada) में एक कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी में काम करते हैं. लेकिन लॉकडाउन (Lockdown) के बाद ये सभी बेरोजगार हो गए थे.

  • Last Updated:
    April 21, 2020, 8:28 PM IST

नई दिल्‍ली. देश में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) के कारण 3 मई तक बढ़ाए गए लॉकडाउन (Lockdown) के बीच कई प्रतिबंध भी लगाए गए हैं. इनमें मजदूरों और लोगों के एक राज्‍य से दूसरे राज्‍य में जाने पर भी पाबंदी लगाई गई है. इस बीच आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) से 11 मजदूरों का एक समूह सरकार और प्रशासन से छिपकर रेल ट्रैक के रास्‍ते झारखंड के लिए निकल पड़ा. इन्‍होंने 14 दिन तक 600 किमी का सफर तय किया. वे सभी शनिवार को ओडिशा के रायगढ़ पहुंच गए. लेकिन घर का आधा सफर तय करने के बाद यहां पुलिस ने उन्‍हें पकड़ लिया. इन सभी को अब क्‍वारंटाइन सेंटर में भेज दिया गया है.

द टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक ये सभी लोग आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी में काम करते हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद ये सभी बेरोजगार हो गए थे. इसलिए इन्‍होंने सरकार और प्रशासन से छिपकर झारखंड अपने गांव पहुंचने के लिए रेल ट्रैक का रास्‍ता चुना. इनमें से कुछ के पैरों में पुरानी चप्‍पलें थीं. सभी 11 मजदूर रेल ट्रैक पर पैदल यात्रा के दौरान पानी और बिस्‍कुट खाकर जिंदा रहे. यात्रा के दौरान सभी ने जंगलों और सुरंगों को भी पार किया. अपने मोबाइल चार्ज करने के लिए उन्‍होंने रेलवे की विद्युत प्रणाली इस्‍तेमाल की.

11 लोगों के लीडर प्रमोद कुमार राम ने बताया, ‘जब देश में लॉकडाउन की घोषणा हुई तब तक हमें काम करते हुए सिफ 7 दिन ही हुए थे. जब हमने अपना वेतन मांगा तो सुपरवाइजर भाग गया, हमें अकेला छोड़ दिया गया. कंपनी ने हमारे लिए खानपान की कोई व्‍यवस्‍था नहीं की थी. हम किसी तरह कुछ दिन वहां रहे. लेकिन बिना आय के वहां रहना औचित्‍य से परे था. हमारा पैसा खत्‍म हो रहा था तो हमने विजयवाड़ा छोड़ने की योजना बनाई. सभी परिवहन सेवाएं बंद थीं तो हमने पैदल ही जाना तय किया.’

उनके अनुसार, ‘हमने गर्मी से बचने के लिए पगड़ी पहनी. हमें डर था कि अगर हम हाईवे या सड़क से गए तो पुलिस हमें पकड़ लेगी और पीटेगी. हमें डर था कि कहीं हमें भी क्‍वारंटीन सेंटर ना भेज दिया जाए. इसलिए हमने रेल ट्रैक से जाने का फैसला लिया.’प्रमोद कुमार राम ने बताया, ‘हममें से कुछ घायल भी हुए. हमने जंगलों और गांव के बाहर रातें गुजारीं. हमने झारखंड जाने के लिए मैप गाइडिंग एप का इस्‍तेमाल किया. लेकिन मैं एक बार झारखंड से विजयवाड़ा रेल के जरिये गया था तो मुझे कुछ स्‍टेशन के नाम याद थे. हम उन्‍हीं के आधार पर आगे बढ़ रहे थे.’

गढ़वा जिले के मांझीगांव के रहने वाले सुनील चौधरी ने बताया कि रास्‍ते में कुछ गांव में लोगो ने उन्‍हें खाना भी दिया. हमने कम से कम भोजन और पानी के दम पर आगे बढ़ते रहने की कोशिश की. हम लोगों में से प्रत्‍येक के पास 200 से 300 रुपये ही थे.

वे लोग रोजाना शाम को 4 बजे अपनी पैदल यात्रा शुरू करते थे और सुबह 10 बजे तक जारी रखते थे. एक दिन में वे सभी औसत 40 किमी चलते थे.

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First published: April 21, 2020, 8:21 PM IST



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