पहली बार कच्चे तेल का भाव जीरो डॉलर के नीचे गया, भारत में घटेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? Why the Historic Crash in Oil May Not Affect Retail Prices of Petrol and Diesel for Consumers in India | business – News in Hindi


अमेरिकी बाजार में कच्चा तेल जीरो डॉलर प्रति बैरल से भी कम
कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के कारण दुनिया भर के कई देशों में कामकाज ठप है. डिमांड कम होने के कारण क्रूड की ओवर सप्लाई हो रही है जिसकी वजह से सोमवार को कच्चे तेल का भाव -37.63 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़क गया.
भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक
भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है. खपत का 85 फीसदी हिस्सा आयात के जरिए पूरा किया जाता है. ऐसे में जब भी क्रूड सस्ता होता है तो भारत को फायदा होता है. तेल जब सस्ता होता है तो आयात में कमी नहीं पड़ती बल्कि भारत का बैलेंस ऑफ ट्रेड भी कम होता है.
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तेल की कीमतें दो मुख्य चीजों पर निर्भर करतीं हैं. एक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत और दूसरा सरकारी टैक्स. क्रूड ऑयल के रेट पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, मगर टैक्स सरकार अपने स्तर से घटा-बढ़ा सकती है. यानी जरूरत पड़ने पर सरकार टैक्स कम कर बढ़े दाम से कुछ हद तक जनता को फायदा पहुंचा सकती है. पहले देश में तेल कंपनियां खुद दाम नहीं तय करतीं थीं, इसका फैसला सरकार के स्तर से होता था. मगर जून 2017 से सरकार ने पेट्रोल के दाम को लेकर अपना नियंत्रण हटा लिया गया. कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिदिन उतार-चढ़ाव के हिसाब से कीमतें तय होंगी.
अमूमन जिस रेट पर हम तेल खरीदते हैं, उसमें करीब 50 फीसदी से ज्यादा टैक्स होता है. इसमें करीब 35 फीसदी एक्साइज ड्यूटी और 15 फीसदी राज्यो का वैट या सेल्स टैक्स. 2 फीसदी कस्टम ड्यूटी होती है, वहीं डीलर कमीशन भी जुड़ता है. तेल के बेस प्राइस में कच्चे तेल की कीमत, उसे शोधित करने वाली रिफाइनरीज का खर्च शामिल होता है. इसलिए, क्रूड की कीमतें सीधे खुदरा कीमतों को प्रभावित नहीं करती हैं.
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First published: April 21, 2020, 12:06 PM IST