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West Bengal The doctors and nurses wrote a letter to Mamta banerjee saying we are forced to work without PPE increase testing for covid19 | पश्चिम बंगाल: ममता को डॉक्टर और नर्सों ने लिखी चिट्ठी, कहा- हम बिना पीपीई काम करने को मजबूर, बढ़ाएं टेस्टिंग | nation – News in Hindi

पश्चिम बंगाल: ममता को डॉक्टर और नर्सों ने लिखी चिट्ठी, कहा- हम बिना पीपीई काम करने को मजबूर, बढ़ाएं टेस्टिंग

(फाइल फोटो)

पश्चिम बंगाल (West Bengal) की सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से डॉक्टरों की चिट्ठी में अस्पतालों में पीपीई की कमी का जिक्र करते हुए सरकार से ग्रासरूट लेवल पर टेस्टिंग के जरिए कोरोनोवायरस मामलों को निकालने की मांग की गई है.

कोलकाता. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में डॉक्टरों और नर्सों के कुछ संगठनों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को चिट्ठी लिखकर कोरोनावायरस (Coroanvirus) को लेकर सलाह दी और अपनी समस्या बताई. डॉक्टरों और नर्सों के समूह ने सरकार को सलाह दी है कि वह ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग कराए. अपनी ओर से शिकायत दर्ज कराते हुए उन्होंने कोरोना के पेशेंट का इलाज करने के लिए उचित प्रोटोकॉल फॉलो नहीं किये जा रहे हैं. उन्होंने राज्य सरकार से अपील की है कि स्वास्थ्य कर्मियों को और ज्यादा पीपीई मुहैया कराई जाए.

सीएम को यह चिट्ठियां कई डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों के कोरोनोवायरस से संक्रमित होने और छह से अधिक राज्य-संचालित अस्पतालों के आंशिक रूप से सील होने के बाद लिखे गए. डॉक्टर्स एसोसिएशन में से एक मेडिकल सर्विस सेंटर ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि सभी अस्पतालों में मरीजों की जांच की जानी चाहिए.

क्या है सरकार का दावा?
16 अप्रैल को सीएम और मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि अगर स्थिति बनी रही, तो  स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ जाएगी. हालांकि, मुख्य सचिव राजिवा सिन्हा ने शनिवार को दावा किया था कि राज्य के विभिन्न अस्पतालों में पहले से ही 3.75 लाख पीपीई, 2.38 लाख एन 95 मास्क, 16.4 लाख सामान्य मास्क, 7.42 लाख दस्ताने और 79,000 लीटर हैंडसैनेटाइजर्स डिस्ट्रीब्यूट किये गये.डॉक्टरों की चिट्ठी में अस्पतालों में पीपीई की कमी का जिक्र करते हुए सरकार से ग्रासरूट लेवल पर टेस्टिंग के जरिए कोरोनोवायरस मामलों को निकालने की मांग की गई है. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फ़ोरम की कार्यकारी समिति के सदस्य प्रियब्रत गोयन ने कहा कि ‘कई मामलों में जब डॉक्टरों को एक मरीज को कोरोनावायरस पॉजिटिव होने का संदेह था तो अस्पताल के अधिकारियों ने उस व्यक्ति को एक जनरल बेड पर भेज दिया. चार से पांच दिन बाद जब मामला कोरोना से जुड़ा साबित हुए तो पूरी टीम को क्वारंटीन कर दिया गया.’

गोयन ने कहा कि ‘डॉक्टर पीपीई के बिना अपनी ड्यूटी करने के लिए मजबूर हैं. सरकार को भी टेस्टिंग की संख्या बढ़ानी चाहिए, जिसमें हम भारत में सबसे कम हैं. यह महामारी को नियंत्रित करने का एकमात्र तरीका है. सरकार डॉक्टरों और नर्सों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर नहीं है. पहले से ही 10 डॉक्टरों और 27 नर्सों और कई अन्य स्वास्थ्य कर्मी कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं.’

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First published: April 21, 2020, 7:00 AM IST



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