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20 साल से भी अधिक समय तक टाटा ग्रुप के प्रमुख रहने के बाद भी रतन टाटा को इस बात का है मलाल, खोले दिल के राज – Ratan Tata of tata group says regret of not being architect that is what i wanted to do in my life | business – News in Hindi

20 साल से भी अधिक समय तक टाटा ग्रुप के प्रमुख रहने के बाद भी रतन टाटा को इस बात का है मलाल, खोले दिल के राज

रतन टाटा

टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने सोमवार को कहा कि एक आर्किटेक्ट के तौर पर अपने काम को लंबे समय तक जारी नहीं रख पाने का उन्हें मलाल है. उन्होंने लॉस एंजिलिस में एक आर्किटेक्ट के कार्यालय में भी कुछ वक्त काम किया.

मुंबई. टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने सोमवार को कहा कि एक आर्किटेक्ट के तौर पर अपने काम को लंबे समय तक जारी नहीं रख पाने का उन्हें मलाल है. हालांकि टाटा दो दशक से भी अधिक समय तक देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा समूह के प्रमुख रहे हैं.

कहा- आर्किटेक्चर से मिलती थी प्रेरणा
‘भविष्य के डिजाइन और निर्माण’ विषय पर कॉर्पगिनी के वेबिनार में टाटा ने कहा, ‘‘मैं हमेशा से आर्किटेक्ट बनना चाहता था क्योंकि यह मानवता की गहरी भावना से जोड़ता है. मेरी उस क्षेत्र में बहुत रुचि थी क्योंकि आर्किटेक्चर से मुझे प्रेरणा मिलती है. लेकिन मेरे पिता मुझे एक इंजीनियर बनाना चाहते थे, इसलिए मैंने दो साल इंजीनियरिंग की.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन दो सालों में मुझे समझ आ गया कि मुझे आर्किटेक्ट ही बनना है, क्योंकि मैं बस वही करना चाहता था.’’ टाटा ने कॉरनैल विश्वविद्यालय से 1959 में आर्किटेक्ट में डिग्री ली. उसके बाद भारत लौटकर पारिवारिक कारोबार संभालने से पहले उन्होंने लॉस एंजिलिस में एक आर्किटेक्ट के कार्यालय में भी कुछ वक्त काम किया.यह भी पढ़ें: यूरोप में कंपनियां खरीद रहा है चीन, यूरोप कैसे भांप रहा है साज़िश?

दुख नहीं लेकिन मलाल जरूर है
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि बाद में मैं पूरी जिंदगी आर्किटेक्चर से दूर रही रहा. मुझे आर्किटेक्ट नहीं बन पाने का दुख कभी नहीं रहा, मलाल तो इस बात का है कि मैं ज्यादा समय तक उस काम को जारी नहीं रख सका.’’

वेबीनार के दौरान टाटा ने डेवलपरों और आर्किटेक्चर्स के शहरों में मौजूद झुग्गी-झोपड़ियों को ‘अवशेष’ की तरह इस्तेमाल करने पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के तेजी से फैलने की एक बड़ी वजह इन झुग्गी झोपड़ी कॉलोनियों को भी बताया.

उन्होंने कहा, ‘‘सस्ते आवास और झुग्गियों का उन्मूलन आश्चर्यजनक रूप से दो परस्पर विरोधी मुद्दे हैं. हम लोगों को अनुपयुक्त हालातों में रहने के लिए भेजकर झुग्गियों को हटाना चाहते हैं. यह जगह भी शहर से 20-30 मील दूर होती हैं और अपने स्थान से उखाड़ दिए गए उन लोगों के पास कोई काम भी नहीं होता है.’’

उन्होंने कहा कि लोग महंगे आवास वहां बनाते हैं, जहां कभी झुग्गियां होती थीं. झुग्गी झोपड़ियां विकास के अवशेष की तरह हैं.

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First published: April 20, 2020, 10:45 PM IST



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