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COVID-19 ने बदल दिए कब्रिस्तान के कायदे, 10 फीट गहरी कब्र में दफनाई जा रही लाश – COVID-19 changed the rules of the cemetery the corpse being buried in a 10 feet deep grave | delhi-ncr – News in Hindi

COVID-19 ने बदल दिए कब्रिस्तान के कायदे, 10 फीट गहरी कब्र में दफनाई जा रही लाश

इन दिनों कोविड-19 संक्रमित मरीजों को दफनाने के लिए 10 फीट गहरी कब्र खोदी जा रही है. इसके लिए जेसीबी मशीन तक की मदद ली जा रही है. (प्रतीकात्मक फोटो)

कोविड-19 (COVID-19) के कारण मौत के बाद शवों को जलाने या दफनाने के तरीके भी बदल गए हैं. सामान्य दिनों में जहां हम किसी शव को 3 फीट गहरी कब्र (Grave) में दफनाते थे, वहीं इन दिनों कोविड-19 संक्रमित मरीजों को दफनाने के लिए 10 फीट गहरी कब्र खोदी जा रही है. इसके लिए जेसीबी मशीन तक की मदद ली जा रही है.’

नई दिल्ली. पिछले करीब 2 महीनों से ज्यादा समय से देश-दुनिया में कहर बरपा रहे कोरोना वायरस (Coronavirus) ने हमारे आचार-व्यवहार तक बदल डाले हैं. इसका असर न सिर्फ जीवित लोगों पर पड़ा है, बल्कि मौत के बाद शवों को जलाने या दफनाने के तरीके भी बदल गए हैं. राजधानी दिल्ली में स्थित एक कब्रिस्तान (Cemetery) के सुपरवाइजर मो. शमीम इस हालात से बेहद आहत हैं. शमीम कहते हैं कि कोविड-19 (COVID-19) के सामने आने से पहले इंसान के जिस्म को इतना ‘अछूत’ होते हुए कभी नहीं देखा. दिल्ली गेट स्थित जादिद कब्रिस्तान के सुपरवाइजर ने बताया कि, ‘कोरोना संक्रमण की वजह से मुर्दों को दफनाने का तरीका भी बदल गया है. सामान्य दिनों में जहां हम किसी शव को 3 फीट गहरी कब्र में दफनाते थे, वहीं इन दिनों कोविड-19 संक्रमित मरीजों को दफनाने के लिए 10 फीट गहरी कब्र खोदी जा रही है. इसके लिए जेसीबी मशीन तक की मदद ली जा रही है.’

मुर्दों को उनके अपने भी हाथ नहीं लगाते
जादिद कब्रिस्तान के 38 वर्षीय सुपरवाइजर मो. शमीम ने अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में कहा कि कोरोना ने यह हालत कर दी है कि मौत के बाद अपने भी किनारा कर ले रहे हैं. यहां तक कि अगर किसी के पिता की मौत हो गई, तो मृतक का बेटा भी कब्रिस्तान में शव को छूने से डरता है. शमीम ने अखबार से बातचीत में कहा कि उनकी तीन पीढ़ियां शवों को दफनाने के काम से जुड़ी हैं, लेकिन कभी ऐसा नहीं देखा कि मृतक के परिजन भी शव को छूने से कतराते दिखें. हालांकि उन्होंने कहा कि कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जिनमें परिजनों की जगह मृतक के आस-पड़ोस के लोग कब्रिस्तान में मुर्दे को दफन करने पहुंचे हैं.

COVID-19 संक्रमितों को दफनाना चुनौतीकोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की मौत के बाद उन्हें दफनाने में अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है. मो. शमीम ने बताया कि शनिवार शाम तक जादिद कब्रिस्तान में 26 शवों को दफनाया गया. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीज को दफन करना चुनौती भरा है. उन्होंने बताया कि यह काम न सिर्फ खतरनाक है, बल्कि चुनौतियां भी काफी हैं. हमें शव को दफन करने से पहले कोरोना संबंधी सभी प्रोटोकॉल का पालन करना होता है. शमीम ने बताया कि दफन के लिए आमतौर पर दोपहर बाद ही लाशें लायी जाती हैं, लेकिन इसके 2 घंटे पहले मृतक के परिजन हमारे पास आते हैं और दफनाने की प्रक्रिया की पूरी जानकारी लेते हैं. मैं उन्हें संक्रमण को लेकर बरती जाने वाली सभी सावधानियों के बारे में बताते हूं. लोग शव को दफन करने के लिए अपने साथ PPE सूट, ग्लव्स, मास्क, सैनेटाइजर साथ लेकर आएं, यह उन्हें बता दिया जाता है.

कब्र खोदने के लिए जेसीबी का इस्तेमाल
मो. शमीम ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद उसके शव को दफन करने के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं. अखबार के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि, ‘सामान्य दिनों में किसी का शव दफनाने के लिए हमारे यहां कब्र खोदने वाले हैं, जो करीब 3 फीट गहरी कब्र खोदते हैं. लेकिन COVID-19 संक्रमित की मौत के बाद उसे दफनाने के लिए हम लोग जेसीबी जैसी मशीन (earth-moving machines) का इस्तेमाल करते हैं, जिससे 10 फीट गहरी कब्र की खुदाई की जाती है.’ सामान्य दिनों में शव को कब्र में उनके परिजन ही उतारते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण का खतरा देखते हुए इन दिनों शव को कब्र में उतारने के लिए रस्सी का इस्तेमाल किया जा रहा है. शमीम ने बताया कि इस्लामिक परंपरा के तहत मुर्दे को दफन करने से पहले उनके परिजनों को चेहरा देखने और फातिहा पढ़ने की अनुमति दी जाती है, लेकिन इन दिनों यह बदल गया है.

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First published: April 20, 2020, 7:17 PM IST



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