नवजात और छोटे बच्चों को कोरोना संक्रमण से कैसे बचाएं? जानें एक्सपर्ट्स की राय _ How to protect newborns and young children from coronavirus infection Know experts opinion nodrss | delhi-ncr – News in Hindi
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देश में सबसे कम उम्र के बच्चे की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई है.
बच्चे कोरोना वायरस (Coronavirus) से लगातार संक्रमित हो रहे हैं. राजस्थान में भी एक नवजात बच्चे के कोरोना पॉजिटीव (Corona Positive) होने का मामला सामने आया है. वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी 12 दिन की एक बच्ची के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है.
बच्चों में कोरोना को फैलने से कैसे बचाएं?
रविवार को राजस्थान से भी एक नवजात बच्चे के कोरोना पॉजिटीव (Corona Positive) होने का मामला सामने आया है. वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी 12 दिन की एक बच्ची के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है. यह राज्य की सबसे कम उम्र की कोविड-19 मरीज है. बच्चे के पिता ने कहा है कि बच्ची को संक्रमण उसके जन्म के समय ड्यूटी पर मौजूद महिला स्वास्थ्य कर्मचारी से हुआ, क्योंकि कर्मचारी की जांच रिपोर्ट बाद में पॉजिटिव आई हैं.
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नवजात बच्चे को कोरोना के संक्रमण से आखिरकार कैसे बचाया जाए? (सांकेतिक तस्वीर)
ऐसे में सवाल उठता है कि नवजात बच्चे को कोरोना के संक्रमण से आखिरकार कैसे बचाया जाए? कम दिनों के बच्चों को किस तरह से रखा जाए तब, जब उसके परिवार में किसी अन्य सदस्य या फिर उसके मां-बाप में से कोई सदस्य कोरोना पॉजिटीव पाया जाए? गाजियाबाद के कौशांबी स्थित यशोदा अस्पताल के बच्चों के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर जितेंद्र कुमार कहते हैं, ‘यह बीमारी अब कम्युनिटी स्प्रेड जैसा हो रहा है. इस समस्या का हल अब केवल जांच करने से नहीं होगा. सारे डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टॉफ को क्वारंटीन करने से भी इलाज नहीं होगा. हमें प्रिवेंशन बहुत ज्यादा लेने की जरूत है. बच्चे के संपर्क में आने पर मास्क पहनें, खांसते या छींकते समय मुंह को रुमाल या टिश्यू पेपर से ढकें. डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ संक्रमित न हों इसके लिए पीपीई किट की उपलब्धता सुनिश्चित करानी पड़ेगी.’
कोरोना संक्रमण से कैसे बचा जाए?
जीतेंद्र आगे कहते हैं, ‘इस तरह के केसज में जितने भी मामले सामने आ रहे हैं उसमें देखा जा रहा है कि जो डिलेवरी लेने गया है वह डॉक्टर पहले से संक्रमित था. कुछ केसेज में मदर के जरिए भी बच्चे संक्रमित हुए हैं, लेकिन फिलहाल जो डाटा सामने आ रहे हैं उनमें ज्यादातर केसेज में डॉक्टर संक्रमित पाए गए हैं. बच्चों में इम्यून सिस्टम होता ही नहीं है. कुछ होते भी हैं तो वह मदर के जरिए होते हैं. बच्चों में इम्यून सिस्टम डेवलप होने में 9 महीने का वक्त लगता है. इसलिए बच्चे में इस तरह की बीमारी से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है.’
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अगर कोरोना संक्रमण से बच्चों को बचाना है तो डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ को भी प्रिवेंशन मजबूत करना होगा. (सांकेतिक फोटो)
कुलमिलाकर कह सकते हैं कि अगर कोरोना संक्रमण से बच्चों को बचाना है तो डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ को भी प्रिवेंशन मजबूत करना होगा. कलावती शरण अस्पताल बच्चों के इलाज के लिए देश का सबसे बड़ा अस्पताल माना जाता है. अब तक यह पता नहीं चल सका है कि अस्पताल के उस डॉक्टर का संक्रमण कैसे हुआ है, जिसने बच्ची का इलाज किया था. बच्चे की मौत के बाद इस अस्पताल के 14 लोग जिसमें तीन डॉक्टर और कुछ नर्सिंग स्टॉफ पॉजिटिव मिले हैं.
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First published: April 20, 2020, 5:41 PM IST