Coronavirus: महाराष्ट्र और कर्नाटक से सटे होने के बाद भी गोवा ने संक्रमण पर कैसे किया काबू – Know How did Goa control the spread of Coronavirus even after sharing its borders with worst hit Maharashtra and Karnataka | knowledge – News in Hindi
बता दें कि गोवा में हर साल सिर्फ विदेश से करीब 9 लाख पर्यटक पहुंचते हैं. वहीं, हर साल कुल पर्यटकों की संख्या करीब 80 लाख रहती है. यानी हर महीने 6.5 लाख से ज्यादा पर्यटक इस समुद्र तटीय राज्य में सैर-सपाटे के लिए पहुंचते हैं. इतनी बड़ी संख्या में पर्यटकों (Tourists) के आने के बाद भी राज्य में संक्रमितों की संख्या 7 से आगे नहीं बढने देने को गोवा सरकार (Goa Government) की जबरदस्त उपलब्धि माना जा रहा है. आइए जानते हैं कि आखिर गोवा सरकार ने कोरोना वायरस को काबू करने और उससे निपटने के लिए क्या कदम उठाए…
महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल में केस आते ही सील कीं गोवा की सीमाएं
देश के पश्चिमी भाग में स्थित गोवा क्षेत्रफल के हिसाब से देश का सबसे छोटे और जनसंख्या के लिहाजा से चौथा सबसे छोटा राज्य है. गोवा के उत्तर में कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र है तो पूर्व में ये राज्य कर्नाटक से घिरा है. इन दोनों राज्यों से सटा होने और टूरिस्ट के जबरदस्त फुटफॉल के बाद भी गोवा रविवार को कोरोना वायरस से पूरी तरह उबर गया और आधिकारिक रूप से कोरोना मुक्त राज्य घोषित हो गया है. गोवा में 3 अप्रैल के बाद कोरोना का कोई नया मामला सामने नहीं आया है.
गोवा में पहला मामला सामने आने के तुरंत बाद सख्ती से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया गया. साथ ही महाराष्ट्र और कर्नाटक से लगती सीमाओं को सील कर दिया गया.
गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने बताया कि हम तभी सतर्क हो गए थे, जब देश के अलग-अलग राज्यों में एक-दो मामले मिलने शुरू ही हुए थे. गोवा सरकार ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और केरल में पॉजिटिव केस मिलते ही राज्य की सीमाओं को सील कर दिया. साथ ही आम लोगों और डॉक्टरों के बीच संपर्क को कम करना शुरू कर दिया. दरअसल, सरकार सबसे पहले डॉक्टर्स को पूरी तरह सुरक्षित रखना चाहती थी. इसके लिए सबसे पहले अस्पतालों और क्लीनिकों में ओपीडी बंद कर दी गईं. अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी सेवा जारी रखी गई.
शुरू में ही फेस मास्क किया अनिवार्य, ICMR की मदद से की टेस्टिंग
गोवा देश का पहला राज्य था, जहां घर से निकलने पर फेस मास्क पहनने को अनिवार्य बना दिया गया था. इसके बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की मदद से टेस्टिंग को बहुत तेजी से बढ़ाया. गोवा सरकार ने टेस्टिंग किट्स खरीदीं और कई जगह पीसीआर, आरटी-पीसीआर टेस्टिंग शुरू की. वहीं, देश के किसी भी राज्य से पहले गोवा सरकार ने सबसे पहले अलग कोरोना अस्पताल बनाया.
विदेशी पर्यटकों की मौजूदगी की समस्या से निपटने के लिए अलग-अलग देशों की सरकारों से संपर्क किया गया. इसके बाद उन्होंने अपने नागरिकों को वापस बुलाने के लिए चार्टर फ्लाइट भेजीं. हालांकि, तब तक गोवा सरकार ज्यादातर की रैंडम टेस्टिंग कर चुकी थी. इनमें से किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं थे. वापस भेजे गए ज्यादातर विदेशी पर्यटक गोवा में पिछले 1-2 महीने से रह रहे थे. इसके बाद भी गोवा में रह गए विदेशी पर्यटकों को क्वारंटीन कर दिया गया. इस समय गोवा में विदेशी पर्यटकों की संख्या बहुत कम है, जबकि देश में संक्रमण फैलने की शुरुआत के समय इनकी संख्या हजारों में थी.
गोवा सरकार ने पहला मामला सामने आते ही स्वास्थ्य और पुलिस समेत सभी विभागों के साथ बैठक कर स्कूल, कॉलेज, सिनेमा, कसीनो, बोट क्रूज बंद करने का फैसला लिया.
तकनीक की मदद से घर बैठे की गई लोगों की कोरोना स्क्रीनिंग
गोवा सरकार ने कोरोना वायरस से मुकाबले में तकनीक की भी पूरी मदद ली. गोवा देश का पहला राज्य था, जिसने व्हाट्सऐप पर चैटबॉट की शुरुआत की. इसमें लोगों को संक्रमण से संबंधित कुछ सवालों के जवाब देकर घर बैठे कोरोना स्क्रिीनिंग की सुविधा दी गई. लोगों को सवालों के जवाब देने के बाद चैटबॉट पर बताया जाता था कि उनमें कोरोना के लक्षण हैं या नहीं. अगर हैं तो उन्हें क्या करना है और अगर नहीं हैं तो उन्हें घर में रहने के लिए प्रोत्साहित किया गया.
इसके अलावा कॉलडॉक सेवा शुरू की गई. इसके तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की समस्या महसूस होने पर कॉल करके डॉक्टर से सलाह जे सकता था. गोवा जैसे राज्य में सोशल डिस्टेंसिंग को मेनटेन करने का काम सबसे ज्यादा चुनौती वाला था. पुलिस और प्रशासन ने इस दिशा में लोगों को जागरूक किया. सभी मिलकर सबसे पहले अलग कोरोना अस्पताल बनाया.
शिगमोत्सव समेत सभी कार्यक्रम किए रद्द, भीड़ वाली जगह कीं बंद
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने 18 मार्च को पहला मामला सामने आते ही राज्य के स्वास्थ्य विभाग, पर्यटन विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर निर्णय लिया कि सभी स्कूल, कॉलेज, सिनेमा, बोट क्रूज, कसीनो और नाइट क्लब को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया जाए. हालांकि, रेस्टोरेंट खुले रखने का फैसला लिया गया. वहीं, गोवा बोर्ड ने 10th SSC की परीक्षाएं तुरंत आगे बढ़ा दीं.
गोवा में हर साल होने वाले शिगमोत्सव को रद्द कर दिया गया. साथ ही सभी सार्वजनिक स्थानों को पूरी तरह बंद कर दिया गया. (सांकेतिक तस्वीर)
गोवा के सभी जिम, स्पा और सार्वजनिक स्विमिंग पूल को बंद कर दिया गया. हवाई अड्डे पर हर तरह की अतिरिक्त सावधानी बरती गई. साथ ही कोरोना वायरस की वजह से शिगमोत्सव समेत कई कार्यक्रम रद्द कर दिए गए. शिगमोत्सव एक सार्वजनिक फ्लोट परेड है, जो गोवा में मनाए जाने वाले वसंत उत्सव का हिस्सा होती है. सभी हवाई अड्डे, बंदरगाह और रेलवे स्टेशनों पर थर्मल स्कैनर लगाकर हर व्यक्ति की जांच की गई. संदिग्ध लोगों को आइसोलेट कर उनकी पूरी निगरानी की गई. वहीं, डॉक्टरों, अधिकारियों और वालिंटियर्स की टीमें बनाकर नियमों का पालन कराया गया.
अब किया जाएगा हर प्रवासी मजदूर और कर्मियों का टेस्ट
सीएम प्रमोद सावंत गोवा के कोरोना फ्री होने का पूरा श्रेय डॉक्टर्स, मरीजों के अटेंडेंट, वॉलिंटियर्स, प्रशासनिक अधिकारियों की मेहनत को देते हैं. वह कहते हैं कि गोवा के लिए असली चुनौती अब शुरू हुई है. अब हम रैंडम टेस्टिंग शुरू करेंगे और लॉकडाउन का 3 मई तक सख्ती से पालन कराएंगे. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि गोवा ग्रीन जोन, रेड जोन या ऑरेंज जोन हो गया है. हमारा कोरोना वायरस से मुकाबले का काम जारी रहेगा.
स्वास्थ्य मंत्री राणे कहते हैं कि अब हमारा फोकस इंडस्ट्रीज को शुरू करने पर है. इसके लिए हम हर कर्मचारी और प्रवासी मजदूर की कोरोना टेस्टिंग करेंगे. उन्होंने कहा, ‘हम भले ही इस समय कोरोना मुक्त हो गए हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम कोरोना से शत-प्रतिशत सुरक्षित हो गए हैं. अब हमारा फोकस डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स की ट्रेनिंग पर हैः हमने 200 वेटिंलेटर्स ऑर्डर किए हैं, लेकिन उनका फायदा तभी मिल पाएगा, जब उन्हें हैंडल करने के लिए प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ होगा. हम नर्सों को ऑनलाइन ट्रेनिंग भी दे रहे हैं.
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