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भारत ने चीन को सबक सिखाने के लिए उठाया बड़ा कदम, करोड़ों के नुकसान से घबराया चीन China reacted strongly over FDI regulations changed by india for neighboring countries china suffer from big loss against WTO rules | business – News in Hindi

भारत ने चीन को सबक सिखाने के लिए उठाया बड़ा कदम, करोड़ों के नुकसान से घबराया China

भारत ने चीन को सबक सिखाने के लिए उठाया बड़ा कदम

भारत किए गए FDI नियमों में बदलाव पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. भारत में चीन के राजदूत ने इन बदलावों को WTO नियमों के खिलाफ बताया है. चीन की तरफ से कहा गया है कि चीन ने भारत में बहुत बड़ा निवेश किया है.

नई दिल्ली. भारत किए गए FDI नियमों में बदलाव पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. भारत में चीन के राजदूत ने इन बदलावों को WTO नियमों के खिलाफ बताया है. चीन की तरफ से कहा गया है कि चीन ने भारत में बहुत बड़ा निवेश किया है. भारत में चीन ने 8 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है. चीन के निवेश से भारत में बहुत सारे जॉब क्रिएट हुए हैं. चीन द्वारा हाल ही में किए गए निवेश का कोई गलत उद्देश्य नहीं है. भारत की तरफ से चीन के निवेश को रोकने के लिए उठाया गया कदम उदारीकरण की नीतियों के खिलाफ है. चीन अभी सिर्फ भारत सरकार को एक चिट्ठी लिख कर अपनी आपत्ति जताई है. लेकिन आगे ये मामला WTO तक जा सकता है.

अब चीन समेत सभी पड़ोसी देशों से FDI पर मंजूरी लेनी जरूरी होगा
चीन से आने वाले विदेशी निवेश पर सरकार ने सख्ती कर दी है. सरकार ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि जिन-जिन देशों से भारत की सीमा लगती है वहां से होने वाले फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट को पहले सरकार से मंजूरी लेनी होगी. अब तक ये इन्वेस्टमेंट ऑटोमेटिक रूट से हो जाते थे. अब चीन समेत सभी पड़ोसी देशों से FDI पर मंजूरी लेनी जरूरी होगी.

ये भी पढ़ें: बिना मास्क लगाए नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, देशभर में लागू यह नियममैनेजमेंट कंट्रोल पर असर पड़ने वाले FDI पर भी मंजूरी जरूरी होगी. बता दें कि जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया,स्पेन, इटली ऐसा ही कदम उठा चुके हैं. कोरोना की वजह से ये कदम उठाए गए हैं. सरकार के इस कदम का लक्ष्य वैल्यूएशन में गिरावट का फायदा उठाने वालों पर सख्ती करना है. सरकार ने यह निर्णय हाल ही में चाइना के सेंट्रल बैंक द्वारा भारतीय कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉपोर्रेशन (HDFC)में हिस्सेदारी बढ़ाकर 1 फीसदी से कुछ ज्यादा करने के बाद लिया है. गौरतलब है कि ऐसी खबरें आई है कि कोरोना से फैली अफरा-तफरी का फायदा उठाते हुए चीन पूरी दुनिया में अपना निवेश तेजी से बढ़ा रहा है.

क्या है पूरा मामला?
सेबी अभी चीन और भारत के दूसरे पड़ोसी देशों से आने वाले FPI निवेश की जांच कर रहा है. कुछ दिनों पहले ही मार्केट रेगुलेटर ने कस्टोडियन को भेजे अपने संदेश में लिखा था, “जिन FPI का बेनिफिशयरी अकाउंट चीन और हॉन्गकॉन्ग के हैं उनकी जानकारी तुरंत मुहैया कराई जाए.”

इस पूरे मामले की शुरुआत HDFC में चीन के निवेश के साथ हुई थी. 13 अप्रैल को HDFC ने कहा था कि चीन के पीपल्स बैंक (PBOC) ने मार्च तिमाही में कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 0.8 फीसदी से बढ़ाकर 1.01 फीसदी कर लिया है. पीपल्स बैंक ने यह हिस्सेदारी ओपन मार्केट से खरीदी है. ऐसे में कई लोग इस बात पर चिंता जता रहे हैं कि FPI रूट के जरिए ओपन मार्केट से स्टेक खरीदना अधिग्रहण के लिहाज से बेहद संवेदनशील है.

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चीन और जापान से होने वाले निवेश को ट्रैक करना काफी मुश्किल
भारत में अभी 16 चाइनीज FPI रजिस्टर्ड हैं. इनका टॉप-टीयर शेयरों में 1.1 अरब डॉलर का निवेश है. चीन से डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीके से भारतीय शेयर बाजार में कितना पैसा लगा है, अभी इसकी जानकारी नहीं है. सेबी और डिपॉजिटर्स ने अभी सिर्फ टॉप 10 ज्यूरिशडिक्शन का खुलासा किया है जिसमें चीन नहीं है. एसेट मैनेजर्स का कहना है कि चीन और जापान से होने वाले निवेश को ट्रैक करना काफी मुश्किल है. इन देशों से आने वाला निवेश या तो बहुत छोटा है या फिर वो इंडियन एसेट मैनेजर्स के जरिए निवेश नहीं करते हैं.

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First published: April 20, 2020, 2:44 PM IST



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