पाक के काले सच का खुलासा: घटिया फाइबर से बने थे करतारपुर गुरुद्वारे के गुंबद, मामूली आंधी में उड़े । poor quality construction at Gurudwara Kartarpur Sahib Pakistan New construction falling apart | nation – News in Hindi
फाइबर के बने करतारपुर गुरुद्वारे के गुंबद मामूली आंधी में उड़ गए
पाकिस्तान (Pakistan) के करतारपुर साहिब गुरुद्वारे (Kartarpur Sahib Gurudwara) के गुंबद शनिवार को मामूली आंधी में गिर गए थे. बताया गया है कि इसे फाइबर (Fiber) से बनाया गया था.
लोगों ने यह आरोप भी लगाया है कि इमरान खान सरकार (Imran Khan Government) किसी अन्य मजहब का सम्मान नहीं करती. उन्होंने यह आरोप भी लगाया है कि इमरान खान (Imran Khan) के लिए करतारपुर सिर्फ पॉलिटिकल स्टंट था.
पाकिस्तान में सिखों के दो प्रमुख धार्मिक स्थल- करतारपुर और ननकाना साहिब
बता दें कि पाकिस्तान में सिखों के दो प्रमुख स्थल हैं. लाहौर से करीब 75 किमी की दूरी पर पड़ने वाला ननकाना साहिब, जहां पर गुरु नानक (Guru Nanak) का जन्म हुआ था और दूसरा है करतारपुर. जहां पर गुरु नानक अंतरध्यान हुए थे. यह लाहौर से लगभग 117 किमी की दूरी पर है.करतारपुर साहिब गुरुद्वारे (Kartarpur Sahib Gurdwara) में भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर कॉरिडोर बनाया गया था. पिछले साल दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने अपने-अपने देशों की ओर इस कॉरिडोर का उद्घाटन किया था. भारत-पाक की सीमा से करतारपुर की दूरी करीब 4 किमी है. गुरु नानक अपनी 4 प्रसिद्ध यात्राएं पूरी करने के बाद 1522 से यहीं पर रहने लगे थे.
बेहद घटिया क्वालिटी के थे फाइबर से बने गुंबद, मामूली आंधी का नहीं कर सके सामना
हाल ही में करतारपुर गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार और रंगरोगन किया गया था. गुरुद्वारा परिसर को भी फिर से बनवाया गया था. बता दें कि इन गुंबदों को बनाने में सीमेंट, लोहे और कंक्रीट आदि का इस्तेमाल नहीं किया गया था. ये गुंबद फाइबर (Fiber) से बनाए गए थे और अत्यंत हल्के थे, इसलिए यह मामूली आंधी का भी सामना नहीं कर सके. यह फाइबर भी बेहद घटिया क्वालिटी का है, जो मामूली आंधी में उड़ गया.
बता दें कि भारत के बंटवारे के बाद से ही यह गुरुद्वारा वीरान हो गया था. बरसों तक इस जगह के उजाड़ रहने के बाद 1995 में पाकिस्तान सरकार (Pakistan Government) ने इस गुरुद्वारे की मरम्मत का काम शुरू कराया. जो 2004 में पूरा हो गया. आजादी के बाद से सीधे 2001 में यहां पर लंगर बांटा गया था.
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First published: April 19, 2020, 5:35 AM IST