Covid-19: कोरोना संक्रमितों की जांच और उपचार की लाइन तय करने में रैपिड टेस्टिंग किट कितना असरदार? – How rapid testing kit effective in detecting line of treatment of coronavirus infections cases nodrss | health – News in Hindi
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि सैंपलिंग और रैपिड टेस्टिंग किट से कोरोना वायरस को काबू करने में काफी मदद मिलेगी.(File Photo)
स्वास्थ्य विशेषज्ञों (Health Experts) की मानें तो रैपिड टेस्ट किट (Rapid testing kit) के जरिए जांच किसी मरीज को तुरंत आइसोलेट करने के लिहाज से कामयाब है, ताकि कोरोना महामारी के संक्रमण को रोका जा सके. हालांकि किसी व्यक्ति में कोरोना की पुष्टि के लिए इसका उपयोग फिलहाल नहीं होगा
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो रैपिड टेस्ट किट के जरिए जांच किसी मरीज को तुरंत आइसोलेट करने के लिहाज से कामयाब है, ताकि कोरोना महामारी के संक्रमण को रोका जा सके. किसी व्यक्ति में कोरोना की पुष्टि के लिए इसका उपयोग फिलहाल नहीं होगा. इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का भी कहना है कि कोरोना के वायरस की पुष्टि में एंटीबॉडी आधारित यह किट प्रमाणिक नहीं है और इसके लिए पहले से चले आ रहे किट का ही इस्तेमाल किया जाएगा.
किसी व्यक्ति में कोरोना की पुष्टि के लिए इसका उपयोग फिलहाल नहीं होगा (प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्या है एंटीबॉडी टेस्ट
दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी अस्पताल) के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर प्रोफेसर नरेश कुमार कहते हैं, ‘रैपिड टेस्ट किट कैरी टू मूव किट है, जिसके जरिए ट्रेंड (प्रशिक्षित) स्वास्थ्यकर्मी मौके पर पहुंचकर जांच कर सकता हैं. इस किट के माध्यम से महज आधे घंटे के भीतर ही कोरोना के लक्षणों का पता चल जाएगा. आम तौर पर इसका इस्तेमाल महामारी के विस्तार का पता लगाने के लिए किया जाता है. हालांकि, इस जांच से मरीज के इलाज में कोई मदद नहीं मिलती है. लगभग 80 प्रतिशत केस में ही इस जांच से संक्रमण की पुष्टि होती है, जबकि मरीजों की जांच के लिए 100 प्रतिशत गुणवत्ता जरूरी है. कोरोना के मामले आम तौर पर 10 से 14 दिनों के बाद पता चलते हैं. रैपिड टेस्ट के माध्यम से संक्रमित मरीजों का तत्काल पता लगाकर तुरंत ही उन्हें आइसोलेट कर दिया जाता है.’
दो तरह की एंटीबॉडी जांच
नरेश कुमार आगे कहते हैं, ‘रैपिड टेस्ट एंटीबॉडी टेस्टिंग के माध्यम से दो तरह के एंटीबॉडीज जांच होते हैं. एक आईजीएम और दूसरा आईजीजी. आईजीएम जांच से पता चलता है कि संक्रमित मरीज में विषाणु हाल ही में आया है, जबकि आईजीजी जांच से पता चलता है कि संक्रमण पुराना है.’
कई राज्य सरकारें कोरोनावायरस संक्रमण मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए रैपिड टेस्ट शुरू करने जा रही हैं
बता दें कि इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार भी कोरोना वायरस मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए रैपिड टेस्ट शुरू करने जा रही है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया है कि दिल्ली को 42 हजार रैपिड टेस्ट किट मिल चुके हैं. राजधानी में रविवार से इस सेवा की शुरुआत हो जाएगी. वहीं छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी रैपिड टेस्ट किट के जरिए कोरोना पर लगाम लगाने की तैयारी कर रहे हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक रैपिड टेस्ट किट के जरिए सबसे पहले देश में कोरोना वायरस संक्रमण वाले हॉटस्पॉट इलाके में जांच सुनिश्चित की जाएगी. रैपिड टेस्ट किट से कंटेनमेंट जोन इलाकों के लोगों की जांच की जाएगी. आईसीएमआर के मुताबिक, रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट का हर क्षेत्र में इस्तेमाल का फायदा नहीं है. इसे केवल हॉटस्पॉट वाले इलाकों में इस्तेमाल किया जाएगा.
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First published: April 18, 2020, 8:03 PM IST