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नलों से आया पीले रंग का पानी

सबका संदेस न्यूज छत्तीसगढ़ कवर्धा- खैरबना वाटर फिल्टर प्लांट से शहर के 27 वार्डों में साढ़े 7 हजार घरों में पीने के पानी की सप्लाई होती है। नलों से पीला व मटमैला पानी आ रहा है। गुरुवार को भी यही स्थिति देखी गई। इसकी वजह फिल्टर प्लांट में बांध से आने वाले पानी की टेस्टिंग के लिए केमिस्ट का न होना है। यहां पानी की शुद्धता की जांच अर्धकुशल कर्मियों के भरोसे है। 

फिल्टर प्लांट में मशीनों और कांटों को देखकर पानी की शुद्धता के आधार पर उसमें केमिकल मिलाना चाहिए। लेकिन यहां पानी में क्लोरीन गैस, एलम, चूना और अन्य केमिकलों का उपयोग बिना टेस्टिंग व बिना एक्सपर्ट केमिस्ट की मौजूदगी में हो रहा है। नतीजतन घरेलू नलों में पीले व मटमैले पानी की सप्लाई हो रही है। गुरुवार की सुबह राजमहल चौक, मठपारा, पंचमुखी बूढा महादेव वार्ड, करपात्री चौक, शीतला मंदिर और गुरुनानक चौक वाले हिस्से में पीले व मटमैले पानी की सप्लाई हुई। लोगों ने नल के टोंटी खोली, तो उससे मटमैला पानी बाहर आया। 

गंदे पानी की वजह : पानी की टेस्टिंग के लिए केमिस्ट नहीं 

कवर्धा. गुरुनानाक चौक इलाके में नलों से आया पीले रंग का पानी। 

मेन पाइप लाइन में था लीकेज, नहीं सुधरी स्थिति 

शहर में 6 ओवरहेड टंकियां हैं, जिसे भरने के लिए फिल्टर प्लांट से मेन पाइप लाइन बिछी है। रानी दुर्गावती चौक पर मेन पाइन में लंबे समय से लीकेज था। बुधवार को इसे सुधारा गया। इसके बाद भी मटमैला पानी आ रहा है। गुरुनानक चौक इलाके में फॉल्ट बता रहे हैं, लेकिन यह मिल नहीं रहा है। 

लैब में नमूनों की जांच पर रोज 3750 रुपए खर्च 

लैब और केमिस्ट नहीं है। इस कारण सैंपल को जांच के लिए पीएचई के लैब भेजा जाता है। रोज 5 सैंपल भेजे जाते हैं। प्रत्येक सैंपल के जांच में 750 रुपए यानि कुल 3750 रुपए रोज का खर्च होता है, जो बेमतलब है। क्योंकि आज भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट एक हफ्ते बाद आती है। रिपोर्ट आने के पहले ही सप्लाई हो जाती है। 

पड़ताल; बगैर पीसे ही एलम की सिल्लियों को डाल रहे

पड़ताल से सामने आया कि नपाकर्मी बगैर पीसे ही एलम की सिल्लियों को सीधे पानी में डाल रहे हैं। एलम उतना कारगर नहीं है, जितना होना चाहिए। एलम की सिल्लियों से फिल्टर प्लांट के टैंक में गाद जम रही है। अभी करीब 1400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से एलम की खरीदी हो रही है। रोज औसतन 80 किलो एलम की खपत फिल्टर प्लांट में हो रही है। थोक में एलम खरीदी से गुणवत्ता को ताक पर रख दिया गया है। एलम की सिल्लियां बनाकर सप्लाई होती हैं। इसमें एलम के साथ मिट्टी व रेत मिली आ रही है, जिससे पानी फिल्टर करने में इसकी मात्रा ज्यादा लग रही है। खरीदी के समय नगर पालिका एलम की लैब टेस्टिंग भी नहीं कराता है। 

रोजाना होती है 42 लाख लीटर पानी की सप्लाई 

खैरबना कला वाटर फिल्टर प्लांट से रोजाना 42 लाख लीटर पानी की सप्लाई हो रही है। पीएचई लैब में पानी के क्लोरीनिकल जांच रिपोर्ट में क्लोरीन की मात्रा 0.0 एमजी बताई जा रही है। जबकि स्वीकार्य मात्रा 0.2 से 1 एमजी है। क्लोरिन की मात्रा कम होना भी पानी के पीलेपन की वजह है। 

 सुनील अग्रहरि, सीएमओ, नपा कवर्धा

 

 

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