ICMR का दावा, कोरोना वायरस में नहीं हो रहा म्यूटेशन, ये पड़ने वाला है असर कोरोना वायरस (Coronavirus) पर रिसर्च में जुटे भारतीय वैज्ञानिकों scientist see no mutation in coronavirus in india | knowledge – News in Hindi
![](https://sabkasandesh.com/wp-content/uploads/2020/04/corona-49-1.jpg)
17 अप्रैल को ये खबर तब सामने आई है जब देश के बारे में एक और राहतभरी बात कही जा रही है कि लॉकडाउन की वजह से यहां इंफेक्शन फैलने की दर में दोगुनी कमी आई है. बता दें कि देश में अब तक 13835 लोग कोरोना के मरीज हो चुके हैं, जबकि 452 मौतें हो चुकी हैं.
क्या कहता है ICMR
Sars-CoV-2 पर प्रयोग देश की कई लैब्स में चल रहा है. पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भी इनमें से एक है. यहां देखा गया कि कोरोना फैलाने वाले पैथोजन के स्वरूप में फिलहाल तक कोई बदलाव नहीं दिखा है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में इसका जिक्र है, जिसमें ICMR में कम्युनिकेशन बीमारियों के प्रमुख Raman R Gangakhedkar कहते हैं कि पहला वायरस सीक्वेंस अब भी वुहान से मिले सैंपल की तरह ही है. ईरान में पाया गया दूसरा सीक्वेंस भी पहले वाले से मिलता-जुलता है, जबकि वायरस का तीसरा स्ट्रेन यूएस और यूके वाला है. यानी ये वायरस फिलहाल म्यूटेट होता नहीं दिख रहा है. अब ये समझना होगा कि भारत में इस वायरस का कोई सा स्ट्रेन सबसे तेजी से फैलने वाला है. Gangakhedkar ने कहा कि फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है लेकिन इसे समझने के लिए मरीजों से वायरस स्ट्रेन लिए जाएंगे.
![](https://images.hindi.news18.com/ibnkhabar/uploads/2020/04/vaccine-6-2.jpg)
अब ये समझना होगा कि भारत में इस वायरस का कोई सा स्ट्रेन सबसे तेजी से फैलने वाला है
क्या है वायरस स्ट्रेन
ये किसी बायोलॉजिकल प्रजाति का जेनेटिक स्ट्रक्चर होता है. मिसाल के तौर पर अगर हम फ्लू स्ट्रेन को लें तो इसका मतलब है कि फ्लू के वायरस का बायोलॉजिकल रूप कैसा होता है. कोरोना के मामले में बार-बार इसके स्ट्रेन के बारे में जानने पर जोर दिया जा रहा है. इसके पीछे ये वजह है कि अगर हम एक बार इसका जेनेटिक सीक्वेंस समझ जाए तो इसकी वैक्सीन बनाना आसान हो जाएगा जो लंबे समय तक कारगर रहे. वहीं अगर इसमें म्यूटेशन हो यानी वायरस के जेनेटिक स्ट्रक्चर में बदलाव होता रहे तो टीका काम नहीं करेगा. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की रिसर्च में भी यही बात सामने आई है कि अव्वल तो इस वायरस में म्यूटेशन ही नहीं हो रहा है और अगर हो भी रहा है तो बहुत धीमी रफ्तार से.
कौन से स्ट्रेन दिख रहे हैं
- फिलहाल 3 तरह के वायरस स्ट्रेन दिखाई दिए हैं. इन्हें A, B और C वायरस स्ट्रेन नाम दिया गया है. पहला या स्ट्रेन A कोरोना का वो जीनोम सीक्वेंस था, जो चीन के वुहान में फैला था. यहीं पर ये वुहान में फंसे अमेरिकन लोगों तक पहुंचा और उनसे होते हुए अमेरिका जा पहुंचा. तब तक इसका रूप वही था, जो वुहान में दिखा.
- दूसरा यानी स्ट्रेन B पूर्वी एशियाई देशों में दिख रहा है. ये अब तक एशियाई देशों तक ही सीमित लग रहा है.
- स्ट्रेन C यूरोपियन देशों में नजर आ रहा है. पहले इसके मरीज स्वीडन, फ्रांस, इटली और इंग्लैंड में दिखे. शोधकर्ताओं का मानना है कि ये टाइप जर्मनी से होते हुए दूसरे यूरोपियन देशों तक पहुंचा.
![](https://images.hindi.news18.com/ibnkhabar/uploads/2020/04/corona-9-4.jpg)
वायरस खुद को लंबे समय तक प्रभावी रखने के लिए लगातार अपनी संरचना में बदलाव लाते रहते हैं
क्या है म्यूटेशन और क्यों खतरनाक है
वायरस खुद को लंबे समय तक प्रभावी रखने के लिए लगातार अपनी संरचना में बदलाव लाते रहते हैं ताकि उन्हें मारा न जा सके. ये सर्वाइवल की प्रक्रिया ही है, जिसमें जिंदा रहने की कोशिश में वायरस रूप बदल-बदलकर खुद को ज्यादा मजबूत बनाते हैं. म्यूटेशन की ये प्रक्रिया वायरस को काफी खतरनाक बना देती है और ये जब होस्ट सेल यानी हमारे शरीर की किसी कोशिका पर हमला करते हैं तो कोशिका कुछ ही घंटों के भीतर उसकी हजारों कॉपीज बना देती है. यानी शरीर में वायरस लोड तेजी से बढ़ता है और मरीज जल्दी ही बीमारी की गंभीर अवस्था में पहुंच जाता है.
भारत में कौन सा रूप प्रभावी, इसकी जांच
आईसीएमआर के मुताबिक फिलहाल कोरोना वायरस में म्यूटेशन या बदलाव की प्रक्रिया नहीं हो रही है, बल्कि यहां पर उसके तीन रूप दिखे हैं, जो कि वुहान, ईरान और यूएस/यूके में मिले वायरस जैसे ही हैं. अब सिर्फ ये समझना बाकी है कि भारत में इन तीनों में से कौन से स्ट्रेन वाला वायरस ज्यादा फैल रहा है. ये पता लगने पर 12 से 18 महीनों के भीतर वायरस का टीका तैयार हो जाएगा. वैसे कोरोना की वैक्सीन (coronavirus vaccine) पर औपचारिक तौर पर काम के लिए सरकार ने देश के ही एक स्टार्टअप Seagull BioSolutions को इसका जिम्मा भी दे दिया है.
![](https://images.hindi.news18.com/ibnkhabar/uploads/2020/04/virus-11-2.jpg)
वैक्सीन (coronavirus vaccine) पर औपचारिक तौर पर काम के लिए सरकार ने देश के ही एक स्टार्टअप को काम सौंपा है
किस फॉमूले पर काम चल रहा
Seagull Bio पुणे की स्टार्टअप कंपनी है जो बायोलॉजिकल तकनीक पर काम करती है. इसने Active Virosome (AV) प्लेटफॉर्म तैयार किया है. ये वो प्लेटफॉर्म है, जिसकी मदद से पैथोजन से लड़ने के लिए एंटीजन यानी दवाएं तैयार की जा सकती हैं. उम्मीद है कि इसी प्लेटफॉर्म के जरिए कोरोना वायरस के खात्मे के लिए प्रभावी टीका बनाया जा सकता है, साथ ही साथ इससे ELISA kit भी तैयार की जा सकती है. यानी वो किट जो शरीर में किसी एंटीबॉडी या फिर पैथोजन के होने की जांच कर सके. कंपनी को इसी AV प्लेटफॉर्म के आधार पर सरकार ने इसे COVID-19 के लिए वैक्सीन और इम्युनोलॉजिकल किट तैयार करने को कहा है.
कई तरह के शोध हो रहे हैं
इसके अलावा भी अंतरराष्ट्रीय के साथ-साथ कई देशी कंपनियां वैक्सीन बनाने में जुटी हुई हैं. ICMR का कहना है कि वे जल्द ही Bacillus Calmette–Guérin (BCG) वैक्सीन की स्टडी करने जा रहे हैं कि इसका लोगों की इम्युनिटी पर क्या असर पड़ा है. माना जा रहा है कि टीबी से बचाव के लिए लगने वाली बीसीजी वैक्सीन लोगों की इम्युनिटी मजबूत कर देती है जिससे कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. हालांकि इसपर वरिष्ठ साइंटिस्ट Gangakhedkar का मानना है कि फिलहाल इस बारे में कुछ कहना नहीं जा सकता क्योंकि बीसीजी का असर टीका पड़ने के लगभग 15 साल तक ही रहता है.
फिलहाल कोरोना के मरीजों का कई अलग-अलग तरह की दवाओं से इलाज हो रहा है. इसमें एंटी-मलेरिया ड्रग hydroxychloroquine या HCQ के साथ एजिथ्रोमाइसिन का कंबीनेशन मुख्य तौर पर इस्तेमाल हो रहा है. इसके अलावा कई दूसरी तरह की दवाएं भी आजमाई जा रही हैं. जैसे एंटीवायरस दवा Remdesivir भी काफी असरदार मानी जा रही है.
ये भी देखें:-
जानें क्या है डॉक्टरों को सुरक्षा देने वाली PPE Kits, क्यों हो रहे हैं इस पर सवाल खड़े
केरल में कैसे हो रही है कोरोना रोगियों की सबसे ज्यादा रिकवरी?
जानें क्या संक्रमित गर्भवती मां से अजन्मा शिशु हो सकता है कोविड 19 ग्रस्त