किसानों के लिए ‘कड़वी’ हुई फलों के राजा आम की मिठास, ये है वजह, king of fruits mango supply chain break in lockdown indian Alphonso exports also affected by covid 19 crisis farmers upset-dlop | business – News in Hindi

केंद्र सरकार ने कृषि गतिविधियों को जारी रखने की छूट दी हुई है लेकिन इसके लिए किसानों को कोई पास नहीं मिल रहा है. दूसरी ओर यूपी है जहां का आम देर से आता है लेकिन मजदूर और खाद न मिलने की वजह से बागानों की देखभाल नहीं हो पा रही है. उधर, देश में सबसे उम्दा किस्म और महंगा आम अल्फांसो (हाफुस) का उत्पादन करने वाले महाराष्ट्र के किसान इसे एक्सपोर्ट न कर पाने की वजह से परेशान हैं. कोरोना प्रभावित कई देशों में निर्यात नहीं हो पा रहा. इसलिए वे स्थानीय मार्केट में एक तिहाई दाम पर बेचने को मजबूर हैं. दुनिया को लजीज स्वाद का जायका दिलाने वाले खुद परेशान हैं.
मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष इंसराम अली ने न्यूज18 हिंदी को बताया कि अप्रैल में आम बाजार में दिखने लगता था लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से अभी आवक बहुत कम है. जबकि आंध्र प्रदेश में यह आम का पीक सीजन चल रहा है. वहां बंगपाली (सफेदा), तोतापरी और नीलम आम तैयार है. यह आम का दूसरा बड़ा उत्पादक राज्य है. तेलंगाना और आंध्र प्रदेश मिलाकर बात की जाए तो करीब 40 लाख मिट्रिक टन आम होता है. मध्य फरवरी से मध्य जुलाई तक यहां से माल आता है. अगर जल्द ही इसका सही इंतजाम नहीं किया गया तो हजारों किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएंगे.

राष्ट्रीय फल के बारे में पढ़िए सबकुछ
अली का कहना है कि सरकार ने कहने को तो कृषि के लिए ट्रांसपोर्ट खोल दिया है लेकिन पास नहीं जारी किया, इसलिए पुलिस परेशान करती है. जिससे घरेलू मार्केट में माल जा नहीं पा रहा. वहीं यूपी के बागानों में खाद और पानी नहीं मिल पा रहा. इसकी पैकिंग के लिए गत्ते नहीं मिल पा रहे. मेरी मांग है कि जैसे गेहूं का समर्थन मूल्य तय करके सरकार उसे खरीद रही है वैसे ही आम भी खुद खरीदकर देश के बाजारों में भिजवाए.
अल्फांसो उत्पादकों का दर्द
आम उत्पादन के क्षेत्र में भारत पहले स्थान पर है. यह हमारा राष्ट्रीय फल भी है. आम में भी सबसे खास और उन्नत किस्म है अल्फांसो (Alphonso) है. जिसे हापुस भी कहते हैं. यह आम ज्यादातर एक्सपोर्ट (Mango export) होता है. इस साल लॉकडाउन की वजह से एक्सपोर्ट बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इसलिए डोमेस्टिक मार्केट में बिक्री करनी पड़ रही है. पिछले वर्ष के मुकाबले इस सीजन में हापुस का दाम 50 फीसदी तक कम हो गया है. रिटेल मार्केट में एक दर्जन हापुस आम का भाव जहां पहले 1200 से 1500 रुपये होता था वहीं इस साल 500 से 700 रुपये रह गया है. सबसे महंगा आम होने की वजह से अल्फांसो दर्जन में बिकता है.
अल्फांसो उत्पादक राज्य
अल्फांसो महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में होता है. लेकिन सबसे बड़ा उत्पादक महाराष्ट्र है. वहां भी रत्नागिरी, रायगढ़ व कोंकण क्षेत्र में सबसे ज्यादा होता है. हमने रत्नागिरी (Ratnagiri) जिले के बड़े अल्फांसो आम उत्पादक श्रीराम से फोन पर बातचीत की. उन्होंने बताया कि रत्नागिरी के एक आम कलस्टर से ही सालाना 1000 मिट्रिक टन आम एक्सपोर्ट होता था. लेकिन इस बार सारे रास्ते बंद हैं. इसलिए दाम आधे से भी कम हो गया है. इससे किसान बेचैन हैं.
…तो कृषि क्षेत्र को होगा बड़ा नुकसान
राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद का कहना है कि आम के लिए सरकार ने कुछ खास कदम नहीं उठाया तो बिचौलिए किसानों को बर्बाद कर देंगे. इसलिए सप्लाई चेन में जितने भी लोग हैं उन्हें स्पेशल पास जारी कर मंडियों और दूसरे प्रदेशों तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए आने-जाने दिया जाए.
आनंद के मुताबिक देश में 300 मिलियन मिट्रिक टन हॉर्टिकल्चर प्रोडक्शन है. जो रबी और खरीफ फसलों से भी ज्यादा है. ऐसे में बागवानी का ध्यान नहीं रखा गया तो कृषि क्षेत्र तबाह हो जाएंगा. नैफेड, मदर डेयरी, सफल आदि किसानों से ज्यादा आम खरीदकर दूसरे राज्यों तक पहुंचा सकते हैं. आखिर ये संस्थाएं क्यों चुप बैठी हैं.

कोरोना दुनिया से छीन लेगा अल्फांसो आम का जायका
देश में आम उत्पादन
-मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन के मुताबिक भारत में कुल 26 लाख हेक्टेयर में आम का उत्पादन हो रहा है. जिसमें 1 करोड़ 90 लाख मिट्रिक टन पैदावार होती है. यूपी, आंध्र, कर्नाटक, बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, गुजरात बड़े उत्पादक राज्य हैं.
-भारत में इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है. जहां करीब 50 लाख मिट्रिक टन आम पैदा होता है. एपिडा (APEDA-Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) के मुताबिक यह कुल उत्पादन का 23.47 फीसदी होता है.
-यूपी में दशहरी, लंगड़ा, चौसा आम्रपाली, और बांबे ग्रीन मुख्य प्रजातियां हैं. लखनऊ, अमरोहा, सुल्तानपुर, बाराबंकी, वाराणसी, देवरिया, गोरखपुर, बिजनौर और मेरठ यहां के बड़े उत्पादक जिले हैं.
भारत से आम एक्सपोर्ट
-संयुक्त अरब अमीरात भारतीय आम के स्वाद का सबसे बड़ा मुरीद है. इसके अलावा यूके, ओमान, कतर, कुवैत, अमेरिका, सऊदी अरब, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, इटली, स्विटजरलैंड, जापान और आस्ट्रेलिया भारतीय आम के बड़े खरीदार हैं. अल्फांसो, दशहरी, चौसा, लंगड़ा और दशहरी की होती है खूब मांग.
-ओमान, कतर, बहरीन, जद्दा, सऊदी अरब, कजाकिस्तान और उजबेकिस्तान से आम खरीदने का ऑर्डर आ चुका है लेकिन जापान, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, इटली से नहीं आया है.
-एपीडा के अनुसार, साल 2018-19 में 406.45 करोड़ रुपये का 46,510.27 मीट्रिक टन आम निर्यात किया गया था. इस बार निर्यात डेढ़ गुना होने की उम्मीद थी, लेकिन अब कोविड-19 की वजह से विदेशों में आम जा पाना मुश्किल है.
क्या सरकार के इन फैसलों का नहीं मिला फायदा
(1) कृषि मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान बाजार हस्तक्षेप योजना (MISP-Market Intervention Price Scheme) को प्रभावी कर दिया है. इसके तहत जल्दी खराब होने वाली कृषि एवं बागवानी वस्तुओं की कीमतें गिरने पर उसकी खरीद (Procurement) राज्य सरकार द्वारा की जा सकती है. केंद्र सरकार राज्यों को नुकसान की 50 फीसदी भरपाई करेगी.
(2) कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान राज्यों के बीच कृषि उत्पादों की ढुलाई की समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कृषि परिवहन कॉल सेंटर शुरू किया है. इसका नंबर 18001804200 और 14488 है. कॉल सेंटर में तैनात कर्मचारी समस्या समाधान के लिए वाहन और माल के बारे में पूरा ब्योरा संबंधित राज्य सरकारों के अधिकारियों को भेजेंगे. इससे मंडी लेकर कृषि उद्योगों और खेतों तक सामान पहुंचाने में मदद मिलेगी.
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