RBI ने कोरोना संकट से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए इन 3 कंपनियों को दी 50 हजार करोड़ की मदद – Shaktikanta Das RBI Governor Press Conference Updates On Coronavirus COVID-19 Financial Relief Package give help of 50000 crores to 3 companies | business – News in Hindi

आज आरबीआई ने लिए ये अहम फैसले
>> सिस्टम में लिक्वडिटी मेंटेन की जाए.
>> सिडबी को 15 हजार करोड़, एनएचबी को 10 हजार करोड़ और नाबार्ड को 25 हजार करोड़ मिलेंगे.>> बैंक क्रेडिट फ्लो को फैसिलिटेट किया जाए और बढ़ाया जाए.
>> फाइनेंशियल दवाब को कम किया जाए.
>> मार्केट्स में फॉर्मल वर्किंग शुरू हो सके.
रिजर्व बैंक ने 50 हजार करोड़ रुपये के टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (TLTRO) के जरिए 50 हजार करोड़ रुपये सिस्टम में लाने का ऐलान किया है. यह कई टुकड़ों में किया जाएगा और गवर्नर ने कहा कि हालात की समीक्षा के बाद जरूरत हुई तो और भी नकदी डाली जाएगी. गौरतलब है कि आर्थिक संकट के दौर में इन संस्थाओं को नकदी की काफी समस्या हो रही थी.
लिक्विड कवरेज रेशियो 100 से घटकर 80 प्रतिशत हुआ
इसी तरह शेड्यूल कमर्शियल बैंकों के लिए लिक्विड कवरेज रेशियो (LCR) 100 फीसदी से घटाकर 80 फीसदी कर दिया गया है. यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हुआ. अक्टूबर 2020 तक इसे बढ़ाकर 90 फीसदी किया जाएगा और अप्रैल 2021 तक इसे दोबारा 100 फीसदी कर दिया जाएगा. इस प्रणाली से 6.91 लाख करोड़ का सरप्लस होगा, जो बैंकों को अर्थव्यवस्था में इस सरप्लस का उपयोग करने की अनुमति देगा.
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बैंक नहीं देंगे डिविडेंड
शेड्यूल कमर्शियल बैंक और दूसरे फाइनेंशियल संस्थानों को अतिरिक्त 20 फीसदी का प्रोविजन करना होगा. लोन अकाउंट के रेज्योलूशन की चुनौतियों को देखते हुए रेज्योलूशन की अवधि को बढ़ाकर 90 दिन कर दिया गया है. डिफॉल्ट करने वाले बड़े लोन अकाउंट के रेज्योलूशन के लिए 180 दिनों का वक्त दिया जाएगा. 7 जून के सर्कुलर के तहत अतिरिक्त 20 फीसदी प्रोविजनिंग से छूट दी जाएगी. इसके साथ ही बैंक फिस्कल ईयर 2020 से अगले नोटिस तक डिविडेंड नहीं देंगे.
केंद्रीय बैंक की RBI पर पूरी नजर
आरबीआई गवर्नर ने सिस्टम में नकदी संकट कम करने के लिए थ्री लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशंस (TLTRO) शुरू किया है. 25,000 करोड़ रुपए का TLTRO आज यानी 17 अप्रैल को शुरू किया जाएगा. इससे कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट में तेजी आई है. साथ ही म्यूचुअल फंड पर रीडम्पशन का दबाव भी कम हुआ है. केंद्रीय बैंक लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है कि फाइनेंशियल सिस्टम ठीक से काम कर रहा है या नहीं.
भारत उन देशों में शामिल है जिनकी GDP पॉजिटिव है
गवर्नर ने कहा कि कुछ एरिया में मैक्रो इकोनॉमी कमजोर हुई है तो कहीं रोशनी की किरण भी नजर आई है. हालांकि भारत उन देशों में शामिल है जिनकी GDP पॉजिटिव है. मैक्रो इकोनॉमी की स्थिति बहुत खराब है. आईएमएफ का अनुमान है कि महामंदी के बाद ग्लोबल इकोनॉमी का सबसे बुरा दौर है. उन्होंने कहा कि इस महामारी के समय में मानवता की परीक्षा है. हमारा मिशन है किसी भी तरह मानवता को बचाना. हेल्थ वर्कर्स, पुलिस स्टाफ और दूसरे फ्रंटलाइन सर्विस प्रोवाइडर बेहतरीन काम कर रहे हैं. बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन ने भी अपनी सर्विस देने के लिए काफी अच्छा काम कर रहे हैं.
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COVID-19 के दौरान कैश की कोई कमी नहीं, 91% एटीएम काम कर रहे
RBI चीफ ने कहा कि सिस्टम में नगदी की कोई कमी नहीं होगी देश के 91% एटीएम काम कर रहे हैं. रिवर्स रेपो रेट घटने से बैंकों को कर्ज देने में आसानी होगी. हम मानते हैं कि COVID-19 ने उधारकर्ताओं की चुकाने की क्षमता को चुनौती दी है. इस प्रकार 90 दिन का मोरेटोरियम इसमे सहायक सिद्ध होगा. उनके मुताबिक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 476 बिलियन डॉलर के ऊपर रहा है और एनबीएफसी द्वारा कमर्शियल रियल इस्टेट को दिए गए कर्ज में भी समान राहत मिलेगी. इससे एनबीएफसी और रियल इस्टेट सेक्टर को राहत मिलेगी. नए कदम जब भी जरूरत होगी घोषित होंगे. बैंक अपने लेवल पर अपनी उच्च कार्यक्षमता को यूँ ही बनायें रखेंगे जो बाद में वास्तविक स्लिपेज के लिए समायोजित किया जा सकता है.
G20 देशों में भारत की ग्रोथ सबसे बेहतर रह सकती है
आईएमएफ के अनुमानों के मुताबिक, G20 देशों में भारत की ग्रोथ सबसे बेहतर रह सकती है. उन्होंने कहा कि बैंकों ने उचित कार्य करना सुनिश्चित किया है, उनका काम प्रशंसनीय योग्य है. इस साल 1.9% विकास दर का अनुमान है. छोटे और मध्यम वित्तीय संस्थाओं को 50,000 करोड़ रुपए की मदद का एलान किया गया जिसमें सिडबी को 25 हजार करोड़ तथा नेशनल हाउसिंग बैंक को 10 हजार करोड़ और नाबार्ड के लिए 15,000 करोड़ रुपए की मदद का एलान किया गया है. आरबीआई ने अनुमान लगाया है कि कोरोना खत्म होने के बाद 7.4% विकास दर रह सकती है.
ग्लोबल क्राइसिस के मुकाबले अभी हालात ज्यादा बुरे
गवर्नर ने ये भी कहा कि दूसरे प्रोडक्शन सेक्टर्स में हालात काफी खराब है जो आईआईपी के आंकड़ों में शामिल नहीं है. Covid-19 का असर अभी आईआईपी के आंकड़ों में शामिल नहीं है, इसलिए आंकड़ों से किसी तरह की गलतफहमी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मार्च में ऑटोमोबाइल के प्रोडक्शन और सेल्स में बड़ी गिरावट आई है. एक्सपोर्ट बंद होने के कारण मार्च 2020 में सर्विस पीएमआई घटकर सुस्ती में आ गई. मार्च में एक्सपोर्ट में 34.6 फीसदी की कमी आई है. कोरोनावायरस की वजह से बिजली की डिमांड में करीब 25-30 फीसदी की कमी आई है. ग्लोबल क्राइसिस के मुकाबले अभी हालात ज्यादा बुरे हैं.
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