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RBI ने घटाईं ये ब्याज दर, जानिए क्या होगा आम आदमी और अर्थव्यवस्था पर असर-Current RBI Reserve Bank Of India today announcement of Bank Interest Rates 2020 Know Here | business – News in Hindi

RBI ने घटाईं ये ब्याज दर, जानिए क्या होगा आम आदमी और अर्थव्यवस्था पर असर

RBI ने रिवर्स रेपो रेट 0.25 फीसदी (Reverse Repo Rate) घटाकर 3.75 फीसदी कर दी है.

RBI ने रिवर्स रेपो रेट 0.25 फीसदी (Reverse Repo Rate) घटाकर 3.75 फीसदी कर दी है. इस फैसले से बैंकों को RBI के पास जमा पैसे पर कम ब्याज मिलेगा. लिहाजा बैंक अब अपनी रकम को अन्य जगह इन्वेस्ट करेंगे. ऐसे में बॉन्ड्स मार्केट में तेजी आने की उम्मीद है.

नई दिल्ली. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) ने बड़ा ऐलान करते हुए रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसदी कटौती का ऐलान किया है. रिवर्स रेपो रेट 0.25 फीसदी घटकर 3.75 फीसदी पर आ गई है.  इस फैसले से बैंकों को RBI के पास जमा पैसे पर कम ब्याज मिलेगा. लिहाजा बैंक अब अपनी रकम को अन्य जगह इन्वेस्ट करेंगे. ऐसे में बॉन्ड्स मार्केट में तेजी आने की उम्मीद है. इससे बैंकों के पास ज्यादा लिक्विडिटी रहेगी यानी उनके पास पैसा ज्यादा होगा. लिहाजा आम लोगों लोन मिलने भी आसानी होगी.

आइए जानें ऐसे RBI प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस्तेमाल किए गए टर्म के बारे में जिनका आप पर कैसे असर होता है..

जब हमें पैसे की जरूरत हो और अपना बैंक अकाउंट खाली हो तो हम बैंक से कर्ज लेते हैं. इसके बदले हम बैंक को ब्याज चुकाते हैं. इसी तरह बैंक को भी अपनी जरूरत या रोजमर्रा के कामकाज के लिए काफी रकम की जरूरत पड़ती है. इसके लिए बैंक भारतीय रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं. बैंक इस लोन पर रिजर्व बैंक को जिस दर ब्याज चुकाते हैं, उसे रेपो रेट कहते हैं.

रेपो रेट- जब बैंक को रिजर्व बैंक से कम ब्याज दर पर लोन मिलेगा तो उनके फंड जुटाने की लागत कम होगी. इस वजह से वे अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं. इसका मतलब यह है कि रेपो रेट कम होने पर आपके लिए होम, कार या पर्सनल लोन पर ब्याज की दरें कम हो सकती हैं.अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ा देता है तो बैंकों को पैसे जुटाने में अधिक रकम खर्च करनी होगी और वे अपने ग्राहकों को भी अधिक ब्याज दर पर कर्ज देंगे.रिवर्स रेपो रेट- देश में कामकाज कर रहे बैंकों के पास जब दिन-भर के कामकाज के बाद रकम बची रह जाती है, तो उस रकम को भारतीय रिजर्व बैंक में रख देते हैं. इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है. भारतीय रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं.

इससे क्या होता है आम आदमी पर असर- जब भी बाज़ार में नकदी की उपलब्धता बढ़ जाती है तो महंगाई बढ़ने का खतरा पैदा हो जाता है. आरबीआई इस स्थिति में रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें. इस तरह बैंकों के कब्जे में बाजार में बांटने के लिए कम रकम रह जाती है.

CRR के घटने और बढ़ने से क्या होता है- अगर सीआरआर बढ़ता है तो बैंकों को अपनी पूंजी का बड़ा हिस्सा भारतीय रिजर्व बैंक के पास रखना होगा. इसके बाद देश में कामकाज कर रहे बैंकों के पास ग्राहकों को कर्ज देने के लिए कम रकम रह जाएगी. आम आदमी और कारोबारियों को कर्ज देने के लिए बैंकों के पास कम पैसे रहेंगे. अगर रिजर्व बैंक सीआरआर को घटाता है तो बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ जाता है.

आरबीआई सीआरआर में बदलाव तभी करता है, जब बाज़ार में नकदी की तरलता पर तुरंत असर नहीं डालना हो. वास्तव में रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव की तुलना में सीआरआर में किए गए बदलाव से बाज़ार में नकदी की उपलब्धता पर ज्यादा वक्त में असर पड़ता है.

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First published: April 17, 2020, 10:59 AM IST



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