Purulia Mahajans had mortgage ration cards for the poor | पुरुलिया: महाजनों के पास बंधक थे गरीबों के राशन कार्ड, लॉकडाउन के चलते खुली पोल | nation – News in Hindi
(सांकेतिक चित्र)
पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पुरुलिया (Purulia) के जिला मजिस्ट्रेट राहुल मजुमदार ने कहा कि अगर लॉकडाउन (Lockdown In India) नहीं होता तो इस बारे में पता ही नहीं चलता,
रिपोर्ट के अनुसार जिला स्थित सुरजमाता गांव की 80 वर्षीय निवासी गौर कालिन्दी को उनका पीडीएस कार्ड दस साल बाद मिला. बीमारी में इलाज के लिए उन्होंने अपना कार्ड 3,000 रुपए के बदले महाजन के पास गिरवी रख दिया था.
ऐसा ही कुछ मामला उनकी पड़ोसी 60 वर्षीय राधिका कालिंदी का है. उन्होंने चार साल पहले अपना कार्ड 7,000 रुपए के लिए बंधक रखा था. उन्हें उम्मीद है कि राशन कार्ड वापस मिलने से उनके परिवार के लिए काफी मददगार साबित होगा.
अधिकारियों ने कहा कि 150 परिवारों के गांव सुरजमाता से अकेले 24 ऐसे परिवारों ने संपर्क किया. यहां ज्यादातर लोग दैनिक ग्रामीणों के रूप में काम करते हैं, जिनके पास कोई जमीन नहीं है. उनके पास संपत्ति के नाम पर भी ज्यादा कुछ नहीं है. राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन के लिए घोषित राहत के अनुसार, स्थानीय राशन डीलरों ने 1 अप्रैल से शुरू होने वाले प्रत्येक पीडीएस कार्ड पर 5 किलो चावल और 5 किलो आटा वितरित करना शुरू किया. इसके बाद गांव के लोगों ने खंड विकास अधिकारी से संपर्क किया. बीडीओ ने उन्हें लिखित शिकायत देने को कहा.लॉकडाउन नहीं होता तो पता ही नहीं चलता- DM
अधिकारियों ने कहा कि इस मामले में जांच जारी है. अभी तक उन साहूकारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिनसे पीडीएस कार्ड वापस लिए गए हैं. झालदा के बीडीओ राजकुमार बिस्वास ने कहा कि दोनों पक्षों ने ऐसा दोबारा नहीं करने का लिखित शपथ दी.
खाद्य मंत्री ज्योतिप्रियो मुल्लिक ने बताया, ‘जब मैंने इसके बारे में सुना तो मैं हैरान रह गया. मैंने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा. हमने अधिकारियों से हर गाँव की जाँच करने को कहा है.’ मुल्लिक ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों से पुलिस शिकायत दर्ज करने के लिए भी कहा था.
जिला मजिस्ट्रेट राहुल मजुमदार ने कहा कि अगर लॉकडाउन नहीं होता तो इस बारे में पता ही नहीं चलता.
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First published: April 17, 2020, 9:50 AM IST