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कोरोना लॉकडाउन के दौरान आपके रेड और आरेंज जोन कैसे बदलेंगे ग्रीन जोन में। how coronavirus hot spots red and orange zone change in to green zone | knowledge – News in Hindi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime minister Narendra Modi) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) से मुकाबले के लिए पहले लॉकडाउन ( Lock-down) के बाद जब 03 मई तक दूसरे लॉकडाउन की घोषणा की कि तो उसके साथ तमाम इलाकों को रेड (Red Zone), ऑरेंज (Orange zone) और ग्रीन जोन (Green zone) में तब्दील करने की भी खबरें आईं.

जो इलाके रेड और ऑरेंज जोन में हैं, उन्हें कोरोना वायरस के संक्रमण की दृष्टि से हॉटस्पाट माना गया है. जैसे जैसे दिन गुजर रहे हैं, इन हॉटस्पाट इलाकों की स्थिति में भी अंतर आ सकता है. कुछ इलाकों का स्टेट्स बदलकर ग्रीन हो सकता है. ऐसे में आपको जानना चाहिए कि आप जिस इलाके में रह रहे हैं, वो अगर रेड या ऑरेंज जोन में है तो उसके ग्रीन जोन में आने की कितनी संभावना है.

आखिर कैसे कोई रेड और ऑरेंज जोन सरकार और प्रशासन की निगाह में कब ग्रीन जोन बन जाएगा. ग्रीन जोन का मतलब सेफ जोन, जहां कोई कोरोना पॉजिटिव केस नहीं हो.

रेड जोन में कब तक छूट नहीं मिलेगीअगर आप रेड ज़ोन में हैं, तो 20 अप्रैल के बाद भी आपके इलाक़े में लॉकडाउन में ढील नहीं मिलेगी. क्योंकि सरकार ये मानती है कि रेड जोन से कोई इलाका संवेदनशीलता के लिहाज से ग्रीन जोन में नहीं आ सकेगा. हां जो इलाके ऑरेंज जोन में हैं, वो जरूर ग्रीन जोन में आ सकते हैं.

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रेड जोन में रखे गए इलाकों को 03 मई से पहले कोई ढील नहीं मिलेगी

जोन का स्टेटस बदलने में कितने दिन लगेंगे
केंद्र सरकार के दिशानिर्देश के मुताबिक रेड ज़ोन से ऑरेंज ज़ोन में आने के लिए कम से कम 14 दिन का वक़्त लगेगा. इसके बाद फिर आऱेंज जोन को ग्रीन ज़ोन का स्टेटस मिलने में 14 दिन और लगेंगे. यानी अगर आप रेड जोन में हैं तो उसमें किसी भी तरह की कोई ढील देने या उसे ग्रीन जोन में आने में 28 दिन तो लगेंगे ही लगेंगे.

और क्या शर्त है
केंद्र सरकार के अनुसार किसी भी जोन की स्थिति स्थायी नहीं है बल्कि ये वहां कोरोना की स्थिति पर निर्भर करेगी. 28 दिन तक एक भी पॉज़िटिव केस ना आने पर किसी ज़ोन को ग्रीन ज़ोन घोषित किया जा सकता है.

क्या जोनोंं की समीक्षा होती रहेगी
हां, आप किसी भी जोन में हों लेकिन हर जोन की समीक्षा होगी. राज्य सरकार जिला प्रशासन की मदद से हर सोमवार को तीन तरह के जोन की समीक्षा करेगी.

20 अप्रैल के बाद किन इलाकों को छूट मिल सकती है
20 अप्रैल के बाद छूट मिलने की संभावना केवल ऑरेंज़ और ग्रीन ज़ोन में रहने वालों के लिए हो सकती है. रेड ज़ोन वालों को 3 मई के बाद भी लॉकडाउन में छूट के लिए इंतज़ार करना पड़ सकता है.

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जो इलाके ऑरेंज जोन में हैं, वो कोई कोरोना केस नहीं मिलने की मिलने की सूरत में राज्य सरकार की समीक्षा के बाद ग्रीन जोन में आ सकते हैं

रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन का फार्मूला कहां से आया
चीन में वुहान के लोगों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन कोड दिए गए थे. ये कोड उनके मोबाइल ऐप पर मौजूद रहते थे. इसके तहत लॉकडाउन हटाए जाने के बाद ग्रीन कोड वाले लोग शहर में घूमने के साथ ही बाहर भी जा सकते थे, जबकि ऑरेंज कोड वालों को सिर्फ शहर में ही निकलने की अनुमति दी गई. वहीं, जिन संक्रमित लोगों को रेड कोड दिया गया यानी ऐसे लोग घर से बाहर भी नहीं निकलेंगे. कुछ इसी तर्ज पर भारत (India) में भी राज्‍यों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा जा रहा है.

कौन इलाके होंगे किस जोन में, किन गतिविधियों की होगी छूट

रेड जोन वाले हिस्‍सों में कोई गतिविधि नहीं होगी. रेड जोन (Red Zone) में उन जिलों को शामिल किया जाएगा, जहां कोरोना वायरस के पॉजिटिव केस बहुत ज्‍यादा समाने आए हैं. अभी जिन इलाकों को हॉटस्पॉट (Hotspot) घोषित किया गया है और फिर भी उनमें नए मामले सामने आ रहे हैं तो उन्‍हें भी रेड जोन में रखा जा सकता है. ऐसे इलाकों में लोगों को लॉकडाउन का सख्‍ती से पालन करना होगा यानी बहुत जरूरी काम से ही घर से निकलने की छूट रहेगी.

क्या है ऑरेंज जोन
ऑरेंज जोन में उन जगहों को रखा जाएगा, जहां पॉजिटिव केस आए थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों में कोई नया मामला सामने नहीं आया है. दूसरे शब्‍दों में कहें तो जहां नए मामले सामने आने बंद हो गए हैं, उन्‍हें ऑरेंज जोन (Orange Zone) में रखा जाएगा. ऐसे इलाकों में फसल की कटाई समेत कुछ गतिविधियों की छूट रहेगी. हालांकि, मजदूर उसी इलाके के ही काम पर लगाए जा सकेंगे. बाहर के इलाकों से मजदूरों के बाने पर पाबंदी रहेगी.

ग्रीन जोन का मतलब क्या है
ग्रीन जोन में ऐसे जिले रहेंगे, जिनमें अब तक कोई पॉजिटिव केस नहीं आया है. ऐसे इलाके में लोगों को बाकी दोनों के मुकाबले ज्‍यादा छूट रहेगी. ग्रीन जोन (Green Zone) इलाकों में छोटे और मझोले उद्योग धंधे अपना काम शुरू कर पाएंगे. हालांकि, काम शुरू करने वाले उद्योगों को कर्मचारियों की रहने की व्यवस्था परिसर में ही करनी होगी. वहीं, लोग अपने जरूरी कामों के लिए बाहर निकल सकेंगे. इन इलाकों के लोग अपने क्षेत्र में घूम सकेंगे लेकिन बाहर के लोग अंदर नहीं आएंगे.

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