Óकोरोना संकट के बीच भाजपा ने सुझाव के रूप में सौंपा मुख्यमंत्री का नाम जिलाधीश को ज्ञापनÓ

दुर्ग। वैश्विक संकट के रूप में उभर कर आए कोरोना महामारी के बीच में आज देश में पूर्ण रूप से लॉक डाउन की स्थिति है और इन सब के बीच भारतीय जनता पार्टी के द्वारा छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सुझाव के रूप में ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम भाजपा जिलाध्यक्ष उषा टावरी के नेतृत्व में जिलाधीश को सौंपा इस दौरान उनके साथ पूर्व महापौर चंद्रिका चंद्राकर जिला मंत्री संतोष सोनी किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष रत्नेश चंद्राकर नगर निगम नेता प्रतिपक्ष अजय वर्मा उपस्थित थे। इस दौरान आने वाले दिनों की महत्वपूर्ण जरूरत गर्मी के दिनों में पानी की समस्या और प्रदेश के अन्य जिलों में फैल रही पीलिया की बीमारी जो हमारे जिले में भी ना फैल सके उसके लिए ऐतिहासिक कदम उठाने की जरूरत तथा सार्वजनिक नलों एवं टैंकरों में पानी भरने के दौरान मास्क का इस्तेमाल पर जोर एवं सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करवाया जाए
सौंपा गए ज्ञापन के बारे में जिलाध्यक्ष उषा टावरी ने जानकारी देते हुए बताया कि वैश्विक महामारी कोविड.19 के कारण ना केवल हमारे जीवन में संकट के समक्ष संकट उत्पन्न हुए बल्कि जीविका भी बड़ी संख्या में खत्म हो गई है लोग रोजी रोजगार की समस्या से जूझ रहे और गरीब लोगों की दैनिक जरूरतों के लिए भी मोहताज होना पड़ा है ऐसे में सामाजिक एवं स्वयंसेवी संगठनों भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दलों द्वारा लगातार चलाए जा रहे राहत कार्यों से इस वास्तविक आपातकाल के समय काफी सहायता मिल रही है शासन प्रशासन को भी ज्यादा मुस्तैदी के साथ काम करने की जरूरत है वर्तमान स्थिति में निम्नलिखित कदम उठाए जाने का आग्रह है।
उन्होंने कहा कि शासकीय अमले की पहुंच गली मोहल्लों तक नहीं है और ना ही उनका नेटवर्क उतना बड़ा है ऐसे आकस्मिक संकट के समय सबसे बड़ी भूमिका स्वयंसेवीए सामाजिकए सांस्कृतिक संगठनोंए धार्मिक समूहों की होती है देश भर में यह संगठन अलग.अलग जगह पर कार्य कर पीड़ित मानवता की सेवा कर रहे हैं इन्हें ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित और सम्मानित किए जाए प्रदेश में भी आवश्यक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सतत प्रोत्साहित किया जाए।
दुर्भाग्य जनक यह है कि स्वयंसेवी संगठनों के कार्यों के मान्यता देना तो दूर उल्टे उन्हें शासकीय आदेश द्वारा कार्य करने से रोका गया उनसे कहा जा रहा है कि वह स्वतंत्र रूप से राहत कार्य नहीं चलाएं और राहत सामग्री अगर देना है तो शासन को सौंपी यह आदेश आपत्तिजनक हैं इसे शीघ्र वापस लेकर संगठनों को कार्य करने दिया जाए । तथ्यों के आलोक में भी ऐसा ज्ञात हो रहा है कि कांग्रेस सरकार इन संगठनों से सामग्री लेकर राहत कार्य को अपने राजनीतिक प्रचार का माध्यम बनाना चाहती है ऐसी मंशा अनुचित है किसी भी शासकीय सामग्री पर नेताओं की चित्र न केवल इस विपत्ति के समय में उपहास जनक होगा अपितु या प्रदेश वासियों और गरीबों के स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ जैसा होगा।
शासन द्वारा पार्षदों की उनकी निधि से 100000 आयुक्त के यहां जमा करने को कहा गया है या भी निहायत अनुचित है पार्षद गण चुने गए जनप्रतिनिधि है उन्हें क्षेत्र और उनकी समस्याओं वास्तविक जरूरतमंदों की बेहतर जानकारी होती है उनसे निधि वापस ले लेना वास्तव में ना केवल आपदा राहत में अड़ंगा लगाने जैसा होगा अपितु यह जनप्रतिनिधियों के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन जैसा भी होगा।
पार्षदों को अपनी निधि को स्व विवेक से उपयोग कर राहत कार्य करने दिए जाएं
राज्य शासन ने लगातार यह प्रचारित किया है कि वह ग्राम पंचायतों को दो.दो क्विंटल चावल दे रही है जिससे गांव में किसी भी को भूखा नहीं रहने दिया जाएगा शासकीय विज्ञप्ति में कहीं ऐसा देखने में नहीं आया कि इसके लिए पंचायतों से पैसा वसूल करने थे लेकिन उनसे पैसे लिए गए हैं दुखद आश्चर्य है कि आम दिनों में हम जनता के लिए एक . दो रुपया ; एपीएल के लिए 10 किलो चावल देते हैं जबकि ऐसी परिस्थितियों इस बड़े संकट के समय शासन अपना चावल खपा कर गांवों में करीब 33 किलो कीमत वसूल रही है इसे तत्काल रोका जाए और पंचायतों से लिए गए पैसे को उन्हें वापस किए जाएं इस समय ज्यादा से ज्यादा निधि उपलब्ध कराने का है न कि निकायो . पंचायत . प्रतिनिधियों से पैसा वसूलने का।