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COVID-19 : खिचरीपुर और वसुंधरा एनक्लेव में पिछले 15 दिन में एक भी नया मामला नहीं COVID-19 : No new case in Khichripur and Vasundhara Enclave in last 15 days | delhi-ncr – News in Hindi

COVID-19 : खिचरीपुर और वसुंधरा एनक्लेव में पिछले 15 दिन में एक भी नया मामला नहीं

पिछले 15 दिनों में वसुंधरा एनक्लेव में COVID-19 का एक भी नया मामला सामने नहीं आया (प्रतिकात्मक तस्वीर)

दिल्ली में 13 अप्रैल को कोविड-19 के सर्वाधिक मामले आए और यह संख्या 365 थी. वहीं इसके दो दिन बाद ही राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक के सबसे कम मामले सामने आए. इस बीच दिल्ली सरकार ने बताया कि खिचरीपुर इलाके और वसुंधरा एनक्लेव में पिछले 15 दिन में कोरोना वायरस से संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आया है.

नई दिल्ली. दिल्ली में 13 अप्रैल को कोविड-19 के सर्वाधिक मामले आए और यह संख्या 365 थी. वहीं इसके दो दिन बाद ही राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक के सबसे कम मामले सामने आए. इस बीच दिल्ली सरकार ने बताया कि खिचरीपुर इलाके और वसुंधरा एनक्लेव में पिछले 15 दिन में कोरोना वायरस से संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आया है.

विशेषज्ञ आंकड़ों में इस उतार-चढ़ाव के लिए संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का पता चलने की रफ्तार समेत अनेक कारकों को जिम्मेदार ठहराते हैं. अधिकारियों के अनुसार दिल्ली में बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की कुल संख्या 1578 पहुंच गई, जिनमें 17 मामले नए थे. इसी तरह एक दिन में मौत के दो मामलों के साथ बुधवार को राजधानी में कोविड-19 से मरने वालों की कुल संख्या 32 हो गई. कुल मामलों में 1,080 मामले ऐसे हैं जिन्हें विशेष अभियानों के माध्यम से अस्पतालों तक लाया गया.

सरकार के अधिकारियों ने पिछले महीने निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लेने वाले लोगों को पृथक रखने के लिए अभियान चलाया था.
बीते 10 अप्रैल को दिल्ली में संक्रमण के 183 नए मामले सामने आए, जिनमें 154 निजामुद्दीन मरकज से जुड़े थे. इसके बाद 11 अप्रैल को 166, 12 अप्रैल को 85, 13 अप्रैल को 356, 14 अप्रैल को 51 और 15 अप्रैल को 17 नए मामले आए.दिल्ली में संक्रमण सामुदायिक स्तर पर नहीं फैला : डॉ. विकास मौर्या
फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग के फेफड़ा रोग विभाग के निदेशक विकास मौर्या के अनुसार, ‘‘अगर आप शुरुआती बढ़ोतरी देखें तो स्पष्ट है कि अधिकतर मामले निजामुद्दीन में धार्मिक कार्यक्रम के बाद वहां से आए और उनलोगों का पता लगाने में समय लगता है जो बीमारी के संपर्क में आए होंगे. तो वो मामले बाद में जांच के नतीजे आने के बाद सामने आते हैं, जिसमें 4 से 5 दिन लगते हैं.’’

उन्होंने कहा कि ऐसे भी लोग थे जो विदेशों से आए और उन्होंने अपने परिवार वालों समेत अन्य लोगों को संक्रमित कर दिया था और अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं दी. ऐसे लोगों का भी देर से पता चलता है जिसकी वजह से मामलों की संख्या में उतार-चढ़ाव आता है. मौर्या ने दावा किया, ‘‘लेकिन मामलों की संख्या में उतार-चढ़ाव में एक अच्छी बात यह नजर आती है कि दिल्ली में संक्रमण सामुदायिक स्तर पर नहीं फैला है. अन्यथा नए मामलों में लगातार इजाफा ही होता.’’

रैपिड एंटीबॉडीज जांच की किट का इंतजार
भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए दो तरह की जांच की सलाह दी गई है. इनमें आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीबॉडीज जांच हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक फिलहाल आरटी-पीसीआर जांच का इस्तेमाल किया जा रहा है, वहीं रैपिड एंटीबॉडीज जांच की किट अभी विदेशों से नहीं आई है. एक जानेमाने निजी अस्पताल के विशेषज्ञ ने नाम जाहिर नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘अगर रैपिड एंटीबॉडीज जांच शुरू हो जाती है तो हमारी स्क्रीनिंग की प्रक्रिया तेज हो जाएगी और कम समया में अधिक मामलों का पता चल सकेगा.’’

बाद वाले टेस्ट में कम समय लगता है और 20 से 30 मिनट में परिणाम आ जाता है. लेकिन जब तक भारत में इसके किट नहीं आते तब तक अति प्रभावित क्षेत्रों में आरटी-पीसीआर जांच की जा रही हैं, जिनके नतीजे बाद में आते हैं और मामलों में उतार-चढ़ाव आता है.

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First published: April 16, 2020, 6:10 PM IST



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