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नहीं मिल रहा था खून, मसीहा बनकर CRPF जवान ने बचाई कश्‍मीरी बुर्जुग की जान | CRpf personnel saves life of a kashmiri in poonch to donate blood | nation – News in Hindi

नहीं मिल रहा था खून, मसीहा बनकर CRPF जवान ने बचाई कश्‍मीरी बुर्जुग की जान

सीआरपीएफ जवान ने किया रक्‍तदान.

जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu kashmir) के पुंछ के बीमार व्‍यक्ति को थी एबी नेगेटिव ब्‍लड ग्रुप (Blood group) के खून की जरूरत. लेकिन कहीं यह उपलब्‍ध नहीं था.

जम्मू. अशोक कुमार जब 2003 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (Crpf) के लिए भर्ती प्रक्रिया से गुजर रहे थे तभी उन्हें मालूम चला कि उनका रक्त समूह (Blood group) दुर्लभ ‘एबी नेगेटिव’ (AB negative) है और तकरीबन 17 साल बाद उन्हें अपने एक कमांडेंट से सूचना मिली जिसमें उनसे रक्त दान करके पुंछ के 69 वर्षीय व्यक्ति की जान बचाने का आग्रह किया गया.

पुंछ के व्‍यक्ति को थी जरूरत
जम्मू-कश्मीर में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित शहर पुंछ के नाजिर हुसैन के परिवार ने कश्मीर स्थित सीआरपीएफ की ‘मददगार’ हेल्पलाइन को सोशल मीडिया पर एक संदेश भेजा था जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें किडनी की बीमारी से जूझ रहे एक मरीज के लिए ‘एबी नेगेटिव’ रक्त की तत्काल आवश्यकता है.

डेटाबेस खंगालने पर मिले अशोक कुमारसीआरपीएफ की हेल्पलाइन ने तुरंत कार्रवाई शुरू करते हुए अपने डेटाबेस को खंगालना शुरू किया कि क्या उसकी जम्मू स्थित इकाइयों में किसी जवान का यह दुर्लभ रक्त समूह है. इसकी तलाश उन्हें 39 वर्षीय हेड कांस्टेबल और रेडियो ऑपरेटर अशोक कुमार तक ले गई जिनका यह दुर्लभ रक्त समूह था. कुमार सुंदरबनी, जम्मू में अर्धसैन्य बल की 72वीं बटालियन के इकलौते जवान हैं.

‘मुझे बहुत खुशी हुई’
कुमार ने फोन पर बताया, ‘‘जब मेरे कमांडेंट ने मुझे स्वेच्छा से यह करने के लिए कहा तो मुझे खुशी हुई और मैं मदद के लिए तैयार हो गया.’’ बड़ी उम्मीद से मदद का इंतजार कर रहे हुसैन के पोते अदालत खान ने कहा कि कुमार का रक्त दान करना एक नेमत के तौर पर आया है.

कहीं उपलब्‍ध नहीं था खून
खान ने सुरक्षा बल का शुक्रिया अदा करते हुए पत्र लिखा, ‘‘मैं हमेशा सीआरपीएफ की 72वीं बटालियन का शुक्रगुजार रहूंगा तथा खासतौर से भाई अशोक कुमार का जो एक फरिश्ते के तौर पर आए और इस मुश्किल वक्त में अपना कीमती रक्त दान देकर एक जान बचाई तथा यह साबित किया कि इंसानियत कभी नहीं मरती.’’ उन्होंने बताया कि ‘एबी नेगेटिव’ के दुर्लभ रक्त समूह होने के कारण कहीं भी यह रक्त उपलब्ध नहीं था और न ही परिवार के किसी सदस्य का यह रक्त समूह था.

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First published: April 16, 2020, 4:17 PM IST



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