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In a First, Coronaviruses Found in Two Species of Indian Bats: ICMR-NIV Study दो भारतीय चमगादड़ों में मिले कोरोना वायरस, जानिए कैसे ये इंसानों के लिए हैं खतरनाक | nation – News in Hindi

दो भारतीय चमगादड़ों में मिले कोरोना वायरस, जानिए कैसे ये इंसानों के लिए हैं खतरनाक

आईसीएमआर-एनआईवी ने ये जांच 2018 से 2019 के बीच इकट्ठा किए गए सैंपल्स की मदद से की. (सांकेतिक तस्वीर)

कोविड-19 (Covid-19) बीमारी का प्रकोप SARS-CoV-2 वायरस के चलते हुआ है जिसे चमगादड़ (Bat) और पैंगोलिन से जोड़ कर देखा जा रहा है, लेकिन इसे साबित करने के लिए अभी तक कोई निश्चित साक्ष्य नहीं मिल सका है कि यह वायरस चमगादड़ों से इंसानों में किसी अन्य प्रजाति के जानवर के माध्यम से पहुंचा है.

(निखिल घानेकर)

नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) द्वारा विश्व को अपनी चपेट में लिये जाने के बीच भारतीय अनुसंधानकर्ताओं को चमगादड़ों की दो प्रजातियों में अलग तरह के कोरोना वायरस-बैट कोरोना वायरस (बैट कोव) की मौजूदगी मिली है. अनुसंधानकर्ताओं ने 25 तरह की चमगादड़ की प्रजातियों के स्वाब सैंपल केरल, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी और तमिलनाडु से लिए थे जिनके आरटीपीसीआर टेस्ट पॉजिटिव पाए गए हैं.

एक आधिकारिक सूत्र ने कहा हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी कि ये कोरोना वायरस इंसानों को नुकसान पहुंचा सकते हैं क्योंकि किसी भी स्टडी में फिलहाल इस तरह की कोई पुष्टि नहीं हुई है. ये निष्कर्ष भारत में पहली बार किए जा रहे एक बड़े अध्ययन का हिस्सा हैं, जो बैट कोरोनोवायरस (Bt-CoV) की मौजूदगी पर शोध के लिए किए गए हैं.

इंसानों तक कैसे पहुंचा कोविड-19 इसकी पुष्टि नहींभारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का यह अध्ययन इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुआ है. जिसे पुणे में राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) के साथ मिलकर किया गया है. कोविड-19 बीमारी का प्रकोप SARS-CoV-2 वायरस के चलते हुआ है जिसे चमगादड़ और पैंगोलिन से जोड़ कर देखा जा रहा है, लेकिन इसे साबित करने के लिए अभी तक कोई निश्चित साक्ष्य नहीं मिल सका है कि यह वायरस चमगादड़ों से इंसानों में किसी अन्य प्रजाति के जानवर के माध्यम से पहुंचा है.

आईसीएमआर-एनआईवी ने ये जांच 2018 से 2019 के बीच इकट्ठा किए गए सैंपल्स की मदद से की. इन सैंप्ल्स को केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, ओडिशा, तेलंगाना, चंडीगढ़ और पुडुचेरी के जंगलों से लिया गया था. इन राज्यों में चमगादड़ों के बसेरे पाए जाते हैं और स्टेट वाइल्डलाइफ की इजाजत लेकर रीसर्चर्स ने चमगादड़ों को जाल में फंसाया और उनके मलाशय और नाक से सैंपल एकत्रित किए. स्टडी में बताया गया कि इस प्रक्रिया में 12 चमगादड़ों की मौत भी हो गई.

इन चमगादड़ों पर की गई रिसर्च
कुल 508 सैंपल भारतीय फ्लाइंग फॉक्स चमगादड़ के लिए गए जबकि 78 सैंपल राओज़ेटस चमगादड़ों के लिए गए. इसमें से राओज़ेटस चमगादड़ों के चार सैंपल और भारतीय फ्लाइंग फॉक्स चमगादड़ों के 21 सैंपल BtCoV पॉजिटिव पाए गए. राओज़ेटस चमगादड़ों के जो चारों सैंपल पॉजिटिव पाए गए वह सभी केरल से लिए गए थे. पॉजिटिव पाए गए 21 भारतीय फ्लाइंग फॉक्स चमगादड़ों के सैंपल में से 12 केरल से थे जबकि छह पुडुचेरी से थे जबकि दो हिमाचल प्रदेश और एक तमिलनाडु का था.

स्टडी के नतीजों के मुताबिक दोनों ही प्रजातियों में सिर्फ मलाशय के सैंपल पॉजिटिव पाए गए जबकि गले और नाक के सैंपल निगेटिव पाए गए. इस रिसर्च के घटनाक्रम से परिचित आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चमगादड़ की दो और प्रजातियों में भी कोरोना वायरस की मौजूदगी की जांच की जाएगी. ऐसी कई स्टडीज़ में चमगादड़ों पर खास केंद्रित किया जा रहा है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वे कई वायरस के प्राकृतिक संवहक होते हैं, जिनमें से कुछ संभावित मानव रोगजनक हैं.

मनुष्यों को ऐसे नुकसान पहुंचाते हैं वायरस
स्टडी में यह भी सामने आया है कि चमगादड़ों का प्रतिरक्षा तंत्र कई तरह के वायरस से बचाता भी है. लेकिन जब ये वायरस किसी तीसरी प्रजाति से होते हुए इंसानों में पहुंचते हैं तो बहुत नुकसान करते हैं. न्यूज़ 18 को इस रिसर्च पेपर को लिखने वाले वैज्ञानिकों की ओर से फिलहाल इस पर कोई जवाब नहीं मिला है.

2018 में आईसीएमआर-एनआईवी ने केरल में हुए निपाह वायरस को आसानी से फलों पर बैठने वाले चमगादड़ों से जोड़ा था. यहां तक कि 1998-1999 में मलेशिया में हुए निपाह वायरस का प्रकोप भी कहीं न कहीं चमगादड़ों से ही जुड़ा हुआ था. यह मलेशिया में लोगों में सुअरों के जरिए आया था.

यह पेपर और अधिक सक्रिय और सबूत के आधार पर निगरानी करने पर जोर देता है जिससे महामारी की क्षमता वाले नोवल वायरस के उभरने पर जल्द से जल्द पहचान हो सके. पेपर में यह भी कहा गया है कि यह अभी भी समझ में नहीं आ रहा है कि केवल कुछ कोरोना वायरस ही मानव को संक्रमित क्यों करते हैं.

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First published: April 16, 2020, 5:35 AM IST



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