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जून-जुलाई और सितंबर में इस साल होगी अच्छी बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अनुमान-Monsoon in india 2020 IMD forecasts Monsoon to be normal this year | business – News in Hindi

जून-जुलाई और सितंबर में इस साल होगी अच्छी बारिश! मौसम विभाग ने जारी किया अनुमान

मौसम विभाग ने मानसून को लेकर दीर्घ अवधि (Long Range Forecast (LRF) अनुमान जारी किया है.

भारतीय मौसम विभाग (IMD-India Meteorological Department) ने मानसून को लेकर दीर्घ अवधि (Long Range Forecast (LRF) अनुमान जारी किया है.

नई दिल्ली. भारतीय मौसम विभाग (IMD-India Meteorological Department) ने मानसून को लेकर दीर्घ अवधि (Long Range Forecast (LRF) अनुमान जारी किया है. इस साल मौसम विभाग (IMD Monsoon Forecast 2020) ने मानसून सीजन यानी जून-सितंबर के दौरान 100 फीसदी बारिश होने की उम्मीद जताई है. इसका मतलब साफ है कि इस साल मानसून सामान्य रहेगा. आपको बता दें कि हर साल अप्रैल और जून में मौसम विभाग पूरे देश में मानसून की स्थिति का अनुमान जारी करता है. हालांकि इसमें क्षेत्रीय स्तर पर होने बारिश का पूर्वानुमान शामिल नहीं होता है. साल 1951 से 2000 तक मानसून के दौरान देश में औसत बारिश 890 मिलीमीटर है.

मौसम विभाग ने इस साल मानसून के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस साल देश में सामान्य मानसून रहेगा. इस साल औसत की 100 फीसदी बारिश हो सकती है. हालांकि, इसमें +5 या -5% की गुंजाइश है.

देश में फिलहाल प्री-मानसून का समय चल रहा है. मौसम की जानकारी देने वाले स्काइमेट के मुताबिक मौजूदा समय में देश के मध्य भागों में गर्मी का असर दिखना शुरू हो चुका है.

गुजरात के कई इलाके लू की चपेट में आ गए हैं. अब मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी इसका असर नजर आ सकता है. वहीं जम्मू-कश्मीर समेत उत्तर भारत के कई इलाकों में भारी बारिश की आशंका है.अर्थव्यवस्था से कैसे जुड़ा है मानसून-भारतीय अर्थव्यवस्था में मानसून का अहम रोल है. शेयर बाजार से लेकर उद्योग जगत पर मानसून के पूर्वानुमान का बड़ा असर पड़ता है. मानसून बढ़िया रहता तो शेयर बाजार और उद्योग जगत में उत्साह का माहौल होता है, जबकि मानसून की बारिश कम रहने की संभावना होती है तो अर्थव्यवस्था के सुस्ती की तरफ बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है.

देश के होने वाली कुल बारिश का 70 फीसदी ​हिस्सा मानसून का होता है. वहीं सोयाबीन, कपास, दलहन, चावल जैसी फसलों की बुआई मानसून की बारिश पर निर्भर होता है.

बता दें कि देश की इकोनॉमी में खेती का योगदान 15 फीसदी है, वहीं देश के करीब 130 करोड़ लोगों को इस क्षेत्र से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से रोजगार मिलता है.

कमजोर मानसून से क्या होगा –किसानों से लेकर सरकार के बजट पर मानसून का असर दिखाता है. यदि मानसून कमजोर रहता है तो खाद्य (अनाज, फल-सब्जी) उत्पादन कम होगा. इससे किसानों की दशा और खराब होगी. महंगाई भी बढ़ेगी. इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा. इससे मोदी सरकार के किसानों की आय दोगुनी करने वादे को झटका लग सकता है.

किसानों की आमदनी घटने का असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. मानसून का सीधा असर ग्रामीण आबादी पर पड़ता है. मानसून सामान्य और अच्छा रहने से ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय बढ़ती है, जिससे मांग में भी तेजी आती है. ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ने से इंडस्ट्री को भी फायदा मिलता है. वहीं कमजोर होने पर इसका उलटा असर होता है. इस साल बारिश कम होने से देश का ग्रोथ प्रभावित हो सकता है.

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First published: April 15, 2020, 1:34 PM IST



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