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लॉकडाउन: दोस्ती की कि मिसाल कायम, भूखे बौद्ध भिक्षु को मुस्लिम ने पहुंचाया खाना – Lockdown- Muslim brought food to hungry Buddhist monk in mumbai | maharashtra – News in Hindi

लॉकडाउन: दोस्ती की कि मिसाल कायम, भूखे बौद्ध भिक्षु को मुस्लिम ने पहुंचाया खाना

लॉकडाउन में फंसे दोस्त को भेजा खाना (फोटो-प्रतीकात्मक)

Lockdown: मुंबई (Mumbai) के ठाणे में एक मुस्लिम मित्र ने कई दिक्कतों के बाद भी लॉकडाउन में फंसे अपने बौद्ध भिक्षु दोस्त को खाने के लिए सामान पहुंचाया.

मुंबई. देश में लॉकडाउन के कारण कई लोगों को दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है. ऐसे में बहुत से लोग और संस्थाएं आगे आई हैं जो लॉकडाउन में फंसे लोगों को मदद पहुंचा रहे हैं. कुछ ऐसा ही मामला मुंबई के ठाणे से सामने आया है. यहां पर एक व्यक्ति ने ना केवल दोस्ती की मिसाल कायम की. एक मुस्लिम मित्र ने कई दिक्कतों के बाद भी लॉकडाउन में फंसे अपने बौद्ध भिक्षु दोस्त को खाने के लिए सामान पहुंचाया.

इन दोनों की दोस्ती का ये है पूरी मामला
दरअसल मुंबई मिरर में छपी एक खबर के अनुसार, तीन साल पहले ट्रेन में सफ़र के दौरान सैफुद्दीन की मुलाक़ात बौद्ध भिक्षु लोबसांग रिचेन से हुई. उसी दौरान दोनों ने नंबर एक्सचेंज किया, दोनों फेसबुक पर दोस्त बने. इनकी मुलाक़ात का जरिया ट्रेन की यात्रा थी. ट्रेन में यात्रा के दौरान अकसर मुलाकात हो जाती थी. सैफुद्दीन एक व्यापारी थे और कुछ दिनों बाद उन्होंने ट्रेन की यात्रा बंद कर दी. रिचेन भी चार बौद्ध भिक्षुओं के साथ ठाणे के एक मंदिर में आकर रहने लगे और मुंबई यूनिवर्सिटी के राजनीतिक शास्त्र की पढ़ाई शुरू कर दी.

बौद्ध भिक्षु अक्सर भिक्षा के रूप में दिए जाने वाले भोजन पर ही आश्रित रहते हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण लोगों ने मंदिर, शांतिदूत बुद्ध विहार में जाना बंद कर दिया. मंदिर में मौजूद इन पांच भिक्षुओं के हालात इतने खराब हो गए कि इन्हें दो वक्त का खाना मिलना भी मुश्किल हो गया.ये भी पढ़ें: लॉकडाउन में बांद्रा स्टेशन पर भीड़ जुटाने वाला शख्स गिरफ्तार, अब तक 3 FIR दर्ज

दोस्त को आई अचानक याद
कुछ दिनों पहले सैफुद्दीन के बेटों ने 500 से अधिक लोगों के खाने की व्यवस्था की तो सैफुद्दीन को भी रिचेन की याद आ गई. और उन्होंने जब रिचेन को फोन लगाया तो उन्हें पता चला की उन लोगों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है. सैफुद्दीन ने बताया कि मैंने उससे पूछा कि मैं क्या मदद कर सकता हूं? रिचेन ने दाल, चावल और तेल मांगा’.

सैफुद्दीन ने बताया कि जब मैंने मदद के लिए सोचा तो कोई भी मंदिर में सामान पहुचाने के लिए तैयार नहीं हुआ. बहुत कोशिशों के बाद एक दोस्त, शब्बीर भगोरा अपनी बाइक पर सामान ले जाने और उन्हें मंदिर में छोड़ने के लिए तैयार हो गया. सैफुद्दीन ने उन तक अभी लगभग 15 दिन का राशन पहुंचाया है.

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First published: April 15, 2020, 12:55 PM IST



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