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Covid-19: मुंबई में आधी मौतें जांच या भर्ती में देरी होने से हुईं, अस्पतालों के चक्कर काटते रहना भी वजह, | maharashtra – News in Hindi

Covid-19: मुंबई में आधी मौतें जांच या भर्ती में देरी होने से हुईं, अस्पतालों के चक्कर काटते रहना भी वजह

मुंबई में कोविड-19 के संक्रमण से 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

महाराष्ट्र में कोरोनावायरस (Coronavirus) से अब तक 178 लोगों की जान जा चुकी है. इनमें से आधे लोगों की मौत अस्पताल पहुंचने के एक दिन के भीतर हो गई.

नई दिल्ली. कोरोनावायरस (Coronavirus) से देश में अब तक 350 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. फिर भी कहा जा सकता है कि भारत अभी संभली हुई स्थिति में है. महाराष्ट्र (Maharashtra) और खासकर मुंबई (Mumbai) को छोड़ दें तो कहीं भी स्थिति बेकाबू नहीं हुई है. महाराष्ट्र में अब 178 लोगों की जान जा चुकी है. इनमें 100 से अधिक मौतें मुंबई में हुई हैं. यही वजह है, देश में लॉकडाउन (Lockdown) बढ़ने से पहले ही महाराष्ट्र ने इसे अपने लिए बढ़ा दिया था.

आखिर महाराष्ट्र में ऐसा क्या हुआ, जो स्थिति अनियंत्रिति हो गई. राज्य सरकार ने इसका पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम बनाई और मामले की तह तक जाने को कहा. पता लगा कि महाराष्ट्र में करीब 178 में से 112 मौतें मरीजों को अस्पताल में भर्ती किए जाने के एक घंटे से लेकर एक दिन के भीतर हुई हैं. इन मरीजों की मौत की जांच के बाद यह पता चला कि ये लोग कोविड-19 (Covid-19) पॉजिटिव थे. यानी, राज्य में 62% कोरोना पॉजिटिव लोगों का पता उनकी मौत के बाद पता चला.

मुंबई में कोरोना के मामलों से निपटने के लिए नौ सदस्यीय टास्क फोर्स गठित की गई. इसने अस्पतालों के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं. मुंबई के छह अस्पतालों को गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए चिन्हित किया गया है.

14 मरीजों की मौत एक घंटे के भीतरमुंबई में कोरोनावायरस से शुरुआती 50 लोगों की मौत को कुछ इस तरह से समझा जा सकता है. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक इन 50 में से 14 लोगों की मौत अस्पताल में भर्ती करने के एक घंटे भीतर हो गई. जबकि, 26 लोगों ने भर्ती किए जाने के 24 घंटे के अंदर दम तोड़ दिया. 11 लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने का पता उनकी मौत के बाद पता चला. जबकि, 14 लोगों ने पॉजिटिव रिपोर्ट आने के एक घंटे के अंदर दम तोड़ दिया. मरने वाले 50 लोगों में 19 पुरुष और 11 महिलाएं थीं. साथ ही शुरुआती 50 मृतकों में से 42 की उम्र 50 साल से अधिक थी.

3-4 के बाद ही अस्पताल आते हैं मरीज
महाराष्ट्र में इस खराब स्थिति के कई कारण बताए जा रहे हैं. जैसे मरीज पहले निजी अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा होगा, फिर सरकारी अस्पताल में आया. सर्दी-खांसी के मरीजों की तुरंत जांच नहीं कराई गई. कुछ मरीज घर पर खुद से दवा लेते रहे. बीएमसी के एडिशनल म्यूनिसिपल कमिश्नर सुरेश ककानी बताते हैं, ‘हमने देखा है कि मरीज कोरोना के लक्षण दिखने के तीन-चार दिन बाद ही अस्प्ताल आते हैं. वे पहले अपने लक्षण छिपाते या नजरअंदाज करते हैं. कोरोना का भय भी इसका एक कारण है.’

85% मृतकों को पहले से थी कोई बीमारी

बीएमसी की डिप्यूटी एग्जीक्यूटिव हेल्थ ऑफीसर दक्षा शाह कहती हैं कि मरने वाले 85% लोगों को पहले से ही हाइपरटेंशन, दिल की बीमारी, डायबिटीज या अन्य कोई बीमारी थी. ऐसे में देरी करने से मामला और गंभीर हो जाता है. हालांकि, एक बड़ा कारण यह भी है कि लोगों को अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक 27 साल की एक महिला की मौत नायर अस्पताल में हुई, लेकिन वह इसे पहले चार अन्य अस्पतालों का चक्कर काट चुकी थी. ऐसे कई और उदाहरण हैं.

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First published: April 15, 2020, 9:27 AM IST



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