बस्तर पाति का आनलाइन कवि सम्मेलन सम्पन्न

कोंडागाँव । केशकाल की संवेदनशील कवयित्री रश्मि विपिन अग्निहोत्री जी ने बताया की कोरोना की महात्रासदी के दौरान निराशा से भरे माहौल में उमंग जगाने के लिए देश के ख्यातनाम वाट्सएप ’बस्तर पाति’ साहित्य समूह जगदलपुर के द्वारा ऑनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया। जिसमें सुप्रसिद्ध कलमकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर ऑनलाइन कवि सम्मेलन में भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डॉ सुषमा झा वरिष्ठ साहित्यकार जगदलपुर के द्वारा मां सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ हुआ। अध्यक्षता आनंद जी सिंह वरिष्ठ साहित्यकार जगदलपुर ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार सनत सागर जगदलपुर व संतोष श्रीवास्तव ’सम’ कांकेर उपस्थित रहे। बिलासपुर की कवयित्री सरोज ठाकुर के मधुर व सरस संचालन में उन्हीं के द्वारा सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन परवान चढ़ा।
केशकाल की कवयित्री रश्मि अग्निहोत्री ने अपनी रचना के माध्यम से लोगों की पीड़ा को शब्द प्रदान किये। बानगी-
मिली न खुशी तो गम भी नहीं है/गमों की ये सौगात कम भी नहीं है/इबादत में कसर बाकी होगी शायद/तकदीर इतनी बेरहम भी नहीं है।
डोंगरगांव के प्रसिद्ध मंच संचालक और कवि गजेन्द्र हरिहरनो दीप ने अपने मुक्तक व गजल शमा बांधा। उनकी ये पंक्तियां काबिले गौर हैं-
मैं दरख्त हूं मुझको तुम सब मिल के पानी दो/ हर मौसम में दुनिया को ढेरो ढेर फल दूंगा।
इसी क्रम में संबलपुर कांकेर की कवयित्री नलिनी बाजपेई ने निर्भया कांड पर आधारित रचना ललकार के माध्यम से अपना आक्रोश व्यक्त किया-
ललकारती हूं तुम्हें दरिन्दों बुरी नजर से मत देखना/ आक्रोशित नजरों से ही भस्म कर जाउंगी।
कोण्डागांव के युवा कवि दिनेश विश्वकर्मा ने नारी जगत की पीड़ा को उकेरा।
चारामा के कवि देवव्रत शर्मा ने श्रृंगार गीत प्रस्तुत किया।
तुम चली आओ चूनर चांदनी की ओढ़कर
प्यार का मंजर तो बदल जायेगा
ये तुम्हारी हंसी और कातिल अदा
हर हृदय में उठा तरंगे मचल जायेगा।
जगदलपुर की कवयित्री चमेली कुर्रे सुवासिता ने पर्यावरण संरक्षण पर अपनी रचना में वाहवाही लूटी।
कर कोई उपकार धरा पर पौधे रोपो / स्वयं करो हर काम दूसरे पर मत थोपो।
बिलासपुर की कवयित्री प्रभाति मिंज ने निर्भया मर्डर केस को लेकर कानून व्यवस्था पर अपनी भड़ास तारिख पे तारिख रचना के माध्यम से निकाली।
मंदाकिनी श्रीवास्तव किरंदुल ने मानव के वास्तविक धर्म को लेकर अपनी रचना जोड़ना धर्म है प्रस्तुत की। जगदलपुर के कवि कृष्ण शरण पटेल ने अपनी बात कुछ इस तरह से कही-
दिल हमारा बुझा बुझा सा है / खेल मानो जरा थमा सा है / रोग है लाइलाज चाहत का / हाथ बीमार अधमरा सा है।
भानपुरी की अलका पांडे ने अपनी कविता पढ़कर समूह के सदस्यों की वाहवाही लूटी।
बकावंड़ के युवा हस्ताक्षर पुनीत भारती ने बस्तर के वीर सपूत गुंडाधुर को अपनी रचना के माध्यम से शब्दांजलि अर्पित की।
बचेली की युवा कवयित्री ज्योति शर्मा ने नारी शक्ति पर केन्द्रीत रचना प्रस्तुत की।
कोण्डांगांव के श्रवण मानिकपुरी ने रोटी की कहानी शीर्षक से रचना प्रस्तुत की।
कोरर कांकेर के अशोक यादव ने श्रम मेरी पहचान के माध्यम से सस्वर कविता का पाठ किया।
संतोष श्रीवास्तव सम ने अपनी बात कुछ यूं की-
अपने वतन के वास्ते आजाद रहना जानो / सुंदर चमन के वास्ते आबाद रहना जानो।
बस्तर पाति वाट्सएप साहित्यिक समूह के एडमिन और साहित्यककार जगदलपुर के सनत सागर ने नारी की पीड़ा को स्वर दिया –
मैं स्त्री बन कर देखना चाहता हूं/उसके गर्भ की अनुभूति को।
इस आयोजन में अतिथियों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन वर्तमान में सार्थक हैं। इनसे हम पाठक लेखक में सकारात्मक उर्जा का प्रवाह बना रहता है। बस्तर पाति का प्रयास सराहनीय है। समूह के 190 सदस्यों ने अपनी उपस्थिति पूरे समय देकर कार्यक्रम को सफल बनाया।