PM मोदी ने अपने भाषण में लैब की संख्या बढ़ाने पर क्यों दिया जोर? जानें एक्सपर्ट्स की राय _ coronavirus lockdown pm narendra modi insist on increasing the number of labs What does it mean NODRSS | delhi-ncr – News in Hindi


पीएम मोदी ने देश में तीन मई तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान किया है.
पीएम मोदी (PM Modi) ने देश के नाम संबोधन में कहा है कि कोरोना (Coronavirus) से संक्रमित विश्व के दूसरे देशों का अनुभव कहता है कि कोरोना के 10 हजार मरीज होने पर 1500 बेड की जरूरत पड़ती है. लिहाजा भारत में इस समय 1 लाख से अधिक बेड की तैयार हो चुके हैं. हालांकि, भारत में संक्रमित लोगों का पता लगाने के लिए जितनी टेस्टिंग होनी चाहिए उतनी अभी नहीं हो रही है.
पीएम मोदी टेस्टिंग पर क्यों जोर दे रहे हैं?
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि कोरोना से संक्रमित विश्व के दूसरे देशों का अनुभव कहता है कि कोरोना के 10 हजार मरीज होने पर 1500 बेड की जरूरत होती है. भारत में आज 1 लाख से अधिक बेड की व्यवस्था कर चुके हैं. हालांकि, भारत में संक्रमित लोगों का पता लगाने के लिए जितनी टेस्टिंग होनी चाहिए उतनी नहीं हो रही है.

कोरोना के 10 हजार मरीज होने पर 1500 बेड की जरूरत होती है.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) लगातार कह रही है कि देश में हर दिन 10 हजार टेस्टिंग करने की क्षमता है. आईसीएमआर के मुताबिक अब तक तकरीबन 1 लाख 80 हजार के आसपास टेस्ट हो चुके हैं. इनमें 4.3 प्रतिशत सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं. इस बीमारी से अब तक देश में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
टेस्टिंग से क्या फायदा होगा
गौरतलब है कि देश में इस संक्रमण से निपटने लिए कई हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए हैं. केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकारें इन हॉटस्पॉट पर विशेष सतर्कता बरत रही है. डॉक्टरों का मानना है कि अगले कुछ सप्ताह भारत के लिए काफी अहम होने वाले हैं. इसको लेकर दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की नजरें टिकी हुई हैं. भारत आबादी और क्षेत्रफल दोनों नजरिए से विश्व के बड़े देशों में से एक है, लेकिन यहां की स्वास्थ्य सुविधाएं काफी कमजोर है. कोरोना को लेकर अभी तक जो संकेत मिल रहे हैं उससे यह स्थिति दूसरे देशों की तुलना में 25 गुना कम नजर आ रही है. ऐसे में आगे भी यही स्थिति रही तो वाकई में भारत दूसरे देशों के लिए आदर्श साबित होगा.

पुलिस टीम पर हमले का आरोपी निकला कोरोना पॉजिटिव (फाइल फोटो)
क्या कहते हैं डॉक्टर्स
दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (LNJP Hospital) जो कि अब कोविर्ड वार्ड में तब्दील हो चुका है, के सीनियर डॉक्टर प्रोफेसर नरेश कुमार न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं, पीएम मोदी की चिंता जायज है. पीएम टेस्टिंग पर इसलिए जोर दे रहे हैं क्योंकि क्मुयनिटी में यह बीमारी फैलने की चिंता सता रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीमारी में 80 प्रतिशत लोगों में माइल्ड सिम्पटम्स होते हैं. ये ए-सिम्पटोमिक होते हैं. मतलब बीमारी के लक्षण नहीं होते हैं. 15 प्रतिशत लोगों में सांस फूलने का सिम्पटम्स होता है जो कि इळाज से ठीक हो जाता है. लेकिन, 5 प्रतिशत मरीज क्रिटिकल होते हैं. इन मरीजों को वेंटिलेटर्स या ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है. इससे अगर टेस्टिंग होगा तो पता चलेगा कि कम्युनिटी में कितना फैल रहा है. भारत में संक्रामक रोगों के टेस्ट कराने की संस्कृति नहीं है, क्योंकि ज्यादातर लोग इसका खर्च नहीं उठा सकते. यह बीमारी भारत में लंबे समय तक चल सकता है. इस वायरस का असर इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाला है, लिहाजा जांच जितनी होगी आगे परिणाम उतना ही अच्छा होगा.’
ऐसे में पीएम मोदी ने जो चिंता जाहिर की है वह कोरोना वायरस के दूरगामी परिणाम को देख कर ही दिया है. इस लिहाज से अगले एक-दो सप्ताह भारत के लिए काफी अहम साबित होने वाला है और ये भी पता चल जाएगा कि भारत इस बीमारी से लड़ने में कितना सक्षम है?
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First published: April 14, 2020, 1:53 PM IST